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10 तरह के ड्राईफ्रूट वाला, जोधपुरी ‘प्रेम प्याला’:चक्की जिसके बिना अधूरा है सगाई का दस्तूर, यहीं बनती है सबसे महंगी रोटी

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आपने वो गाना तो सुना होगा…’मैं रमता जोगी….प्रेम का प्याला पी आया’

खैर…’रमता जोगी’ की अपनी लव स्टोरी है, लेकिन आज बात करेंगे खान-पान से प्यार करने वालों यानी फूड लवर्स के बीच फेमस जोधपुर के ‘प्रेम प्याला’ की।

जोधपुर शहर की तंग गलियों में जैसे स्वाद का खजाना बसता है। यही कारण कि जोधपुर के लोग भीतरी शहर के कुंज बिहारी मंदिर के पास स्थित एक रेस्टोरेंट पर जब दुनिया की सबसे यूनिक और महंगी मलाई रोटी खाने आते हैं, तब उन्हें प्रेम प्याला भी परोसा जाता है।

इन्ही गलियों का एक और स्वाद है किटी की चक्की। मंडोर की फेमस चुंटिया चक्की के जायके से तो हम आपको रूबरू करवा चुके हैं, लेकिन आज बताएंगे किटी की चक्की और स्पेशल लड्डुओं के बारे में। चलिए चलते हैं जोधपुर की उन गलियों में जहां मिलता ये बेहतरीन जायका…

तो सबसे पहले चलते हैं विजय रेस्टोरेंट जहां मिलता है ‘प्रेम प्याला’। जैसा नाम-वैसा स्वाद, जो भी इस डिश को खाता है वास्तव में उसको इस डिश से प्यार हो जाता है। यही कारण है कि इसका नाम भी प्रेम प्याला रखा गया है। प्रेम प्याला में फ्रूट क्रीम, ड्राईफ्रूट से बनी सीक्रेट क्रीम और रबड़ी की लेयर डालकर एक मिक्सचर होता है। हर चीज सौ ग्राम के नाप से तीन लेयर रखी जाती है। उपर से केसर डालकर इसे लाजवाब बनाया जाता है।

ठेले से रेस्टोरेंट तक का सफर

रेस्टोरेंट के मालिक विजय भाटी बताते हैं कि उनके पिताजी जवरी लाल भाटी ने 1975 में यहां एक छोटे से ठेले से जायका बेचना शुरू किया था, जो आज एक रेस्टोरेंट बन गया है। आज भी उनके पिता हर फूड को अपने हाथ और देखरेख में बनाते हैं। यही कारण है कि लगभग 47 साल बात भी स्वाद बरकरार रहा है। यहां जो भी पहली बार आता है, स्वाद उसे दूसरी बार भी खींच लाता है।

कुंजबिहारी मंदिर के पास ही कटला बाजार है, जहां जोधपुर का बेहतरीन जायका मिलता है।

यूं तो हर सीजन में इसे पसंद किया जाता है, लेकिन गर्मियां शुरू होते ही प्रेम प्याला की डिमांड ज्यादा रहती है। एक प्याला 220 रुपए में मिलता है जिसमें 300 ग्राम क्वांटिटी रहती है। विदेश से आने वाले सैलानी भी काफी डिमांड करते हैं।

मीडियम मीठा और प्योरिटी रहने से लोगों की पसंद ज्यादा करते हैं। अजमेर के रहने वाले मेहराज खान फिलहाल जोधपुर में काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे महीने में एक बार तो यहां जरूर आते हैं। यहां का प्रेम प्याला उन्हें बेहद पसंद है।

ऐसे रखा गया नाम- ‘प्रेम प्याला’
विजय भाटी के छोटे भाई भरत भाटी ने बताया कि प्रेम प्याला नाम यहां आने वाले लोगों ने ही रखा है। शुरुआती दौर में पिता जी के पास जो कस्टमर आते थे, वह कहते थे आपके यहां सब कुछ स्वादिस्ट है। आप प्रेम से जो परोसोगे वही खा लेंगे। जोधपुर में लंच या डिनर के बाद मीठा खाने के बहुत लोग शौकीन हैं।

ऐसे में पिताजी ने नई डिश तैयार कि जिसमें फ्रूट क्रीम, मेवा यानी ड्राई फ्रूट जिसमें खासकर बादाम, खस या बाकी चीजों को मिलाकर, फिर उसमें लच्छेदार मलाई वाली रबड़ी को मिक्स कर नई डिश तैयार कर दी। इसे प्रेम से परोसी गई तब से इसका नाम ‘प्रेम प्याला’ पड़ गया।

