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2019 में पीलीभीत के जंगल से लखनऊ लाया गया था, बीमारी के कारण तोड़ा दम

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बाघ किशन के बाद अब मादा बाघिन कजरी की भी मौत हो गई है। शनिवार को उसने अंतिम सांस ली। वह पिछले काफी समय से बीमार चल रही थी। उसने बीमारी की वजह से पिछले कई दिन से खाना छोड़ दिया था। डॉक्टरों का कहना है कि औसत आयु 15 साल से वह चार साल अधिक जीवन जी चुकी है।

कजरी को 12 मई 2019 पीलीभीत टाइगर रिजर्व से मरणासन्न हालत में रेस्क्यू किया गया था। वहां से आने के बाद से ही उसकी तबीयत खराब थी। रेस्क्यू करते समय शारीरिक रूप से अत्यन्त वृद्ध इस बाघिन की हालतअत्यन्त गंभीर थी। उसको हमेशा डॉक्टरों की निगरानी में जू के अस्पताल में रखा जाता था। प्राणि उद्यान के वन्य जीव चिकित्सकों और कीपरों द्वारा लम्बे समय तक सघन चिकित्सा और अतिरिक्त देखभाल के कारण ये बाघिन किसी प्रकार जीवित बच पायी थी।

दांत खाने लायक नहीं बचे थे

अधिकारियों ने बताया कि बाघिन की उम्र अधिक के कारण तबीयत ठीक नहीं रहती थी। बाघिन के दांत बिल्कुल घिस चुके थे और आंखों से बिलकुल दिखाई भी नहीं देता था। बाघिन का शरीर काफी कमजोर हो चुका था। बाघिन को भोजन में नरम गोश्त दिया जाता था, जिस बाड़े में वह रहती थी उसे ठीक से व्यवस्थित किया गया था ताकि अगर वह थोड़ा बहुत भी घूमे-ंफिरे तो उसे कोई कष्ट न हो। पिछले दो दिनों से बाघिन ने घूमना छोड़ दिया था। वह भोजन भी ग्रहण नहीं कर रही थी।

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