कानपुर देहात के मड़ौली गांव में 13 फरवरी को अतिक्रमण हटाते समय महिला प्रमिला (44) और उसकी 18 साल की बेटी नेहा की जलकर मौत हो गई थी। इस घटना के बाद से पूरे प्रदेश में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। इस मामले की जांच के लिए SIT का गठन किया गया था। जांच के दौरान SIT ने एक ऐसे व्यक्ति के नाम गवाही का नोटिस जारी कर दिया, जिसकी मौत हो चुकी है। मृतिका के बेटे शिवम ने SIT की जांच पर सवाल उठाए हैं।
शिवम का कहना है कि यह कैसी जांच है। इसमें मुर्दों के भी बयान दर्ज किए जा रहे हैं। SIT ने उसे गवाही के लिए भी बुला लिया। पहले तो यही जांच होनी चाहिए कि आखिर मृतक के हस्ताक्षर किसने किए और मृतक के नाम से नोटिस कैसे जारी हो गया? वो कौन पुलिसकर्मी है जो मृतक के साइन करवाकर दस्तावेज ले गया
SDM, लेखपाल और थाना प्रभारी सहित 39 लोगों के ऊपर केस
मड़ौली कांड में परिवार ने SDM, लेखपाल और थाना प्रभारी सहित 39 लोगों के ऊपर मुकदमा दर्ज कराया गया था। मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने JCB चालक और लेखपाल अशोक सिंह को गिरफ्तार कर जेल दिया था। पूरे मामले की जांच के लिए शासन के निर्देश पर SIT गठित की गई थी। SIT को एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट सब्मिट करनी थी। हालांकि अभी जांच जारी है।
इसी मामले में SIT ने गांव के कुछ लोगों को लेटर भेजा था। उनको गवाही के लिए बुलाया गया था। इन सब में SIT की टीम ने एक ऐसे व्यक्ति को भी लेटर भेज दिया है, जिसकी 10 साल पहले ही मौत हो चुकी है। मृतक महिला का बेटा इसी बात को लेकर पूरी जांच टीम को घेर रहा है। जांच प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर रहा है।
पुलिस ने मृतक राम नारायण दीक्षित के साइन दिखाए
SIT की ओर से जारी लेटर में जिक्र किया गया है, “पुलिस का कहना था कि 14 जनवरी को परिवार के लोगों को मकान गिराने की नोटिस दी गई थी। जिस पर परिवार के लोगों ने 5 दिन के अंदर जमीन छोड़ने की बात कही थी। नोटिस पर गांव के कुछ लोगों से भी साइन करवाया गया था, उन्हीं लोगों को इस पूरे मामले में पुलिस ने गवाह बनाया है। पुलिस ने नोटिस में मृतक राम नारायण दीक्षित के भी साइन दिखाए थे। उनको भी बयान दर्ज कराने के लिए लेटर भेजा था।”
इस मामले में गवाही देने के लिए उन लोगों को 20 फरवरी को कानपुर देहात के जिला मुख्यालय पर शिविर कार्यालय निरीक्षण भवन में बुलाया गया था।
पहले पढ़िए SIT ने जो लेटर राम नारायण दीक्षित को भेजा है उसमें क्या लिखा है-
राम नारायण दीक्षित,
निवास ग्राम मडौली, तहसील मैथा
शासन ने 15 फरवरी को राम नारायण दीक्षित के नाम एक पत्र भेजा था। लेटर में लिखा था लिखा- कानपुर देहात के थाना रूरा, तहसील मैथा के ग्राम मड़ौली में ग्राम समाज की जमीन पर श्री कृष्ण गोपाल दीक्षित पुत्र चंद्रिका प्रसाद ने अवैध कब्जा कर रखा था। इसको हटाने में उनकी पत्नी प्रमिला दीक्षित और पुत्री नेहा दीक्षित की झोपड़ी/छप्पर में आग लगने से मौत हो गई।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच समिति गठित की गई है। जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया है कि 14 जनवरी को अवैध जमीन पर से राजस्व और पुलिस टीम द्वारा कब्जा हटाने की कार्रवाई की गई। इसके तहत अतिक्रमणकर्ता ने झोपड़ी को स्वयं हटाने के लिए पांच दिन का लिखित आश्वासन दिया था। इस कार्रवाई के सपोर्ट मीमो पर गवाह स्वरूप आपके द्वारा हस्ताक्षर किए गए हैं।
इस मामले में 20 फरवरी को सोमवार सुबह 10 बजे शिविर कार्यालय निरीक्षण भवन माती कानपुर देहात में उपस्थित होकर जांच समिति के सामने अपना लिखित बयान दर्ज कराने का कष्ट करें।
मृतक के नाम भेजे गए पत्र की संख्या– (362 ख/छ-पु-23-21(35) बी/23) है। इस लेटर में बाद में नाम के आगे पेन से अलग से मृतक लिख दिया गया है।
