SRN (स्वरूपरानी नेहरू) अस्पताल परिसर में इस ठंड में धरने पर बैठे स्वास्थ्यकर्मी अपने हक की बात कर रहे हैं। पिछले 13 दिनों से यहां धरना दे रहे हैं। और अपनी ड्यूटी पीरियड में ड्यूटी भी निभा रहे हैं।
दरअसल, यह सभी जीत सिक्योरिटी की ओर से आउटसोर्सिंग के तहत रखे गए हैं। यह वही लोग हैं जो कोरोना में अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना वार्डों में ड्यूटी कर रहे थे। अब इन्हें एजेंसी और अस्पताल प्रशासन की ओर से प्रताड़ित किया जा रहा है।
ताकि यह खुद यह नौकरी छोड़कर चले जाएं। धरने पर बैठे अंकित सेन यादव का कहना है कि कई माह से जीत सिक्योरिटी की ओर से हमें मानदेय नहीं दिया जा रहा है। जो मानदेय पहले दिया भी जाता था उसमें भी कटौती की जाती रही है। हमने हक की बात करने पर नौकरी से निकाल देने की धमकी दी जा रही है। हमारी बात कोई सुनने वाला नहीं है।
धरने पर बैठीं वर्षा सिंह कहती हैं कि हम अपनी बात किससे कहें, हम तो आउटसोर्सिंग के हैं, हमारे साथ अछूतों की तरह व्यवहार किया जाता है। जब एजेंसी के पास जाते हैं तो कहा जाता है कि आप अस्पताल प्रबंधन से बात करें हम कुछ नहीं सकते। अस्पताल प्रशासन से बात करने पर कहा जाता है कि हमारे स्टाफ नहीं हैं जिस एजेंसी के माध्यम से आएं हैं वहां जाएं। ऐसे में हम अपनी मांग और अपनी समस्याएं किससे कहें?
रमन बत्रा, अभिषेक पांडेय, रुपाली पाल, हासमी, श्वेता साहू आदि ने कहा कि हम गांधीगिरी तरीके से यहां बैठे हैं लेकिन हमारी मांग नहीं पूरी हुई तो आगे आंदोलन तेज करेंगे।
यह है हमारी मांगें
- प्रत्येक माह समय से मानदेय नहीं सुनिश्चित किया जाए।प्रत्येक वर्ष 10% वेतन की बढ़ोत्तरी की जाए।
- ESI और EPF का लाभ हर हाल में हमें मिलना चाहिए।
- ठेका प्रथा बंद हो तथा समायोजन किया जाए।अस्पताल प्रशासन की ओर से चिकित्सा सुविधा मुहैया कराया जाए।
- राजकीय अवकाश, मातृत्व अवकाश और कैजुअल लाभ मिले।
- सिर्फ आउटसोर्सिंग कर्मचारियों पर ही नहीं बल्कि सभी कर्मचारियों पर पंचिंग सिस्टम लागू होनी चाहिए।
- समान वेतन-समान कार्य लागू हो।