ड्राईफ्रूट से रिच बनाने के लिए मेवा रबड़ी बनाते हैं। एक किलो आइटम में करीब 300 ग्राम बादाम, 200 ग्राम काजू, 50 ग्राम पिस्ता और अंजीर, 30 ग्राम चिरौंजी और खुरबानी सहित 10 से ज्यादा टाइप के मेवे डालते हैं।

जवरी लाल भाटी ने बताया कि प्योर दूध से रबड़ी में बनती है और कई दिन तक खराब नहीं होती। पहले इसी जगह पर 27 साल तक ठेला लगाया, 2002 से रेस्टोरेंट शुरु किया तब से लोगों का स्नेह बहुत मिला। ग्राहक को जब मनचाहा स्वाद मिलता है तो पैसों से कॉम्प्रोमाइज नहीं करते।

ऑफलाइन और ऑनलाइन 100 से ज्याद ऑर्डर डेली के मिल जाते हैं। श्रीयश गौड़ ने बताया कि यहां जिस प्रेम से यहां प्रेम प्याला सर्व किया जाता है उसके सभी मुरीद हो जाते हैं। क्ववालिटी से कॉम्प्रोमाइज नहीं होता इसलिए स्वाद बरकरार रहता है।

किट्टी की चक्की व लड्‌डू, मारवाड़ की परंपरा से जुड़ी मिठाई
मारवाड़ में किट्टी की चक्की व लड्‌डू की डिमांड साल में 12 महीने रहती है। किट्टी यानी मावा। मावे की घी में सिकाई से इसे तैयार किया जाता है। लेकिन स्वाद में यह अलवर की फेमस कलाकंद और मिल्क केक से कहीं अलग होती है। बिना फ्रीज यह मिठाई 10 दिन तक खराब नहीं होती है। इसलिए शहर से बाहर जाने वाले लोग भी इसे पैकिंग कर ले जाते है।

इसके बिना अधूरा सगाई का दस्तूर
सगाई का दस्तूर अधूरा माना जाता है। मारवाड़ में जब भी कोई नया रिश्ता बनता है, तो लड़की के परिवार वालों की तरफ से लड़के वालों को शगुन के तौर पर किट्टी की चक्की दी जाती है। लड़के वाले इसी मिठाई को अपने रिश्तेदारों में बेटे का रिश्ता तय होने की खुशी में बांटते हैं। यह परंपरा मारवाड़ में सालों से चली आ रही है।

बनाने का तरीका भी कलाकंद से अलग
किट्टी की चक्की बनाने के लिए दूध को ज्यादा उबालकर मावा यानि किट्टी बनाई जाती है। अब तैयार किट्टी को छलनी से छान कर बिल्कुल बारीक और मुलायम किया जाता है। मावा को छानने के बाद उसकी घी में सिकाई होती है।

इसके बाद शक्कर डाली जाती है। ब्राउन होने तक सिकाई करने के बाद ड्राई फ्रूट मिक्स कर लेते हैं। अब तैयार मिक्सचर को थाल में जमाकर चक्की के आकार में कटिंग की जाती है। किट्टी के लड्‌डू में भी यही तरीके से तैयार किया जाते हैं।

जवरीलाल भाटी और उनके छोटे बेटे। किट्टी बर्फी का जोधपुर से नाता सदियों पुराना है। यहां शादियों में सगाई की रस्म इसी मिठाई से अदा होती है।

विजय भाटी बताते हैं कि किट्टी की चक्की हर सीजन में खाई जाती है। यहां लड्डूओं की खास डिमांड शादियों के सीजन में ज्यादा आती है। मोहम्मद इमरान का कहना है कि प्रेम प्याला की बात ही निराली है। साथ ही यहां का हर एक फूड का टेस्ट लाजवाब है। वह परिवार के साथ यही खाने आते है।

आगे बढ़ने से पहले देते चलिए आसान से सवाल का जवाब…

दूध से बनने वाली सबसे मंहगी रोटी, कीमत- 1000 रुपए तक
आमतौर पर रोटी आटे, बेसन या किसी प्रकार के अनाज से बनाई जाती है। लेकिन जोधपुर में मलाई रोटी अपने आप में युनिक है। इसे बनाने में मलाई का उपयोग होता है। यह दिखती रोटी जैसी है, लेकिन इसकी मिठास ऐसी है कि एक बार किसी ने इसका स्वाद चख लिया तो दूसरी बार इसे खाने से नहीं चूकता है।

