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इंदिरा ने माफी मांगी तो सदन में सन्नाटा छाया, निर्मला की तबीयत बिगड़ी तो राजनाथ बोले- अब मत पढ़िए, बैठ जाइए

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बजट बोरिंग होता है, पर इसके मोमेंट्स अब तो सोशल पर भी ट्रेंड करने लग जाते हैं। अब आप इस तस्वीर को ही देख लीजिए…

वित्त मंत्री निर्मला की यह फोटो हलवा सेरेमनी की है। पिछले दो साल कोरोना की वजह से यह सेरेमनी नहीं हुई थी।
वित्त मंत्री निर्मला की यह फोटो हलवा सेरेमनी की है। पिछले दो साल कोरोना की वजह से यह सेरेमनी नहीं हुई थी।

हालांकि, ऐसा नहीं है कि ऐसी कहानियां अभी बनने लगी हैं। पहले भी होती थीं। मसलन, इंदिरा का सिगरेट टैक्स बेइंतहा बढ़ाने से पहले सदन को सॉरी बोलना। मनमोहन सिंह जैसी कठोर शख्सियत का शेर-ओ-शायरी पर उतर आना। और निर्मला का बजट पढ़ते-पढ़ते बीमार हो जाना।

1947 से अब तक संसद ने 73 आम बजट और 14 अंतरिम बजट देखा है। इंदिरा के बाद निर्मला दूसरी महिला हैं जिनके जिम्मे वित्त मंत्रालय है और वो चार साल से देश का बजट बना रही हैं।

2020 में 2 घंटे 41 मिनट तक बोलकर उन्होंने सबसे लंबी बजट स्पीच का रिकॉर्ड बनाया था। बीमार भी तभी पड़ी थीं। तो आज ऐसे ही कुछ बजट मोमेंट्स और दो कहानियां……

टैबलेट से पढ़ी स्पीच, फिर पेपर भी उठाया: तीन साल हुए जब से निर्मला पेपरलेस बजट ला रही हैं। वाकया 2022 का है, निर्मला टैबलेट देखकर बजट पढ़ रही थीं। करीब 1 घंटे 20 मिनट के बाद GST के आंकड़े बताने के लिए पेपर उठाना पड़ा। उन्हीं का संकल्प टूट गया।

निर्मला ने पूरा बजट टैबलेट पर पढ़ा। GST के आंकड़े बताने के लिए पेपर उठाया।
निर्मला ने पूरा बजट टैबलेट पर पढ़ा। GST के आंकड़े बताने के लिए पेपर उठाया।

कोरोना के लिए नियम तो बने, पर दूरी नहीं: 2022 में कोरोना के नियम तो बने, लेकिन सदन में सोशल डिस्टेंसिंग नहीं दिखी। डेस्क के सामने फाइबर सीट लगाई गई। प्रधानमंत्री समेत सभी सांसद मास्क पहने दिखे।

सदन में कोरोना नियमों का पालन तो हुआ, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग नहीं दिखी।
सदन में कोरोना नियमों का पालन तो हुआ, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग नहीं दिखी।

बोलते-बोलते बीमार पड़ गईं वित्त मंत्री: करीब ढाई घंटे बोलने के बाद निर्मला की तबीयत बिगड़ गई। हरसिमरत कौर उनके पास मदद के लिए पहुंचीं। कुछ दवा खोलकर भी दी। बाईं ओर सबसे करीब में बैठे राजनाथ सिंह बजट पढ़ने से मना करने लगे, लेकिन निर्मला ने फिर से पढ़ना शुरू किया, लेकिन आखिरी दो पन्ने पढ़े बिना बैठ गईं। ये वाकया 2020 के बजट का है।

निर्मला की तबीयत बिगड़ गई। हरसिमरत कौर ने दवा दी।
निर्मला की तबीयत बिगड़ गई। हरसिमरत कौर ने दवा दी।

सांसद ऊबते दिखे, कुछ ने झपकी ली: जैसे-जैसे 2020 का भाषण लंबा होता गया, सांसद भी ऊबते नजर आए। कुछ ने झपकी ले ली, लेकिन कैमरे का ख्याल आते ही झट से जाग भी गए। किसी को पास बैठे साथी ने थपकी से जगाया।