भूलेख में मृतक के बेटों और पत्नी के नाम दर्ज हो चुकी है जमीन
SIT ने जिस मृतक राम नारायण दीक्षित के नाम से गवाही देने का लेटर जारी किया है। उसकी जमीन भी सरकारी अभिलेखों में उसके बेटों और पत्नी के नाम दर्ज हो चुकी है। यह जमीन वीरेंद्र, पुत्तन और राजेश्वरी के नाम दर्ज है।
उसके बगल में कृष्ण गोपाल दीक्षित की जमीन है। इसके अगल-बगल 1638, 1640, 1642 खसरा नंबर की जमीन है। यही जमीन राम नारायण दीक्षित के बेटों और पत्नी के नाम है।
अब पढ़िए प्रमिला के बेटे शिवम ने राम नारायण दीक्षित को भेजे गए लेटर के बारे में क्या कहा-
शिवम ने जांच टीम पर सवाल उठाते हुए कहा, “मुझे जानकारी मिली है कि जांच टीम ने बयान के लिए मृतक राम नारायण दीक्षित को भी लेटर भेजा है। मृतक राम नारायण दीक्षित मेरे ही परिवार के थे।”
उनकी मौत 10 साल पहले हो चुकी है। ऐसे में ये पता चल रहा है कि टीम इस पूरे मामले की कितनी गंभीरता से जांच कर रही है। यह कैसी जांच हो रही है, जिसमें मुर्दों के भी बयान दर्ज किए जा रहे हैं। घटना को लेकर उनसे भी पूछताछ चल रही है। ये कैसे मुमकिन है। मुझे संदेह है कि आखिर जांच में क्या हो रहा है? SIT को पहले यही जांच करनी चाहिए कि किसी मृत व्यक्तिक के साइन कैसे हो गए? उनकी गवाही कैसे हो सकती है?
शिवम ने बताया, मकान गिराने से पहले जो नोटिस आई थी। उस नोटिस में भी राम नारायण दीक्षित के हस्ताक्षर कराए गए हैं, लेकिन कमाल की बात तो ये है कि राम नारायण दीक्षित की 10 साल पहले मौत हो चुकी थी, तो उन्होंने हस्ताक्षर कैसे कर दिए?
लेखपाल, एसडीएम और पुलिस ने मरे हुए व्यक्ति को नीचे लाकर हस्ताक्षर करवा लिए, ये कैसे संभव हो सकता है। अगर मेरी बात पर भरोसा नहीं हो रहा है तो राम नारायण के बेटे पुत्तन और वीरेंद्र से पता कर लें। वो बता देंगे उनके पिता की मौत कब हुई थी।”
18 फरवरी को गवाही देने का भेजा गया था नोटिस
शिवम ने बताया, ”18 फरवरी को भी राम नारायण दीक्षित को भी लेटर भेजा गया था। पूछताछ के लिए माती बुलाया गया था। मुझे संदेह हो रहा है कि मरे हुए आदमी से पूछताछ कैसे हो गई। ये सब चीजें सामने आने के बाद मैं इस जांच पर बिल्कुल भरोसा नहीं कर सकता हूं।”
राम नारायण का बेटा बोला- टीम को बताया, पापा जिंदा नहीं हैं
इस मामले में राम नारायण दीक्षित के बेटे उत्तम दीक्षित ने बताया, ”घर पर एक लेटर आया था। जिसमें पापा को बयान देने के लिए बुलाया गया था। पापा तो अब जिंदा हैं नहीं, ये मैंने मौके पर जाकर टीम को बता दिया था। पापा को मरे 10 साल हो चुके हैं। ये नोटिस गलती से आया है। इस मामले में मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं जानता हूं।”
ADM बोले-पहले से जो नाम लिखे थे उन्हीं को भेजा नोटिस
मृतक के नाम से लेटर भेजे जाने के मामले में जांच अधिकारी ADM गजेंद्र कुमार का कहना है, ”14 जनवरी को एक स्पॉट मेमो बनाया गया था। उसमें कई लोगों के नाम थे। उस मेमो में जिन लोगों के नाम और साइन थे, उन सभी को नोटिस जारी किया गया है। हो सकता है कि एक ही नाम के और भी लोग हों। जांच में मामला स्पष्ट हो जाएगा।”
कानपुर देहात कांड में मां-बेटी की जिंदा जलकर हो गई थी मौत
कानपुर देहात की मैथा तहसील के मड़ौली गांव में कृष्ण गोपाल दीक्षित के खिलाफ अवैध कब्जा करने की शिकायत थी। 13 फरवरी को एसडीएम मैथा ज्ञानेश्वर प्रसाद पुलिस और राजस्व कर्मियों के साथ गांव में अतिक्रमण हटाने पहुंचे थे।
इस दौरान JCB से नल और मंदिर तोड़ने के साथ ही छप्पर गिरा दिया था। जिससे छप्पर में आग लग गई और वहां मौजूद प्रमिला (44) व उनकी बेटी नेहा (18) की आग की चपेट में आने से जलकर मौके पर ही मौत हो गई थी। जबकि कृष्ण गोपाल गंभीर रूप से झुलस गए थे। घटना के बाद परिवार के लोगों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए थे।