खास बात यह है कि सालों से केवल एक ही व्यक्ति इसे बनाता है। इसे बनाने का फॉर्मूला सीक्रेट है, जहां हलवाई इसे तैयार करता है, वहां किसी को जाने नहीं दिया जाता।

इस मिठाई के बनने की कहानी बड़ी रोचक है। रेस्टोरेंट के संचालक विजय भाटी ने बताया कि उनके पिता जवरीलाल भाटी ने 1982 में इसकी रेसिपी को तैयार किया था। घर में बनी रसोई में दूध उबालने के बाद बनी मलाई को अलग रख दिया गया। इसके बाद इसे कवर किया।

थोड़ी देर बाद उसका शेप रोटी की तरह हो गया। इस पर उन्होंने एक छोटा सा प्रयोग किया। उसे गोल काट कर घी में तल दिया और चाशनी में डुबा दिया। जब उसे टेस्ट किया तो उसका अलग टेस्ट आया। इसे नई मिठाई की तरह लांच किया गया। शुरुआत में मिठाई की डिमांड कम थी तो इसे केवल सर्दियों में बनाते थे, लेकिन इसके बाद इतनी डिमांड बढ़ गई कि हर सीजन में इसे तैयार किया जाता है।

मलाई रोटी का स्वाद कई घंटों तक मुंह से नहीं जाता। यह एक्सीडेंटल मिठाई है। एक बार कोई जानवर घुस आया तो जवरीलाल ने प्याली फेंककर मारी। यह प्याली दूध से भरी कड़ाई में जा गिरी। जब उसे हटाया तो वहां रोटी की शेप में मलाई जम गई थी। यहीं से मलाई रोटी का जन्म हुआ।

गिरीश भागचंदानी नाम के एक कस्टमर ने बताया कि 1980 से इस रेस्टोरेंट में आ रहा हूं। यहां मलाई रोटी व अन्य खाने का स्वाद यहां बहुत ही लाजवाब है। मीना जैन ने बताया कि जोधपुर से मकराना शिफ्ट हो गए है लेकिन यहां के स्वाद की मन में आती है। इसलिए प्रेम प्याला व मलाई रोटी का ऑर्डर किया है ताकि अपने साथ ले जा सकूं।

एक किलो रोटी की कीमत 1000 रु
विजय भाटी ने बताया कि रोजाना 15 किलो दूध से इसे बनाया जाता है। इतने दूध में करीब एक से डेढ़ किलो रोटी बनती है। एक रोटी का वजन 100 से 150 ग्राम का होता है। 100 ग्राम का 100 रुपए लेते हैं। यानी 1000 रुपए किलो का भाव इस मिठाई का रहता है। डेली सेल 40 से 50 रोटी की होती है। इसे रबड़ी के साथ सर्व किया जाता है।

ज्यादातर रीडर्स ने मूंग दाल के लड्डू पर क्लिक किया। लेकिन असल में ये हैं सवाईमाधोपुर के फेमस खरबूजे के लड्डू। गर्मी के मौसम में खरबूजे की आवक होते ही हलवाई तैयारी में जुट जाते हैं। शहर के सिनेमा गली चौराहा, न्यू मार्केट, पुलिस चौकी और सदर बाजार में 10-12 स्वीट शॉप हैं, जहां इन दिनों खरबूजे के लड्डू तैयार होने लगते हैं।

आमतौर पर होली से ही इसका सीजन शुरू होता है। अप्रैल, मई, जून और जुलाई महीने में खरबूजे की पैदावार होने तक ये लड्डू बनाए जाते हैं।

100 साल पुराना है जायका
मिठाई कारोबारी राधे कुमार सैनी बताते हैं कि सवाई माधोपुर में इसकी शुरुआत किसने की यह कहना मुश्किल है। लेकिन जायका करीब 100 साल पुराना है। यहां हलवाई हमेशा से मिठाइयों पर प्रयोग करते रहे हैं। पहले इसे हलवे की तरह बनाया जाता था

अब इसे लड्डुओं की शक्ल दी गई है। वे 12 साल की उम्र से लड्डू तैयार कर रहे हैं। इसे बनाने की कला उन्होंने अपने पिता से सीखी। पूरे शहर में केवल 10-12 हलवाई ही इसे बनाने की कला जानते हैं।

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