निर्मला बजट पढ़ रही थीं। पीछे बैठे गजेंद्र सिंह शेखावत झपकी ले रहे थे।
निर्मला बजट पढ़ रही थीं। पीछे बैठे गजेंद्र सिंह शेखावत झपकी ले रहे थे।

सूटकेस की जगह बहीखाता: इंदिरा के बाद निर्मला दूसरी महिला थीं , जो बजट पेश कर रही थीं। 2019 के आम बजट में उनकी चर्चा एक परंपरा तोड़ने की वजह से हुई। वे जब मंत्रालय से निकलीं तो उनके हाथ में सूटकेस नहीं बल्कि बहीखाता था। जैसे लाल कपड़े में बहीखाता बजट लेकर निकलीं, टीवी पर ब्रेकिंग चलने लगी। सोशल मीडिया पर उनके फोटो शेयर होने लगे।

अब 2 रोचक किस्से: इंदिरा की माफी, देसाई के 2 जन्मदिन पर 2 बजट

1964 और 1968 दो बार ऐसा हुआ: ये भी गजब संयोग है। किसी वित्त मंत्री को अपने जन्मदिन पर बजट पेश करने का मौका मिले। 29 फरवरी को गुजरात के वलसाड़ में जन्मे मोरारजी देसाई के साथ ऐसा ही हुआ। 1964 और 1968 की 29 फरवरी को वित्त मंत्री के तौर पर बजट स्पीच दी। उन्होंने कुल 10 बार बजट पेश किया है। इसमें से 8 पूर्ण और 2 अंतरिम बजट थे।

यह फोटो मोरारजी देसाई का है। उन्होंने 10 बार बजट पेश किया। उनका यह रिकॉर्ड कोई नहीं तोड़ पाया है।
यह फोटो मोरारजी देसाई का है। उन्होंने 10 बार बजट पेश किया। उनका यह रिकॉर्ड कोई नहीं तोड़ पाया है।

बड़ा फैसला लेने के पहले इंदिरा की माफी: 1970 में इंदिरा गांधी PM थीं। मोराराजी देसाई के अचानक इस्तीफा देने से इंदिरा ने वित्त मंत्रालय अपने हाथ में ले लिया और 28 फरवरी को बजट पेश करने पहुंचीं। लोग सख्त फैसलों की उम्मीद कर रहे थे। वे स्पीच के लिए खड़ी हुईं तो तालियां बजीं, लेकिन उनके ‘मुझे माफ करिएगा’ बोलते ही सन्नाटा पसर गया। सब हैरानी से एक दूसरे की तरफ देखने लगे। इंदिरा मुस्कुराईं और दोहराया, ‘माफ करिएगा, मैं इस बार सिगरेट पीने वालों के जेब पर बोझ बढ़ाने वाली हूं।’ पक्ष-विपक्ष को तब मामला समझ आया। गांधी ने सिगरेट पर लगे 3% टैक्स को बढ़ाकर 22% कर दिया। सिगरेट पर एक बार में 633% टैक्स बढ़ गया। सदन में बैठे लोग मेज थपथपाने लगे।

इंदिरा गांधी देश की पहली महिला वित्त मंत्री।
इंदिरा गांधी देश की पहली महिला वित्त मंत्री।

मनमोहन का शायराना बजट में बिस्मिल और इकबाल: गंभीर और इंटेलेक्चुअल इमेज वाले मनमोहन सिंह ने भी अपने 1991 और 1992 के बजट में कविताओं और अल्लामा इकबाल की शायरी का जिक्र किया।

यूनान, मिस्र, रोम सब मिट गए जहां से,

अब तक मगर हैं बाकी, नामो निशां हमारा॥

कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी,

सदियों रहा है दुश्मन, दौर ए जहां हमारा॥

मनमोहन ने 1992 में अपनी बजट स्पीच कविता से खत्म की। बिस्मिल अज़ीमाबादी की कविता का जिक्र किया।

