प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड के बाद सील किए गए मुस्लिम हॉस्टल से छात्रों की समस्याएं बढ़ गई हैं। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में कल यानी 13 मार्च से परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। ऐसे में कुछ छात्र तैयारी करने के बजाय स्टेशन पर पड़े हैं, तो कुछ DM के सामने धरना देने को मजबूर हैं। उनका पूरा सामान हॉस्टल में ही कैद है। वहीं, दूसरी तरफ इलाहाबाद यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि इस हॉस्टल से हमारा कोई संबंध नहीं।
अब सवाल है कि जिन 100 से ज्यादा छात्रों ने पिछले महीने 12 से 18 हजार रुपए हॉस्टल फीस के रूप में दिया वह अब कहां जाएं? हमने उन छात्रों से बात की। हॉस्टल के वार्डन से मौजूदा स्थिति के बारे में जाना। प्रशासन का पक्ष जाना। साथ ही उमेश हत्याकांड में शामिल सदाकत के बारे में कुछ जरूरी जानकारी हासिल की। आइए सबकुछ एक तरफ से जानते हैं।
107 कमरे छात्रों के सामान के साथ सीज
उमेश पाल का मर्डर धूमनगंज की जयंतीपुर कॉलोनी में 24 फरवरी को हुआ। जांच शुरू हुई तो इस हत्याकांड के तार मुस्लिम हॉस्टल के कमरा नंबर 36 से मिले। 27 फरवरी को हॉस्टल के इसी कमरे में अवैध रूप से रह रहे हाईकोर्ट के वकील सदाकत खान को गिरफ्तार कर लिया गया।
इसके बाद जिला प्रशासन ने 5 मार्च को हॉस्टल के बाहर नोटिस चस्पा की और 6 मार्च को हॉस्टल को पूरी तरह से सील कर दिया गया। होली की छुट्टी के कारण ज्यादातर छात्र घर गए थे। ऐसे में उन्हें अपना सामान निकालने का भी वक्त नहीं मिला।
इस वक्त हॉस्टल में 107 कमरे हैं। इसमें कुल 194 छात्र रहते थे। इसमें 167 छात्र ऐसे हैं, जिन्होंने पिछले महीने ही 12 से 18 हजार रुपए तक की फीस जमा की थी। बाकी 27 ऐसे छात्र थे, जिन्होंने फीस जमा नहीं की लेकिन अवैध रूप से हॉस्टल में ही रह रहे थे। इसमें सदाकत खान भी शामिल था। जो कमरा नंबर 36 में रह रहा था।
रामबाग स्टेशन पर सोने को मजबूर छात्र
कुशीनगर के इरफान अली इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से MSC कर रहे हैं। मुस्लिम हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने बताया, “15 फरवरी को ही हॉस्टल अलॉट हुआ था। 27 फरवरी तक मेरी परीक्षा हुई और फिर मैं घर चला गया।
होली के बाद वापस आया तो गेट के अंदर ही एंट्री नहीं मिल रही। मेरा सारा सामान कमरे में ही है। मैं क्या करूं, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। 5 दिन से हमारे साथी रामबाग रेलवे प्लेटफॉर्म पर सोने को मजबूर हैं।”
बलरामपुर के सलमान अली यूनिवर्सिटी से MA कर रहे हैं। हॉस्टल के कमरा नंबर 7 में रहते हैं। वह बताते हैं, “छात्र मुस्लिम बोर्ड ट्रस्ट के अध्यक्ष बरकत अली के घर के बाहर भी धरना कर चुके हैं। हॉस्टल को सील करने में जितना योगदान प्रशासन का है उतना ही हॉस्टल प्रशासन का भी है। पिछले महीने बरकत अली जी ने खुद ही हॉस्टल बंद करने के लिए लेटर लिखा था।”
हॉस्टल के बजाय होटल में रखने की बात
हॉस्टल के सील किए जाने के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल मो. आमिर कहते हैं, “हॉस्टल प्रशासन अब कह रहा कि आप लोगों को प्रयागराज रेलवे स्टेशन के पास की अब्दुला मरकज होटल में रखा जाएगा। आखिर वहां छात्र कैसे पढ़ाई करेंगे?
