अगले कुछ दिनों में राजस्थान यूथ कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल जाएगा। अगले अध्यक्ष के लिए 20 लाख से ज्यादा लोगों की मेम्बरशिप और वोटिंग हो चुकी है। अभी वोटों की जांच की जा रही है। जांच के बाद फर्जी वोटों को अलग कर दिया जाएगा और फिर चुना जाएगा यूथ कांग्रेस का नया अध्यक्ष और राजस्थान में यूथ कांग्रेस की नई वर्किंग कमेटी।
यूथ कांग्रेस के अगले अध्यक्ष का फैसला वोटों के साथ-साथ इंटरव्यू के आधार पर होगा, जो कांग्रेस लीडरशिप लेगी। यूथ कांग्रेस अध्यक्ष के साथ ही 8 नए उपाध्यक्ष भी मिलेंगे।
वहीं 45 नए प्रदेश महासचिव भी यूथ कांग्रेस को मिलेंगे। राजस्थान के तमाम जिलों में नए जिलाध्यक्ष और उनकी पूरी टीम भी इस चुनाव के बाद मिल जाएगी।
इस वक्त सबसे बड़ा सवाल है कि- यूथ कांग्रेस का नया प्रदेशाध्यक्ष कौन बनेगा?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने यूथ कांग्रेस के कई मेम्बर्स, चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों और कई पदाधिकारियों से बात की। सामने आया कि चुनाव लड़ रहे 15 में से 4 चेहरों अभिमन्यू पूनिया, सुधींद्र मूंड, यशवीर सूरा और सतवीर चौधरी का दावा सबसे मजबूत है।
खास बात ये है कि इन 4 में से 3 दावेदार जाट हैं, जबकि एक दावेदार विश्नोई है। अगर कोई जाट चेहरा यह चुनाव जीतता है तो फिर राजस्थान में कांग्रेस के तीनों संगठनों के प्रमुख जाट हो जाएंगे। कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और एनएसयूआई अध्यक्ष अभिषेक चौधरी भी जाट समुदाय से ही आते हैं।
4 चेहरे, जानिए- किसका दावा क्यों मजबूत
अभिमन्यू पूनिया : एनसएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं
अभिमन्यु पूनिया राजस्थान एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष रह चुके हैं। बिश्नाई समाज से हैं और पायलट खेमे से आते हैं। पायलट खेमे के विधायक मुकेश भाकर के बेहद करीबी हैं।
वे राजस्थान यूनिवर्सिटी में एनएसयूआई महासचिव भी रह चुके हैं। चुनाव के दौरान मुकेश भाकर और रामनिवास गवाड़िया ने पूनिया को काफी सपोर्ट किया। इसके अलावा विप्र कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष महेश शर्मा भी पूनिया के समर्थन में दिखे।
मजबूत पक्ष : एनएसयूआई का पूर्व प्रदेशाध्यक्ष होना बड़ा प्लस पॉइंट है। पूनिया की एनएसयूआई में मजबूत पकड़ थी। जून 2020 में हुए मानेसर एपिसोड के बाद पूनिया को एनएसयूआई प्रदेशाध्यक्ष पद से हटा दिया गया था।
पूनिया के पास युवाओं की अच्छी टीम थी। इसके अलावा युवा नेताओं का सपोर्ट भी पूनिया का मजबूत पक्ष रहा। यूथ के फेस के रूप में भी पूनिया मजबूत दावेदार हैं।
दावा : पूनिया का दावा है कि उनके पक्ष में लगभग 6.30 लाख मेम्बर्स ने वोटिंग की है। कहा- युवाओं ने राजस्थान में कांग्रेस के प्रति विश्वास जताया है।
भारी संख्या में मतदान किया है। मुझे भरोसा है संगठन का व्यक्ति चुनाव जीतेगा तो 2023 के विधानसभा चुनाव पर इसका असर पड़ेगा।
सुधींद्र मूंड : कांग्रेस की प्रमुख लॉबी साथ
सुधींद्र मूंड इस चुनाव में एकदम नए चेहरे के रूप में उभरे। चुनाव शुरू होने से पहले मूंड के नाम पर खास चर्चा नहीं थी। मगर चुनाव में सुधींद्र मूंड काफी सक्रिय नजर आए। उनके साथ कांग्रेस की अलग-अलग क्षेत्रों की प्रमुख लॉबी जुटी।