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है

मनमोहन सिंह 1991 से 1996 के बीच 6 साल वित्त मंत्री रहे।
मनमोहन सिंह 1991 से 1996 के बीच 6 साल वित्त मंत्री रहे।

अब किस्से बजट के बाद के….जब नरसिम्हा राव ने चंद्रशेखर से कहा- वित्त मंत्री तो आपका ही आदमी है

पीवी नरसिम्हा राव और चंद्रशेखर।
पीवी नरसिम्हा राव और चंद्रशेखर।

1991 में PM पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह थे। उनका यह बजट देश में उदारीकरण की शुरुआत के लिए चर्चा में रहा। बजट में ऐलान के बाद बहस शुरू हो गई। विरोध भी हुआ।

विनय सीतापति ने नरसिम्हा राव की बायोग्राफी ‘द मैन हू रीमेड इंडिया’ में इस बजट से जुड़ा एक किस्सा लिखा है। किताब के मुताबिक ‘1991 के बजट का पहला दस्तावेज मनमोहन ने नरसिम्हा राव को दिखाया तो उनका जवाब था, ‘क्या मैंने तुम्हें इसलिए ही चुना था।’

दरअसल ये बजट का ड्राफ्ट समाजवादी सुधारों से प्रभावित था। मनमोहन को यही बात चुभ गई। 24 जुलाई 1991 को बजट पेश करते हुए उन्होंने बजट भाषणों के इतिहास का सबसे लंबा भाषण दिया। ये 18,650 शब्द लंबा था। हालांकि, जैसे ही भाषण खत्म हुआ संसद में बवाल मच गया। कम्युनिस्ट से लेकर BJP और समाजवादी सब इसके विरोध में थे।’

इसी दौरान पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने कहा, ऐसे ही ईस्ट इंडिया कंपनी भी भारत आई थी और देश गुलाम हो गया। इस पर प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने उन्हें बीच में टोकते हुए कहा- ‘चंद्रशेखर जी, मैंने तो आपके आदमी (मनमोहन सिंह) को ही वित्त मंत्री बनाया है। फिर आप क्यों आलोचना कर रहे हैं।’

चंद्रशेखर ने नरसिम्हा राव को जवाब दिया, ‘नरसिम्हा राव जी, बात तो आपकी सही है, लेकिन जिस चाकू को हम सब्जी काटने के लिए लाए थे, उससे आप हार्ट का ऑपरेशन कर रहे हैं।’ इसके बाद सब हंसने लगे।

अब आखिर में

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…

निर्मला की 10 से 2000 के नोट जैसी साड़ियां:साड़ी को शान मानतीं वित्तमंत्री संबलपुरी, इकत, कांजीवरम की शौकीन; काले रंग से परहेज

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पास साड़ियों का खूबसूरत कलेक्शन है। उनकी साड़ियों के रंग अक्सर देश की करेंसी से मेल खाते दिखते हैं। वह कई मौकों पर 10 रुपए से लेकर 2,000 रुपए के नोट के रंग की मैचिंग साड़ी में नजर आती हैं।

सीतारमण का 5वां बजट, हर बार कुछ नया लेकर आईं:8 साल बाद इनकम टैक्स में छूट बढ़ने की उम्मीद

1 फरवरी 2019 की यह तस्वीर इतिहास बन गई, जब सीतारमण ब्रीफकेस में बजट की जगह बहीखाता लेकर संसद पहुंचीं।
1 फरवरी 2019 की यह तस्वीर इतिहास बन गई, जब सीतारमण ब्रीफकेस में बजट की जगह बहीखाता लेकर संसद पहुंचीं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सुबह 11 बजे लोकसभा में अपना पांचवां और देश का 75वां बजट पढ़ेंगीं। पिछले 4 बजट में उन्होंने कुछ न कुछ नया किया है। चाहे वो ब्रीफकेस से बही-खाता हो, पेपर लेस बजट हो या फिर सबसे लंबा बजट भाषण। 8 साल हुए, तब से कुछ नहीं बदला

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