सामान्य तौर पर विश्व में क्या होता है? सताए और भगाए हुए लोग या तो पीड़ित करने वाली सत्ता के लिए हिंसावादी बन जाते हैं…या वैसा ना कर सकें तो विभिन्न मंचों से उनके खिलाफ जहर तो उगलते ही रहते हैं।
ऐसे में, यदि मैं आपसे कहूं कि एक ऐसे व्यक्ति भी हैं जो उनकी और उनके लोगों की जमीन पर कब्जा करने वालों के प्रति भी सद्भावना रखते हैं, अपनी आवाज उठाते हैं लेकिन विरोधी को बुरा नहीं कहते…तो आप उन्हें क्या कहेंगे? शायद महामानव!
आज हम बात करेंगे एक ऐसे ही व्यक्ति की, जिन्हें चीनी कम्युनिस्ट सरकार के हमलों के चलते अपनी राजधानी छोड़ भारत में शरण लेनी पड़ी, फिर भी उनके मन में किसी के लिए कोई कड़वाहट नहीं है तथा जो लाखों तिब्बती लोगों की आवाज हैं।
करिअर फंडा में स्वागत!
वर्ष 1959, एक ग्रह के लिए साधारण, किन्तु इस पर रहने वाले मेरे और आप जैसे लोगों के लिए, चांद पर पंहुचने वाले सबसे पहले यान ‘लूना 1’ और कालजयी फिल्म ‘बेन-हर’ को ऑस्कर मिलने का साल।
साम्यवाद और उसका फैलाव
उन्नीसवीं शताब्दी में इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन के दौरान मजदूर वर्ग के दमन, शोषण और असंतोष से जन्मी क्लासलेस सोसायटी बनाने की विचारधारा ही ‘कम्युनिज्म’ के रूप में बड़ी होती गई। इस तारतम्य में अनेक बातें होती गईं।
फोर्बिडन लैंड (Forbidden land)
1959 का मार्च महीना। भारत तथा नेपाल की ओर से हिमालय को देखें तो कारकोरम रेंज के दूसरी ओर एक बड़ा-ऊंचा पठारी इलाका, जो उत्तर में कुनलुन पर्वतों और दक्षिण में हिमालय से घिरा है। पश्चिम में नेपाल और भारत के हिमालय पर्वत हैं तो पूर्व में चीन के उन्नान, सिशुएन, क्विंघाई और जिनजियांग प्रान्त। पामीर के अलावा विश्व की मात्र, एक और छत, बर्फ प्रदेश – वह स्थान जो सदियों से अपने राजा-महाराजाओं के शासन में स्वतंत्र रहा। जहां भारत से पहुंचा बौद्ध धर्म शांति से फला-फूला और पनपा तथा जहां के बौद्ध धर्मगुरुओं को हम ‘लामा’ के नाम से जानते हैं – ‘तिब्बत’ की फोर्बिडन और मिस्टीरियस भूमि।
सेवेंटीन पॉइंट अग्रीमेंट (Seventeen Point agreement)
दरअसल 1949 में चीन में कम्युनिस्ट शासन की शुरुआत के बाद 1950 में ही तिब्बत पर हमला कर उसे ‘सेवेंटीन पॉइंट अग्रीमेंट’ पर हस्ताक्षर करवा चीन में मिला लिया गया था, कहने को कुछ ऑटोनॉमस अधिकार थे। कइयों ने ‘एग्रीमेंट’ को तिब्बत के मॉडर्नाइजेशन की तरह देखा और कइयों ने कल्चरल रूट्स पर हमले की तरह। खैर, साल बीतते रहे, 1959 के शुरुआती महीनों में तिब्बत में यह अफवाह फैल गई कि चीनी कम्युनिस्ट सरकार, पोटाला पैलेस, ल्हासा, जो तिब्बत धर्मगुरुओं के रहने की आधिकारिक जगह थी से ‘चौदहवें दलाई लामा’ का अपहरण कर उन्हें बीजिंग ले जाना चाहती है।
भारत पलायन
इस कारण ल्हासा में चीनी शासन के खिलाफ आवाज तेज हुई, लेकिन अधिकतर शांतिपूर्ण तरीके से धरनों और प्रदर्शनों द्वारा। हालांकि, कई जगह चीनी झंडे और सिम्बल्स को जलाया गया और चीनियों से तिब्बत की भूमि छोड़ने के लिए कहा गया। बदले में चीनी शासन ने सेना की तादाद और बढ़ा दी। दलाई लामा को ले जाए जाने से रोकने के लिए हजारों की संख्या में आए तिब्बतियों ने पोटाला पैलेस को चारों ओर से घेर लिया।
इसी भागदौड़ के बीच अंधेरे का फायदा उठाते हुए चौदहवें दलाई लामा सैनिक वर्दी पहन पोटाला पैलेस से भागने में सफल हुए। उन्होंने भारत में शरण ली, जहां से वे आज तक तिब्बत की निर्वासित गवर्नमेंट चलाते हैं।
