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हजरत अली की शहादत पर उठे ताबूत, अली-अली की गूंजी सदाएं

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अंजुमन जाफरिया दोषीपुरा और अंजुमन नासिरुल मोमिनीन ने मुकीमगंज से ताबूत व अलम का जुलूस उठाया। विभिन्न मार्गों से होकर दोनों जुलूस सदर इमामबाड़ा पहुंचे। यहां बड़ी तादाद में काले लिबास में मर्द व ख्वातीन ताबूत की जियारत करने के लिए पहुंचे थे।

हजरत अली की शरादत पर या अली या अली… की सदाएं बुलंद हुईं। मौला अली की याद में शहर में कई जगहों से जुलूस उठाए गए। जुलूस के सदर इमामबाड़ा पहुंचने पर जियारत व अजादारी करने वालों का हुजूम उमड़ पड़ा।

अंजुमन जाफरिया दोषीपुरा और अंजुमन नासिरुल मोमिनीन ने मुकीमगंज से ताबूत व अलम का जुलूस उठाया। विभिन्न मार्गों से होकर दोनों जुलूस सदर इमामबाड़ा पहुंचे। यहां बड़ी तादाद में काले लिबास में मर्द व ख्वातीन ताबूत की जियारत करने के लिए पहुंचे थे। मौलाना जफर हुसैनी, मौलाना अकीदत हुसैनी, मौलाना नदीम असगर, मौलाना इकबाल हैदर, मौलाना जायर हुसैन, मौलाना अमीन, बाकर, यूसुफ मशहदी, इश्तेयाक हुसैन आदि ने मजलिस को खिताब किया। अंजुमनों ने नौहा मातम पेश किया। सदर इमामबाड़े में कदीमी इफ्तार भी हुआ। दरगाह फातमान में भी जायरीन जियारत करने पहुंचे थे। मजलिस को हाजी फरमान हैदर ने खिताब किया।

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