अपने पीहर को याद कर रहीं बेटियों के लिए आज का दिन खास है। बाड़मेर में आज से तीन दिन तक चलने वाले ऐसे आयोजन की तैयारियां चल रही है जो पहले कभी नहीं हुआ है। पचपदरा में होने वाले इस आयोजन को ‘बाबुल की गलियां’ नाम दिया गया है।
खास बात ये है कि बहन-बेटियों के आने की खुशी में भाई और भाभियां तैयारियां में जुटी हुई हैं। वहीं गुरुवार को 1 हजार बेटियों की शोभायात्रा निकाली जाएगी।
आयोजन में देश के विभिन्न शहरों के अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, दुबई आदि देशों में ब्याही गईं या रह रहीं पचपदरा कस्बे की एक हजार से ज्यादा बेटियां पीहर पहुंच रही हैं। इनमें बहुत सी तो ऐसी भी हैं, जो पिछले 20-30 बरसों से यहां नहीं आई थीं।
आयोजन के प्रति बेटियों में उत्साह ऐसा है कि उम्र भी बाधक नहीं बन रही। कुछ तो 80-90 साल तक की बुजुर्ग हो चली बेटियां भी अहमदाबाद और चेन्नई तक से आ रही हैं। ताकि एक बार बाबुल की उन गलियों में फिर से घूम सकें, जहां खेलते-कूदते वे बड़ी हुई थीं और फिर वो गलियां पीछे छूट गईं।
छोटे कस्बे में सबसे बड़ा और अनूठा आयोजन
रोडवेज यात्रा के इस सफर में भास्कर टीम इस बार बाड़मेर पहुंची। पता चला जिले के छोटे से कस्बे में यह भव्य आयोजन हो रहा है। पता करने निकले तो हॉस्पिटल रोड पर स्थित मुकन भवन का पता बताया गया। यहां उल्लासपूर्ण माहौल में संगीत के साथ मेहंदी लगाने का कार्यक्रम चल रहा है।
टीम यहां ममता तलेसरा और भावना ढिलड़िया से मिली। दोनों पांच दिन से यहीं हैं। दोनों बहने हैं। ममता मुंबई में रहती हैं और भावना इचलकरंजी में। ममता ने बताया- पिछले साल अगस्त में हम कर्नाटक के होस्पेट में एक शादी में गए थे। वहां हम दोनों बहनों की बातों-बातों में ही यह आइडिया आया था।
तभी एक वाट्सऐप ग्रुप बनाया और विभिन्न शहरों में रहने वाली पचपदरा की बेटियों से इस बारे में विचार मांगे। रेस्पॉन्स बहुत जबरदस्त था। अगले 15 दिनों में 500-600 बेटियां हमारे ग्रुपों में जुड़ गईं और अब तक एक हजार से ज्यादा।
पूरे गांव ने उठाया कार्यक्रम को सफल बनाने का जिम्मा
अब चुनौती यह थी कि कार्यक्रम क्या करें और कैसे करें? भाइयों से बात की तो उन्होंने गांव में पूरा आयोजन करने का जिम्मा उठाया। इसके बाद हर शहर में 3-3 वॉलंटियर बनाकर सबको बुलाने की तैयारियां शुरू की गई।
सभी बेटियों से रजिस्ट्रेशन के साथ 1100-1100 रुपए फीस ली गई। जब पचपदरा के लोगों को इस आयोजन का पता लगा तो अलग-अलग लोगों ने आयोजन का खर्च उठाने की जिम्मेदारी ले ली। ऐसे में बेटियों ने तय किया कि इकठ्ठा हुआ पैसा किसी अच्छे काम में लगाया जाए।
आखिर पचपदरा में एक पक्षियों के भव्य चुग्गा घर का निर्माण करवाने का फैसला किया गया जो बेटियों की ओर से कस्बे को सौगात होगा।
साफा पहनाकर निकाली जाएगी शोभायात्रा
इधर, पचपदरा में बेटियों के स्वागत और उनकी मान-मनुहार की जोरदार तैयारियां भाइयों-भाभियों की ओर से गई हैं। सभी एक हजार बेटियों को साफा पहनाकर उनकी शोभायात्रा निकाली जाएगी।
तीनों दिन गीत-संगीत, विभिन्न मनोरंजक एक्टिविटीज का ऐसा शेड्यूल तैयार किया गया है कि वे एक मिनट भी बोर नहीं हों। इधर, विभिन्न शहरों में बेटियों ने भी आने से पहले खूब एक्टिविटी की।
सूरत से आ रहीं त्रिशला भंसाली ने बताया- यहां से पचपदरा रवाना हाेने से पहले मेहंदी का सामूहिक कार्यक्रम किया गया। आमतौर पर बेटियां ससुराल जाते वक्त मेहंदी लगवाती हैं। हमने पीहर जाने से पहले मेहंदी लगवाई। आखिर सात साल बाद पीहर जाना जो हाे रहा है।
जोधपुर की उर्मिला सांखला ने बताया- हम 90 से ज्यादा बेटियों ने एक जगह इकठ्ठा होकर वीडियो तैयार करवाया। पचपदरा के महावीर-पंकज पारख, गौतम सालेचा औरकमलेश संकलेचा ने एक-एक दिन के आयोजन की जिम्मेदारी उठाई है।