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कैलाशानंद गिरी की हर गतिविधि का नक्शा बनाया, जहर देकर नेपाल भागने की थी प्लानिंग

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7 अखाड़ों के महामंडलेश्वरों सहित कुल 14 पदाधिकारियों को खीर में जहर देकर मारने की साजिश रचने वाले योगेंद्र शर्मा उर्फ विक्रम सिंह को पुलिस ने 7 दिन की रिमांड पर लिया है। पुलिस उसे हाथरस लेकर गई है। उसने अभी तक हुई पूछताछ में कई बड़े खुलासे किए हैं।

विक्रम ने पुलिस को बताया है कि उसने त्रिकाल भवंता से 20 करोड़ में महामंडलेश्वरों को जहर देकर मारने की पेशकश की थी। महामंडलेश्वर कैलाशानंद की हर गतिविधि और सिक्योरिटी का नक्शा बना कर रखा। जहर देकर नेपाल भागने की प्लानिंग थी।

साध्वी त्रिकाल भवंता ने ही पुलिस को फोन कर विक्रम की साजिश के बारे में जानकारी दी थी।
साध्वी त्रिकाल भवंता ने ही पुलिस को फोन कर विक्रम की साजिश के बारे में जानकारी दी थी।
सबसे पहले पूरे मामले को समझते हैं…
24 दिसंबर को प्रयागराज के नैनी के नए पुल के नीचे स्थित परी अखाड़े की महामंडलेश्वर त्रिकाल भवंता ने नैनी कोतवाली में एक तहरीर दी। तहरीर में जो कुछ लिखा था उसे पढ़कर पुलिस भी हैरान रह गई। त्रिकाल भवंता ने तहरीर में लिखा कि उनके आश्रम में बागपत निवासी योगेंद्र शर्मा उर्फ विक्रम सिंह आकर रुका है। विक्रम हरिद्वार में रहने वाले और निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि महाराज को एक जनवरी 2023 को उनके जन्मदिन पर खीर में जहर देगा।

कैलाशानंद गिरी सहित 7 अखाड़ों के महामंडलेश्वर समेत 14 पदाधिकारियों को खीर में जहर देकर मारने की प्लानिंग है। वह इसकी साजिश रच रहा है। मामला हाई प्रोफाइल होने के कारण पुलिस तुरंत हरकत में आ गई। परी अखाड़े के आश्रम से विक्रम को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस और STF उसे 7 दिन की रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है।

महामंडलेश्वर कैलाशानंद सहित कुल 7 महामंडलेश्वरों को मारने की साजिश थी।
महामंडलेश्वर कैलाशानंद सहित कुल 7 महामंडलेश्वरों को मारने की साजिश थी।
आगे बताते हैं महामंडलेश्वर त्रिकाल भवंता ने क्या कहा…
जहर देकर अखाड़े को मान्यता दिलाने का दावा किया
त्रिकाल भवंता ने बताया, ​”21 दिसंबर को मेरे पास एक वॉट्सऐप कॉल आई थी। कॉल करने वाले ने अपना नाम विक्रम सिंह बताया। कहा मैं आपसे मिलना चाहता हूं। मैंने पूछा किसलिए? जवाब दिया आचार्य कैलाशानंद महाराज का मैं बहुत खास हूं। बहुत बड़ा काम है आपसे। मैं आपको मिलकर बताऊंगा।

विक्रम 3 दिन बाद 24 दिसंबर को मेरे पास आया। उसने मुझसे कहा कि मैं 7 अखाड़ों के महामंडलेश्वरों सहित 14 पदाधिकारियों को जहर दे दूंगा और आपके अखाड़े को मान्यता दिला दूंगा। मुझसे इस काम के एवज में 20 करोड़ की डील कर रहा था।”

कैलाशानंद की सिक्योरिटी और कहां सोते हैं, जब नक्शा दिखाया
त्रिकाल भवंता ने कहा, “विक्रम सिंह​​​​​​ ने कागज पर मुझे एक-एक चीज नक्शे के रूप में बनाकर दिया कि आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद महाराज कहां सोते हैं। कहां क्या है। कितनी गाड़ियां हैं। कैसी सुरक्षा है। उसने पूरे आश्रम की जैसे रेकी कर रखी हो। मुझे उसके इरादे खतरनाक लगे तो नैनी कोतवाली पुलिस को फोनकर बुलवा लिया और उसे गिरफ्तार करा दिया। उसने वो कागज गिरफ्तार होने से पहले कहीं फाड़कर फेंक दिया। उसकी तलाश करवा रही हूं।”

विक्रम बोला- जहर देकर नेपाल भाग जाऊंगा
​​​​मुझे विक्रम बहुत शातिर और खतरनाक लगता है। वो मेरे पास कैलाशानंद की हत्या करवाने की साजिश रचने आया था। वो मेरी भी हत्या करवा सकता है। उसने मुझे बताया था कि खीर में जहर देने के बाद वह किस रास्ते से नेपाल भाग जाएगा। उसने 20 लाख रुपए खर्च कर नकली पासपोर्ट भी बनवा रखा है। यह सब सुनकर मुझे लगा कि वह काफी शातिर और खतरनाक है। वह किसी भी हाल में छूटना नहीं चाहिए, नहीं तो मेरी हत्या कर देगा।