छात्र ने तो हॉस्टल में रहने का पैसा दिया है। यहां उसे एक माहौल मिलता है। फिर उसे तो इसी जनवरी-फरवरी महीने में हॉस्टल मिला। अब अगर कह दिया जाए कि होटल में रहो या फिर ईद के बाद आओ तो फिर वह पढ़ाई कब करेगा?”
छात्रों का एक गुट हॉस्टल प्रशासन पर आरोप लगाता है कि यह सब कुछ पैसों की वजह से हो रहा है। प्रशासन चाहता है कि इस वक्त सारा हॉस्टल खाली हो जाए और फिर उसे नए सिरे से अलॉट किया जाए और फिर से छात्रों से पैसा लिया जाए।
पूरा हॉस्टल सील करवाने की गलती कर दी
हॉस्टल के सुपरिटेंडेंट इरफान अहमद बताते हैं कि जिला प्रशासन को हमने जो लिस्ट दी उसके मुताबिक 167 छात्र ऐसे थे, जिन्होंने यहां फीस जमा की थी। 27 छात्र ही ऐसे थे जो बिना फीस दिए यहां रह रहे थे। यूनिवर्सिटी से कोई संबंध नहीं होने की बात पर वह कहते हैं कि यहां रहने वाला छात्र यूनिवर्सिटी में ही पढ़ रहा है, तो फिर यूनिवर्सिटी प्रशासन कैसे कह सकता है कि उसे इस हॉस्टल से मतलब नहीं?
हॉस्टल के ही एक कर्मचारी एहसान अली कहते हैं, हमसे एक चूक यह हुई कि हमने पूरे हॉस्टल को सील करने की बात कह दी। जबकि हमें उन्हीं कमरों को सील करवाना था जिसमें छात्र अवैध रूप से रह रहे थे। अब हमारे वो छात्र भी परेशान हो रहे जिन्होंने फीस जमा की है और उनकी परीक्षा होने वाली है।
डीएम ने हॉस्टल प्रशासन को ही फटकार लगाई
हॉस्टल के अंदर जाने की जद्दोजहद करते छात्रों ने शुक्रवार को जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर अपनी समस्याओं से जुड़ा लेटर ADM मदन कुमार को सौंपा। छात्र बताते हैं कि उनकी मुलाकात DM से भी हुई। डीएम ने हॉस्टल अथॉरिटी को मौके पर बुलाया और छात्रों के ही सामने फटकार लगाई।
डीएम ने कहा, जब छात्रों की परीक्षाएं चल रही थी, तो फिर उन्हें अवैध बताकर हॉस्टल क्यों सीज करवाया? अब आप लोगों ने जैसे हॉस्टल को सील करवाने के लिए लेटर लिखा था, उसी तरह दोबारा हॉस्टल को खोलने के लिए लेटर लिखो। उस वक्त हॉस्टल प्रशासन ने लेटर लिखने की बात मानी है।
फिलहाल छात्र इस वक्त मानसिक प्रताड़ना झेल रहे हैं। 13 मार्च से उनकी परीक्षा होने वाली है और उनके सारे नोट्स, आईडी कार्ड, एडमिट कार्ड, कपड़े हॉस्टल के कमरे में कैद हैं।
आइए अब सदाकत खान के बारे में जानते हैं…
2 सालों से बिना पैसा दिए रह रहा था सदाकत खान
उमेश पाल हत्याकांड में गिरफ्तार हुए सदाकत खान का मुस्लिम हॉस्टल में दो सालों से कब्जा था। वह कमरा नंबर 36 में रहता था। वह दो साल पहले सीएमपी कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई करने के बाद इलाहाबाद हाईकोट्र में प्रैक्टिस करता था। पिछले साल कमरा नंबर 36 के साथ 38, 65, 72, 98 और 101 नंबर कमरे को सील किया गया था। लेकिन कुछ दिन में ही सदाकत ताला तोड़कर दोबारा रहने लगा था।
हॉस्टल के ही एक छात्र ने बताया कि सदाकत हम लोगों के साथ उठते बैठते थे। अच्छे से बात करते थे। कभी नहीं लगा कि वह इस तरह की क्रिमिनल एक्टिविटी में शामिल होंगे। हालांकि हॉस्टल के ही एक छात्र कहते हैं, हॉस्टल प्रशासन को सब पता था कि कौन छात्र कैसा है। वह समय रहते अवैध छात्रों पर कार्रवाई करते तो छात्रों को इस तरह से दिक्कत ही नहीं होती।