मकर संक्रांति का जोश सुबह की पहली किरण से ही देखने को मिल रहा है। आज मौसम भी पतंगबाजों का साथ निभा रहा है। कोहरे का असर काफी कम है और हवा पतंगबाजी के लिए एकदम सटीक कॉम्बिनेशन बना रही है।
आगे दिन में भी अच्छी धूप निकलने के साथ हवा चलती रहेगी। हवा का डायरेक्शन ईस्ट-साउथ दिशा में रहेगा। हालांकि, आज सर्दी थोड़ी ज्यादा रह सकती है। क्योंकि संक्रांति से ही शीतलहर को लेकर अलर्ट भी है।
इधर, शुक्रवार को बाजारों में जबरदस्त रौनक देखने को मिली। देर रात तक बाजार में पतंग के खरीदार नजर आए। इसके चलते परकोटा के हांडीपुरा और अन्य जगहों पर पतंगों का मार्केट चरम पर है। पतंग विक्रताओं और एसोसिएशन की मानें तो इस बार रिकॉर्ड 15 करोड़ की पतंग जयपुर में बिकी हैं।
सुबह 5 बजे से ही जयपुर शहर में डीजे पर गानों की धुन सुनाई देने लगी। सुबह से ही पतंगबाज छतों पर चढ़ पतंगबाजी का आनंद लेने लगे। वहीं सुबह मंदिरों में सुबह की आरती के साथ दान-पुण्य के काम भी शुरू हुए।
इधर, टोंक में आज के दिन 12 गांवों के खिलाड़ी बताएंगे कि इस साल मौसम कैसा रहने वाला है। टोंक जिले के आवां गांव में यह अनोखा खेल मकर सक्रांति के दिन खेला जाता है। कोरोना के बाद तीसरे साल शनिवार को यह दड़ा खेला जाएगा। इससे पहले दड़ा 2020 की मकर संक्राति को खेला गया था। यह खेल उस वक्त पूरे देश में चर्चा में आया था, जब इसे 1992 में दूरदर्शन के प्रसिद्ध सीरियल ‘वर्ल्ड ऑफ स्पोर्ट्स’ में दुनिया के अजीबो-गरीब खेल के रूप में दिखाया गया था।
वहीं, इस बार कोरोना के बाद पतंगों की प्राइज में भी 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली है। मार्केट से मिली जानकारी के अनुसार इस बार भी देश के अलग-अलग हिस्सों से बनी पतंगों और मांझे को बेचा जा रहा है, लेकिन इस बार जयपुर में बनी पतंगों का क्रेज सबसे ज्यादा देखने को मिला। तीन हजार से ज्यादा लोग पतंग बनाने में जुटे थे।
इधर, सरकार की भी सख्ती
इधर, सरकार की ओर से पूर्व में ही सख्ती लागू कर दी थी। सरकार ने पूर्व में आदेश जारी कर सुबह और शाम के समय पतंगबाजी पर रोक लगा दी थी। लेकिन, इसके बाद भी लोगों में जबरदस्त क्रेज देखने को मिला। हांडीपुरा में पतंग का बिजनेस करने वाले इमरान ने बताया- मार्केट में अलग-अलग तरह की पतंगे बनी हुई हैं। एक साल बाद चुनाव है, ऐसे में राजस्थान के राजनेताओं की फोटो वाली पतंगे सबसे ज्यादा बनी है।
बैटरी से चलने वाली फिरकी
पतंग और फिरकी को बेचने वाले अहमद कुरैशी ने बताया- इस बार जयपुर में ऑटोमैटिक फिरकी को भी बेचा जा रहा है। इसमें एक बटन दबाने से डोर ऑटोमेटिक लपटने लगता है। अमूमन पतंगबाज हाथ के जरिये अपनी लंबी डोर फिरकी घुमाकर समेटता है, लेकिन यह बैटरी संचालित फिरकी इसी साल पहली बार मार्केट में आई है। इसके आलावा भी ड्रेगन, अप्पू, चांद, बार्बी डोल, प्रिटेंड पतंग और मोदी पतंग लोग खरीद रहे है।