मूंड को हरीश चौधरी, रामेश्वर डूडी, चेतन डूडी, रोहित बोहरा जैसे नेताओं ने सपोर्ट किया। इसके अलावा हरियाणा से सांसद दीपेंद्र हुड्डा का भी मूंड को सपोर्ट रहा। मूंड ने चुनाव के दौरान अच्छा मूवमेंट किया।
मजबूत पक्ष : मूंड का मजबूत पक्ष कांग्रेस की एक प्रमुख लॉबी का साथ होना और मजबूत मशीनरी होना रहा। इसके अलावा वे किसी खेमे से भी जुड़े हुए नहीं हैं।
वे खुद झुंझुनूं से यूथ कांग्रेस जिलाध्यक्ष हैं। उनके साथ कई जिलाध्यक्षों का समर्थन भी रहा। मूंड शेखावाटी से अध्यक्ष के एकमात्र दावेदार रहे। ऐसे में उनके साथ जाट लॉबी मजबूती से जुटी।
दावा : मूंड का दावा है कि उनके समर्थन में 6.78 लाख मेम्बर्स ने वोटिंग की। उनका कहना है कि हमारे साथ एनएसयूआई की पूरी टीम लगी हुई थी। पिछली बार के 19 मजबूत जिलाध्यक्ष हैं। वो भी हमारे लिए काम कर रहे थे। मुझे यकीन है कि यूथ कांग्रेस के नौजवान साथियों ने मजबूत नेतृत्व चुना है।
सतवीर चौधरी : राजस्थान यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष रहे हैं
सतवीर चौधरी यूथ कांग्रेस के चुनाव की शुरुआत से ही अभिमन्यु पूनिया के सामने मजबूत दावेदारों में गिने जा रहे थे। सतवीर चौधरी राजस्थान में स्पोट्र्स काउंसिल के उपाध्यक्ष हैं।
वे राजस्थान यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष भी रहे हैं। चौधरी को धर्मेंद्र राठौड़ का समर्थन रहा। पूर्व यूथ कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चांदना की एक टीम का सपोर्ट भी सतवीर को मिला। भीलवाड़ा में रामलाल जाट का समर्थन भी सतवीर को मिला।
मजबूत पक्ष : राजस्थान यूनिवर्सिटी का पूर्व अध्यक्ष रहना सतवीर चौधरी की मजबूती रही। धर्मेंद्र राठौड़ से समर्थन मिलने के चलते गहलोत खेमे के रूप में उन्हें समर्थन मिला। जाट चेहरा होने के चलते जाट लॉबी से भी सतवीर को समर्थन मिला।
दावा : सतवीर का दावा है कि उनके पक्ष में 5 लाख से ज्यादा मेम्बर्स ने वोट किया है। सतवीर का कहना है यूथ कांग्रेस के सदस्यता अभियान में मैंने और मेरी टीम ने काफी सदस्य बनाए हैं। आगे भी यूथ को ज्यादा से ज्यादा कांग्रेस से जोड़ने को लेकर हमारा फोकस होगा। हमारे बीच हार-जीत जैसा कुछ नहीं, सभी एक टीम में काम करते हैं।
यशवीर सूरा : यूथ कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं
सूरा भी यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष के लिए एक महत्वपूर्ण चेहरे के रूप में रहे। सूरा पायलट खेमे से आते हैं। सूरा भी इस चुनाव में एक महत्वपूर्ण जाट चेहरा हैं।
वे वर्तमान में यूथ कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। जैसे-जैसे यूथ कांग्रेस का चुनाव आगे बढ़ा, वैसे वैसे यशवीर सूरा भी प्रभावी होते चले गए। सूरा एक नए और मजबूत चेहरे के रूप में अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं।
मजबूत पक्ष : सूरा का कांग्रेस का उपाध्यक्ष होना उनके लिए फायदेमंद रहा। पूर्व यूथ कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चांदना की एक टीम का उन्हें सपोर्ट होना भी उनके लिए प्लस पॉइंट रहा। हालांकि चांदना ने इस चुनाव में किसी भी पक्ष का खुलकर समर्थन नहीं किया। सूरा को दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी क्षेत्रों से अच्छा समर्थन मिला।
