नए साल पर 4 से 10 जनवरी तक राजस्थान इतिहास रचेगा। 66 साल बाद राज्य को स्काउट गाइड के सबसे बड़े इंवेट जंबूरी की मेजबानी मिली है। देशभर के 35 हजार स्काउट गाइड जोधपुर-पाली से सटे निंबली गांव में आएंगे। सरकार भी इस इवेंट को ऐतिहासिक बनाने में जुटी है।
35 हजार स्काउट गाइड के लिए 220 हेक्टेयर जमीन पर पूरा गांव बसाया गया है।
इस गांव के गेट भी खास हैं। अलग-अलग गेट पर देश के सभी 28 राज्यों और राजस्थान के सभी 33 जिलों के नाम लिखे हुए हैं।
3500 टेंट वाले इस गांव में अस्थाई अस्पताल, कॉन्फ्रेंस रुम होंगे।
इवेंट इसलिए भी खास है, क्योंकि इस दौरान बहुत कुछ होगा, जो इससे पहली कभी किसी जंबूरी में नहीं हुआ…
स्काउट गाइड स्काई साइकिलिंग, पैराग्लाइडिंग करेंगे।
इंडियन एयरफोर्स के सूर्य किरण विमान करतब दिखाएंगे।
बीएसएफ के जवानों द्वारा ऊंटों पर टैटू शो भी होगा ।
35 हजार स्काउट गाइड एक खास वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाएंगे।
राजस्थान को दूसरी बार जंबूरी की मेजबानी का मौका मिला है। इससे पहले 1956 में जयपुर में इसका आयोजन हुआ था, जिसके बाद गांधी नगर बसा था। यह 18वीं नेशनल जंबूरी होगी।
निंबली में राजस्थान स्काउट गाइड व राज्य सरकार के अधीन होने वाले जंबूरी के लिए 15 IAS अधिकारियों की टीम मॉनिटरिंग कर रही है। निंबली में जयपुर के सवाई मान सिंह स्टेडियम से बना 220 हेक्टेयर जमीन पर एरिना (मैदान) बनाया गया है ( जिसे लकड़ियों की बल्लियों पर तैयार किया गया है। इसकी क्षमता करीब 35 हजार बच्चों की है जबकि SMS स्टेडियम में 30 हजार लोग ही बैठ सकते हैं।
पाली के आर्किटेक्ट ने बनाया गांव
ये गांव पाली के आर्किटेक्ट सुंदर राठौड़ ने डिजाइन किया है। यहां बने गेट स्काउट गाइड बना रहे हैं। जो स्टेडियम बनाया गया है वह करीब 1400 गुना 1000 फीट एरिया में रहेगा।
इसके अलावा यहां बच्चों के रहने के लिए टेंट हाउस के अलावा अस्थाई हॉस्पिटल, कॉन्फ्रेंस हॉल, हेलीपैड भी बनाए गए हैं। यहां तक पहुंचने के लिए डामर की सड़कों के साथ पानी-बिजली की भी व्यवस्था की गई है।
100-100 टेंट के कुल 35 ब्लॉक
जंबूरी स्थल पर 100-100 टेंट के कुल 35 ब्लॉक तैयार किए गए हैं, यानी कुल 3500 टेंट होंगे। हर ब्लॉक के साथ एक किचन रहेगा, जहां शिविरार्थियों के लिए भोजन आदि की व्यवस्था रहेगी। प्रत्येक टेंट के लिए 30 गुणा 40 वर्ग फीट जमीन रिजर्व की गई है। 14 गुणा 14 में टेंट लगेगा और बाकी जमीन पर शिविरार्थी शू स्टैंड, बर्तन धोने एवं रखने का स्टैंड, कपड़े रखने का स्थान, किचन आदि तैयार करेंगे। एक टेंट में 9 शिविरार्थी एवं एक प्रभारी ठहरेंगे।
एग्जीबिशन में दिखेगा हर स्टेट का कल्चर
सीओ स्काउट पाली गोविंद मीणा ने बताया कि जंबूरी में देश के हर राज्य से जुड़े स्काउट-गाइड अपने कल्चर को प्रजेंट करेंगे। यहां एक मॉडल टेंट भी तैयार किया जाएगा, जिसमें संबंधित राज्य के कल्चर से जुड़ी प्रदर्शनी लगाई जाएगी। यहां फूड कॉम्पिटिशन भी होगा।
पहली बार यहां वॉटर एक्टिविटी के साथ एडवेंचर एक्टिविटी में राफ्टिंग, स्काई साइक्लिंग, पैरासेलिंग, पैराग्लाइडिंग एक्टिविटी होगी। नेशनल जंबूरी में पहला अवसर होगा जब सेना के जवानों की भी भागीदारी रहेगी। इसमें इंडियन एयरफोर्स के सूर्य किरण विमान करतब दिखाएंगे। इसके साथ बीएसएफ के जवानों द्वारा ऊंटों पर टैटू शो भी होगा।
दो बाजार में 80 दुकानें सजेंगी
गांव की तर्ज पर बने आयोजन स्थल में सबसे खास यहां के बाजार होंगे। यहां दो बाजार में 80 दुकानें रहेगी। इन दुकानों पर शिविरार्थियों के लिए सब्जियां, फल, प्रोविजनल सामग्री, हेयर सैलून, स्टेशनरी, मोबाइल, दूध, गर्म कपड़े, राजस्थानी ड्रेसज, खादी, हैंडीक्राफ्ट, मिट्टी के बर्तन ,आर्टिफिशियल ज्वेलरी आदि दुकानें लगाई जाएगी। इसके अलावा 7 रेस्टोरेंट भी बनेंगे। इतना ही नहीं रेल्वे रिजर्वेशन काउंटर से लेकर एटीम और बैक की भी सुविधा रहेगी।
कार्यक्रम में बनेगा वर्ल्ड रिकॉर्ड, एक साथ 35 हजार बच्चे गाएंगे जंबूरी गीत
18वीं नेशनल जंबूरी को लेकर पाली के टीचर दीपक जावा ने एक सॉन्ग लिखा है। इस गीत के प्रोमो को कुछ दिनों पहले सीएम अशोक गहलोत ने लॉन्च किया था। कार्यक्रम के दौरान एक दिन 35 हजार बच्चे एक साथ ये सॉन्ग गाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाएंगे। इतना ही नहीं अब तक की हुई जंबूरी में 22 हजार कैंडिडेट आए थे, लेकिन इस बार पाली में होने वाली जंबूरी रिकॉर्ड तोड़ेगी।
खास बात ये भी रहेगी कि इसमें स्थानीय लोगों को भी जाने का मौका मिलेगा, इसके लिए विजिटर्स पास बनाए जाएंगे।
क्या है जंबूरी और कैसे हुई शुरुआत
हर 4 साल में देश भर से स्काउट गाइड एक स्थल पर इकट्ठा होते है। यहां स्पोर्ट्स, एडवेंचर आदी एक्टिविटी नेशनल लेवल पर होती हैं। यहां देश भर के स्काउट गाइड एक दूसरे राज्य की संस्कृति भाषा आदि से रुबरू होते हैं।
बेडन पॉवल जिसे स्काउट का जन्मदाता कहते हैं, उन्होंने इस फेस्टिवल का नाम जंबूरी रखा था। सबसे पहली 1953 में पहली बार हैदाराबाद में इसका आयोजन हुआ था। इसके बाद दूसरी जयपुर में 1956 में हुई थी। इस दौरान करीब 10 हजार स्काउट-गाइड शामिल हुए थे।