नैनी स्थित परी अखाड़े के इसी आश्रम में आकर विक्रम रुका था।
नैनी स्थित परी अखाड़े के इसी आश्रम में आकर विक्रम रुका था।
गूगल से जुटाई कैलाशानंद और त्रिकाल भवंता के बारे में जानकारी

पुलिस ने विक्रम को 7 दिन की रिमांड पर लिया है। पुलिस और STF की पूछताछ में विक्रम ने बताया कि उसने सबसे पहले महामंडलेश्वर त्रिकाल भवंता और महामंडलेश्वर कैलाशानंद के बारे में गूगल पर सर्च कर जानकारी जुटाई। जैसे कितना धन है। कितनी गाड़ियां हैं। क्या और किससे विवाद है। कैलाशानंद और त्रिकाल भवंता के बीच क्या चल रहा है? इन्हीं जानकारी के आधार पर त्रिकाल भवंता और निरंजनी अखाड़े की हरिद्वार में जाकर रेकी की और परी अखाड़ा को मान्यता दिलाने के नाम पर साजिश रची थी।

विक्रम को बागपत उसके गांव लेकर गई पुलिस

DCP यमुनानगर सौरभ दीक्षित के मुताबिक, पुलिस कोर्ट से आरोपी की एक हफ्ते की रिमांड मांगी थी, जिसे मंजूर कर लिया गया है। अभी उसे उसके बागपत स्थित घर ले जाया गया है। उससे पूछताछ की जा रही है। कई एजेंसियां पकड़े गए संदिग्ध युवक से पूछताछ कर चुकी हैं।

त्रिकाल भवंता के परी अखाड़े को अभी मान्यता नहीं मिली है। इसकी मान्यता दिलाने का झांसा देकर विक्रम ने 20 करोड़ रुपए की मांग की थी।
त्रिकाल भवंता के परी अखाड़े को अभी मान्यता नहीं मिली है। इसकी मान्यता दिलाने का झांसा देकर विक्रम ने 20 करोड़ रुपए की मांग की थी।
कैलाशानंद के आश्रम की भी कर चुका था रेकी पूछताछ में यह भी सामने आया है कि संदिग्ध युवक रेकी करने के लिए 29 नवंबर को हरिद्वार में स्वामी कैलाशानंद के आश्रम भी गया था। वहां वह 4 घंटे तक रुका हुआ था। उसने वहां अपना नाम और पता गलत दर्ज कराया था। फिलहाल प्रयागराज पुलिस मामले की जांच करने के साथ ही हरिद्वार के पुलिस अफसरों और स्वामी कैलाशानंद को भी संदिग्ध युवक के पकड़े जाने की जानकारी दे दी है।

यमुनानगर के DCP सौरभ दीक्षित का दावा है कि पकड़ा गया युवक शुरुआती पूछताछ में ठग समझ आ रहा है। वह इस तरह की सनसनी फैलाकर साध्वी त्रिकाल भवंता से कुछ पैसे ऐंठना चाहता था।

जानकारी हुई तो कैलाशानंद भी हो गए परेशान
साध्वी त्रिकाल भवंता के जरिए कैलाशानंद को साजिश के बारे में पता चला तो परेशान हो गए। उन्होंने हरिद्वार के डीएम और एसएसपी को इस बारे में फोन कर जानकारी दी है। यह भी कहा कि विक्रम शर्मा का असली नाम योगेंद्र शर्मा है। विक्रम 29 नवंबर 2022 के उनके श्री सिद्धपीठ दक्षिण काली चंडी घाट हरिद्वार स्थित आश्रम पर आया था और पांच घंटे तक रुका था। महामंडलेश्वर ने सनातन धर्म के खिलाफ गहरी साजिश का आरोप लगाते हुए पुलिस से निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग की है।

परी आश्रम में छिपाकर रखा था मोबाइल
पुलिस की एक टीम विक्रम को बागपत लेकर गई। त्रिकाल भवंता के आश्रम में छिपाकर रखे गए एक कीपैड मोबाइल को बरामद किया है। उसके पास योगेंद्र शर्मा और विक्रम सिंह के नाम से दो आधार कार्ड और हाईस्कूल की मार्कशीट मिली। इसमें पिता का नाम और एड्रेस अलग-अलग था। फोटो एक ही शख्स की है।

हरिद्वार भी विक्रम को लेकर जाएगी पुलिस
एसीपी करछना अजीत सिंह चौहान ने बताया कि उसके मोबाइल के सीडीआर में हरिद्वार आश्रम का एक नाम मिला है। साथ ही यह भी पता चला है कि 29 नवंबर को वह हरिद्वार में महामंडलेश्वर कैलाशानन्द के आश्रम में गया था।

योगेंद्र शर्मा उर्फ विक्रम सिंह की गिरफ्तारी को पुलिस इसलिए हल्के में नहीं लेना चाहती क्योंकि माघ मेला है, जहां साधु संतों का और कल्पवासियों का समागम होना स्वाभाविक है। पुलिस और खुफिया एजेंसियों को शक है कि कहीं इसके पीछे कोई गहरी साजिश तो नहीं है।

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