महिला एवं बाल विकास विभाग तथा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यरत आशा सहयोगिनियां शनिवार को अपनी पांच सूत्री मांगों को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंची। उन्होंने यहां जमकर नारेबाजी की और स्थाई करने की मांग की। इससे पहले वे विधायक ज्ञानचंद पारख के घर गई और उन्हें भी अपनी मांगों से अवगत करवाया।
उन्होंने कहा कि आशा सहयोगिनियों का मानदेय महज 3 हजार 564 रुपए प्रतिमाह है। राजस्थान सरकार द्वारा 10 फरवरी को सत्र 2023-24 के आम बजट में 15 प्रतिशत की मासिक मानदेय में वृद्धि की गई जो इस बढ़ती महंगाई को देखते हुए काफी कम है। उन्होंने कहा, इस पद पर कार्यरत अधिकांश आशा सहयोगिनियां विधवा, परित्यागता, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, विशेष पिछड़ा वर्ग, आर्थिक पिछड़ा वर्ग और बीपीएल श्रेणी की है। इसलिए उन्हें नियमित किया जाए और मानदेय 23 हजार 700 रुपए किया जाए। इस दौरान क्राइम इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो प्रदेश अध्यक्ष मनीषा राखेचा, आशा सहयोगिनी रेणुका, स्वीटी, कुलकीदेवी, पिंकी, अनिता, ललिता, पुष्पा, डिम्पल, भाग्यवती, संतोष, सुशिला, संतोष बंजारा, भाग्यवती, लाजवंती, अनू चौहान, रूकमणी, अनुराधा, मीना कुमारी, सुनीता सांई, बीना कुमारी, अनिसा बानो सहित कई जने मौजूद रही।
यह है प्रमुख मांगें
- आशा सहयोगिनियों को स्थाई किया जाए।
- आशा सहयोगिनियों का मासिक मानदेय बढ़ाया जाए।
- आशा सहयोगिनियों को रिटायरमेंट सहायता पैकेज में शामिल कर लाभ दिया जाए।
- आशा सहयोगिनियों को सभी मदों मे मिलने वाली प्रोत्साहन राशि को बढ़ाकर तीन गुना किया जाए।
- आशा सहयोगिनियों से समस्त सर्वे कार्य ऑफलाइन करवाया जाए।