गृह विभाग ने जारी कर रखी है गाइडलाइन
हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए गृह विभाग ने समय को लेकर एडवाइजरी जारी कर रखी है। गृह विभाग ने सभी कलेक्टरों को धारा 144 के प्रावधानों के हिसाब से सुबह 6 से 8 बजे और शाम को 5 से 7 बजे तक पतंगबाजी पर रोक लगाने को कहा है। कई जिलों में कलेक्टर इससे संबंधित आदेश पहले ही जारी कर चुके हैं।
गृह विभाग की एडवाइजरी में सुबह शाम पतंगबाजी पर रोक लगाने के पीछे पतंग उड़ाने में चाइनीज मांझा, प्लास्टिक, सिंथेटिक मांझा, आयरन, ग्लास के धागों का उपयोग करने से पक्षियों और आम लोगों के जीवन पर खतरे का हवाला दिया गया है। प्रदेश में पिछले दिनों कई जगहों पर चाइनीज मांझे से गला कटने की घटनाएं हो चुकी हैं।
देर रात तक पतंगों की जमकर खरीदारी
कोरोना के बाद इस बार मकर संक्रांति को लेकर जयपुर में खासा क्रेज देखने को मिला। शनिवार रात 12 बजे बाद तक भी पतंगों के मार्केट खुले रहे। लोग पसंद की पतंगे और मांझे खरीदते दिखे। परकोटा के हांडीपुरा और अन्य जगहों पर रिकॉर्ड ब्रिकी हुई।
व्यापारियों के मुताबिक मकर संक्रांति तक 15 करोड़ तक की पतंगऔर मांझा बिका। इस बार कोरोना के बाद पतंगों की प्राइज में भी 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली है। इस बार भी देश के अलग-अलग हिस्सों से बनी पतंगों और मांझे को बेचा जा रहा है, लेकिन इस बार जयपुर में बनी पतंगों का क्रेज सबसे ज्यादा देखने को मिला। तीन हजार से ज्यादा लोग पतंग बनाने में जुटे थे।
14 और 15 दो दिन सेलिब्रेशन
पतंगबाजी और दान पुण्य का पर्व मकर संक्रांति 14-15 जनवरी को ही मनाया जा रहा है। हालांकि, मकर संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को रहेगा। वहीं, पतंगबाजी एक दिन पूर्व रवियोग, द्विपुष्कर योग सहित अन्य योग संयोगों में 14 जनवरी को ही माना गया है।
ज्योतिषियों के मुताबिक सूर्योदय के साथ पूर्वान्हकाल में जो पुण्यकाल रहता है वह विशेष फलदायी है। दो साल बाद पुण्यकाल माघ कृष्ण अष्टमी रविवार 15 जनवरी को रहेगा। ऐसे में पर्व का उल्लास दो दिन रहेगा। सूर्य इस बार 14 जनवरी को रात 8.45 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
पुण्यकाल अगले दिन दोपहर 12.45 बजे तक रहेगा। शास्त्रानुसार सूर्य उदयकालीन पुण्यकाल को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। मकर संक्रांति लगने से पूर्व पुण्यकाल 6.24 घंटे पहले पुण्यकाल शुरू होता है। शास्त्रानुसार संक्रांति प्रवेश के बाद 16 घंटे पुण्यकाल रहेगा।
ज्योतिष विशेषज्ञों की मानें तो तिल, गुड, कंबल, काले वस्त्र, उनी वस्त्र साथ-साथ धार्मिक पुस्तकों का दान विशेष महत्व रखता है। साथ ही गोसेवा करना विशेष फलदायी है। ऐसे में लोगों ने खूब दान किया।