दलाई लामा के जीवन से 5 बड़े सबक
1) मानवता, मनुष्यों की बीच होने वाले किसी भी विवाद से बड़ी है
अपने सदा मुस्कुराते चेहरे के साथ शायद दलाई लामा ने कभी जोर से शब्द भी नहीं कहे होंगे, लेकिन उनका जीवन चीख-चीख कर यह बात कहता है।
तिब्बत से भारत आने के बाद उन्हें यहां हिमाचल प्रदेश के ‘धर्मशाला’ नामक स्थान पर बसाया गया। तब से लेकर आजतक दलाई लामा केवल शांति का मैसेज देते आए हैं। वे हमेशा चीनियों को अपने भाई-बहन कहकर सम्बोधित करते हैं, उनको भी जो सेना और सरकार में हैं। हिंसा होने पर उन्होंने हमेशा पहले चीनी लोगों की मृत्यु पर शोक मनाया है, और मानवता की मिसाल पेश की है।
सबक – यदि यह बात हम हमारे जीवन में भी समझ पाए तो जीवन एकदम आसान हो जाएगा
2) अहिंसा
उन्होंने हमेशा कहा है कि संघर्षों को हल करने के साधन के रूप में अहिंसा शक्तिशाली साधन है। उनके अनुसार इसका अर्थ कमजोरी नहीं है, बल्कि अहिंसा का अभ्यास करने के लिए शक्ति और साहस की आवश्यकता होती है। अहिंसा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को तिब्बत पर चीन के कब्जे के खिलाफ उनके शांतिपूर्ण विरोध में देखा जा सकता है।
सबक – अपराध से घृणा करो अपराधी से नही
3) शिक्षा प्रगति की कुंजी है
दलाई लामा ने हमेशा शिक्षा के महत्व पर जोर दिया है, खासकर विकासशील देशों में। उनका मानना है कि शिक्षा व्यक्तियों और समुदायों को अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए सशक्त बना सकती है। इसका एक उदाहरण है कि कैसे दलाई लामा ने तिब्बती बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए भारत में कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की। उदाहरण के लिए दलाई लामा इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन इत्यादि।
सबक – हमेशा शिक्षा को महत्व दें
4) माइंडफुलनेस
माइंडफुलनेस आंतरिक शांति लाती है। दलाई लामा ने हमेशा माइंडफुलनेस के अभ्यास को बढ़ावा दिया है, जिसमें क्षण में उपस्थित होना और अपने विचारों और भावनाओं के बारे में जागरूक होना शामिल है। उन्होंने कहा है कि सचेतन व्यक्ति को आंतरिक शांति पाने और तनाव को कम करने में मदद कर सकता है। इसका एक उदाहरण है कि कैसे दलाई लामा अपने दैनिक ध्यान सत्रों के दौरान सचेतनता का अभ्यास करते हैं।
सबक – माइंडफुलनेस है जीवन में शांति और प्रसन्नता की कुंजी
5) दया और उदारता से फर्क पड़ता है
दलाई लामा ने दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने में हमेशा दया और उदारता के महत्व पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि दयालुता के छोटे कार्यों का बड़ा प्रभाव हो सकता है। इसका एक उदाहरण यह है कि कैसे दलाई लामा ने नोबेल शांति पुरस्कार और अन्य पुरस्कारों से प्राप्त सभी धन को धर्मार्थ कार्यों के लिए दान कर दिया।
सबक – दया और उदारता कमजोर नहीं, ताकतवर दिखा सकते हैं
हमारे लिए दलाई लामा का जीवन आशा का स्त्रोत है।
आज का करिअर फंडा है कि तिब्बत के 14वें दलाई लामा का जीवन कई मूल्यवान शिक्षाएं जैसे करुणा, अहिंसा, ध्यान, शिक्षा, दया और उदारता प्रदान करता है, जो दुनिया में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।