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2020 से 23 तक तीन बैच में 67 छात्रों को दी गई ट्रेनिंग, 20 लड़के शामिल

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मुजफ्फरपुर का शेल्टर होम। 2018 तक 44 लड़कियों के लिए कब्रगाह बना हुआ था। भोजन और कपड़े के लिए वह हर दिन शारीरिक शोषण को मजबूर थी। आवाज उठाती तो मारपीट के साथ ही खाना-पानी दोनों बंद हो जाता। लेकिन, आज वे लड़कियां खुद अपने पैरों पर खड़ी होने के साथ ही दूसरे का सहयोग कर रही है।

थ्री और फाइव स्टार होटलों में उनका लाखों का पैकेज है। समाज कल्याण विभाग ने मुजफ्फरपुर के साथ ही बिहार के अन्य शेल्टर होम से 47 लड़कियों को होटल मैनेजमेंट का कोर्स कराने के साथ ही 32 लड़कियों का पटना और बंगलौर के थ्री और फाइव स्टार होटलों में प्लेसमेंट कराने में सहयोग किया है।

इस दौरान लड़कियों की वार्षिक पैकेज चार से सात लाख रुपए है। विभाग की ओर से होटल मैनेजमेंट की ट्रेनिंग के दौरान 22 लड़के और लड़कियों को प्लेसमेंट के लिए एक से तीन वर्ष का इंतजार करना होगा। ट्रेनिंग के बाद भी 18 वर्ष से कम आयु होने की वजह से 15 लड़कियां और 7 लड़कों को प्लेसमेंट नहीं हुआ है।

हकीकत जो ताउम्र तक याद रहेगी, हर पल याद आती है शोषण की दास्तां

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम से मुक्त हुई सारिका (बदला नाम) का कहना है कि चार साल से अधिक वक्त बीत चुके है। लेकिन, आज भी उस शोषण की तस्वीर फिल्म की तरह से चलती है। इसे भुलाना संभव नहीं है। आज मैं अपने पैरों पर खड़ी हूं और दूसरों की सहायता कर रही हूं।

होटल मैनेजमेंट का कोर्स करने के बाद प्लेसमेंट पा चुकी निधि (बदला नाम) का कहना है कि पहले जिंदगी समाप्त करने की कोशिश करती थी, आज जीना चाहती हूं। पुरानी परेशानी ने लक्ष्य को पाने के लिए मजबूत किया है। समाज कल्याण विभाग ने काफी मदद की।

शेल्टर होम के साथ ही असहाय, गरीब और अनाथ लड़के भी खुद अपने पैर पर खड़े हैं। अरविंद (बदला नाम) के मुताबिक पहले तो खुद ही नहीं पता था कि कल क्या होगा। जिंदगी का कोई लक्ष्य नहीं था। आज नौकरी करने के साथ ही अपने जैसे लोगों को भी सहयोग कर रहा हूं।

ट्रेनिंग पाने वाले 67 में सभी शेल्टर होम में रहने वाले थे
समाज कल्याण विभाग की ओर से 2020 से 2023 तक तीन बैच में 67 छात्रों को होटल मैनेजमेंट के डिप्लोमा कोर्स कराया गया। सभी शेल्टर होम और अनाथालय में रहने वाले है। इसमें चार लड़कियां और तीन लड़कों को प्लेसमेंट पटना के ही होटलों में हुआ है।

समाज कल्याण विभाग के मंत्री मदन सहनी ने कहा कि “हमारी कोशिश है कि बच्चों को पढ़ाने के साथ ही उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने में सहयोग करें। नौकरी के लिए सपोर्ट करना हमारा फर्ज और जिम्मेदारी दोनों है।”

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