दावा : सूरा का दावा है कि चुनाव में 6.5 से 7 लाख मेम्बर्स ने उनके पक्ष में वोटिंग की। उनका कहना है कि 15 में से 4-5 लोगों ने गंभीरता से चुनाव लड़ा। मेरा मानना है कि नया व्यक्ति जिसमें काबिलियत है उसे इलेक्शन से ओपन प्लेटफार्म मिलता है। अगर मैं जीतता हूं तो राजस्थान को नया प्रतिनिधित्व मिलेगा।
इस चुनाव का क्या पड़ेगा असर
यूथ कांग्रेस की नई कार्यकारिणी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि नई टीम का असर राजस्थान में इस साल हाेने वाले विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा। राजस्थान में जून 2020 के बाद से यूथ कांग्रेस सहित कांग्रेस के सभी अग्रिम संगठनों की कार्यकारिणी को स्थगित कर दिया गया था।
मानेसर एपिसोड के बाद यह निर्णय लिया गया था। तब से अबतक यूथ कांग्रेस में नई कार्यकारिणी नहीं बनी है। इस एपिसोड के बाद गणेश घोघरा को यूथ कांग्रेस अध्यक्ष मनोनीत कर दिया गया था।
मगर अब चुनाव के बाद कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिलेगा, वहीं प्रदेशभर में पूरी नई टीम खड़ी होगी। ये टीम इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए मजबूती से काम करेगी।
कांग्रेस के युवा नेताओं का मानना है कि इस समय पर यूथ कांग्रेस की नई टीम बनने का फायदा कांग्रेस को राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 में देखने को मिलेगा। ये टीम युवा वोटर्स और युवाओं के बीच कांग्रेस को मजबूत करने का काम करेगी।
पवन गोदारा बने थे पहले निर्वाचित अध्यक्ष
राजस्थान यूथ कांग्रेस में चुनाव की प्रक्रिया 2010 से शुरू हुई। राजस्थान यूथ कांग्रेस के पहले निर्वाचित अध्यक्ष पवन गोदारा बने। वे 2013 तक यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।
इसे बाद फिर चुनाव हुए और वर्तमान खेलमंत्री अशोक चांदना यूथ कांग्रेस अध्यक्ष बने। चांदना 2020 तक यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बने। वे लम्बे समय तक यूथ कांग्रेस संभालने वाले नेताओं में रहे।
चांदना के बाद सुमित भगासरा चुनाव जीते और अध्यक्ष बने। मगर वे 10 दिन तक ही अध्यक्ष रह सके। उनके चुनाव में विवादों के चलते उन्हें हटना पड़ा और आखिरकार लाडनूं विधायक मुकेश भाकर को यूथ कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया।
मगर मुकेश भाकर 2 महीने ही यूथ कांग्रेस अध्यक्ष रहे। वे सचिन पायलट के साथ मानेसर चले गए। ऐसे में उन्हें यूथ कांग्रेस अध्यक्ष से हटा दिया गया। इसके बाद गणेश घोघरा को यूथ कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया। अबतक घोघरा ही यूथ कांग्रेस अध्यक्ष हैं। अब यूथ कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिलेगा।
उपाध्यक्ष चुनाव : महिला में पूजा, अल्पसंख्यक में अरबाब जीत सकते हैं
