नेताओं-अफसरों की जासूसी करवाने के मामले दिल्ली के डिप्टी CM मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। गृह मंत्रालय ने बुधवार को केजरीवाल सरकार की फीडबैक यूनिट के जरिए जासूसी कराने के आरोपों पर सिसोदिया के खिलाफ CBI जांच की मंजूरी दे दी है।
भाजपा ने सिसोदिया पर आरोप लगाया था कि उन्होंने दिल्ली सरकार की ‘फीडबैक यूनिट’ के जरिए केंद्र सरकार के मंत्रालयों, विपक्षी दलों, विभिन्न संस्थाओं और लोगों की जासूसी कराई। आम आदमी पार्टी (AAP) ने साल 2015 में दिल्ली में सरकार बनाने के बाद इस यूनिट का गठन किया था। विजिलेंस विभाग के मंत्री होने के नाते सिसोदिया पर ये आरोप लगाए गए हैं।
दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना केंद्र सरकार से इस मामले की जांच CBI से कराने की अनुशंसा कर चुके हैं। इसके बाद CBI ने मुकदमा दर्ज करने की अनमुति केंद्र सरकार से मांगी थी। गृह मंत्रालय की ओर से 17 फरवरी की तारीख से जारी चिट्ठी में सिसोदिया के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति दी गई है।
भाजपा का आरोप- AAP छिपकर बातें सुन रही
भाजपा सांसद मनोज तिवारी इस मामले केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था- दिल्ली की फीडबैक यूनिट जासूसी कर रही है। AAP छिपकर बातें सुन रही है। AAP के नेता दिल्ली के लिए काम नहीं कर रहे, बल्कि दिल्ली के टैक्सपेयर्स के पैसों का इस्तेमाल अवैध तरीके से जासूसी करवाने में करते हैं। भाजपा ने बुधवार को ITO से सचिवालय तक विरोध मार्च भी निकाला था।
AAP ने कहा- आरोप पूरी तरह से झूठे हैं
वहीं, इस मामले पर आम आदमी पार्टी ने भाजपा के आरोपों को झूठ का पुलिंदा बताया है। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा- अपने प्रतिद्वंदियों को झूठे केस में फंसाना कमजोर और कायर इंसान की निशानी है। जैसे जैसे आम आदमी पार्टी बढ़ेगी, हम पर और भी बहुत केस किए जाएंगे।
CBI की शुरुआती जांच के दायरे में फीडबैक यूनिट, 4 पॉइंट में पूरा मामला समझें…
- केजरीवाल सरकार ने 2015 में बनाई फीडबैक यूनिट: 2015 विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने के बाद अरविंद केजरीवाल ने एक फीडबैक यूनिट (FBU) बनाई। इसका काम विभागों, संस्थानों, स्वतंत्र संस्थानों की निगरानी करना था और यहां के कामकाज पर प्रभावी फीडबैक देना था, ताकि इस आधार पर जरूरी सुधारों का एक्शन लिया जा सके।
- राजनीतिक खुफिया जानकारी जुटाने में लग गई FBU: CBI की शुरुआती जांच में सामने आया है कि FBU को जो काम दिया गया था, वह उसके अलावा खुफिया राजनीतिक जानकारियां जुटाने में भी लग गई। वह किसी व्यक्ति की राजनीतिक गतिविधियों, उससे जुड़े संस्थानों और AAP के राजनीतिक फायदे वाले मुद्दों के लिए जानकारी जुटाने लगी।
- 700 केसों की जांच FBU ने की: इनमें 60% राजनीतिक CBI के मुताबिक, अभी यह साफ नहीं कि FBU अभी भी एक्टिव है या नहीं। FBU ने अब तक 700 केसों की जांच की, इनमें 60% राजनीतिक थे या फिर ऐसे, जिनका निगरानी से कोई लेनादेना नहीं है।
- विजिलेंस अफसर की शिकायत पर जांच: 12 जनवरी को रिपोर्ट सौंपी 2016 में विजिलेंस डिपार्टमेंट में काम कर रहे एक अफसर की शिकायत पर CBI ने जांच शुरू की थी। 12 जनवरी 2023 को CBI ने विजिलेंस डिपार्टमेंट में रिपोर्ट दाखिल की। एजेंसी ने उप-राज्यपाल वीके सक्सेना से दिल्ली के डिप्टी CM मनीष सिसोदिया के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की है। CBI ने 2016 में विजिलेंस डायरेक्टर रहे सुकेश कुमार जैन और कई अन्य पर केस दर्ज करने की इजाजत मांगी है। सूत्रों के मुताबिक LG सक्सेना ने अब इस मामले को राष्ट्रपति के पास भेज दिया है।
CBI जांच के लिए गृह मंत्रालय से क्यों लेनी पड़ी अनुमति?
सीनियर एडवोकेट और कानूनी जानकार विराग गुप्ता ने बताया कि चूंकि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है, इसलिए राज्य की चुनी हुई सरकार उपराज्यपाल और केंद्र सरकार के अधीन आती है। CBI का गठन भी दिल्ली पुलिस के नियमों के तहत किया गया है। ऐसे में दिल्ली के किसी भी मंत्री या अधिकारी की जांच की अनुमति उपराज्यपाल और केंद्र सरकार से लेनी पड़ती है। दिल्ली पुलिस गृह मंत्रालय के अधीन काम करती है। यही वजह है कि CBI को उपराज्यपाल के जरिए गृह मंत्रालय से अनुमति लेनी पड़ी।