यूथ कांग्रेस में मेम्बरशिप के वर्तमान मॉडल के अनुसार अध्यक्ष के अलावा 8 उपाध्यक्ष बनेंगे। ये उपाध्यक्ष उन्हीं 15 दावेदारों में से होंगे जो अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें 3 उपाध्यक्ष ओपन होंगे, वहीं बाकी के रिजर्व कोटे में। ऐसे में माना जा रहा है कि महिला कोटे से एक उपाध्यक्ष पूजा भार्गव बन सकती हैं।
वहीं अल्पसंख्यक कोटे से अरबाब खान उपाध्यक्ष बन सकते हैं। वहीं एसटी सीट पर राकेश मीणा का बनना तय माना जा रहा है। राकेश मीणा एनएसयूआई के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष भी रह चुके हैं।
जाट या विश्नोई, शेखावटी वर्सेज ढूंढाड़, नहरी क्षेत्र भी दावेदार
यूथ कांग्रेस में जातिगत आधार पर देखें तो राजस्थान को जाट या विश्नोई अध्यक्ष मिलेगा। 4 में से 3 दावेदार जाट हैं। क्षेत्र के आधार पर देखा जाए तो सतवीर चौधरी और यशवीर सूरा ढूंढाड़ क्षेत्र से हैं। वहीं सुधींद्र मूंड शेखावटी से एकमात्र दावेदार हैं। हनुमानगढ़ से अभिमन्यु पूनिया नहरी क्षेत्र के मजबूत दावेदार हैं।
पायलट गुट हो सकता है मजबूत
राजस्थान में यूथ कांग्रेस के चुनाव का असर खेमेबाजी और वर्तमान खींचतान पर भी दिखेगा। अध्यक्ष के लिए जो चार प्रमुख दावेदार हैं उनमें से दो अभिमन्यु पूनिया और यशवीर सूरा सचिन पायलट खेमे से हैं। वहीं मूंड वैसे तो न्यूट्रल हैं मगर उन्हें एक तय लॉबी का समर्थन है। वहीं सतवीर चौधरी सीएम के करीबी धर्मेंद्र राठौड़ के नजदीकी हैं।
ऐसे में जो भी व्यक्ति अध्यक्ष बनेगा उसकी वर्किंग और तरीके में एक बार फिर राजस्थान में चल रही गहलोत-पायलट खींचतान का असर देखने को मिल सकता है। हालांकि यूथ कांग्रेस चुनाव में अबतक जो स्थिति देखने को मिली है उसे लेकर मोटे तौर पर यह माना जा रहा है कि चुनाव के बाद पायलट खेमा मजबूत हो सकता है।
यूथ कांग्रेस ने राजस्थान को दिए कई बड़े नेता
राजस्थान में यूथ कांग्रेस कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यूथ कांग्रेस ने राजस्थान को कई बड़े नेता दिए। 1970 से राजस्थान में यूथ कांग्रेस अध्यक्ष बनने की शुरुआत हुई।
खास बात यह रही कि राजस्थान में यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बनने वाले ज्यादातर नेता बाद में अच्छे स्तर तक पहुंचे। राजस्थान में जर्नादन गहलोत के बाद विष्णु मोदी, केसी विश्नोई, रघु शर्मा, अश्क अली टांक, रघुवीर मीणा, कुलदीप इन्दौरिया, नीरज डांगी यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बने।
नीरज डांगी के बाद यूथ कांग्रेस अध्यक्ष का निर्वाचन चुनावों से होने लगा। इसके बाद पवन गोदारा पहले निर्वाचित अध्यक्ष बने।
यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहने वाले जनार्दन गहलोत, अश्क अली टांक, रघु शर्मा, अशोक चांदना सहित कई नेता राजस्थान में मंत्री बने। वहीं रघुवीर मीणा वर्तमान में सीडब्ल्यूसी सदस्य हैं, वे राज्यमंत्री भी रहे। इसके अलावा नीरज डांगी फिलहाल राज्यसभा सांसद हैं।
यूथ कांग्रेस अध्यक्ष का पद बेहद महत्वपूर्ण होता है। सीडब्ल्यूसी सदस्य रघुवीर मीणा, राज्यसभा सांसद नीरज डांगी, मंत्री रघु शर्मा, अश्क अली टांक, अशोक चांदना और भी कई ऐसे नाम हैं जो राजस्थान में यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और बाद में राजस्थान की राजनीति में बड़े चेहरे बने। राजस्थान को यूथ कांग्रेस ने कई बड़े नाम दिए।