एटा जिले में 18 जून, 2006 को हुए कारपेंटर (बढ़ई) राजाराम शर्मा के फर्जी एनकाउंटर में गाजियाबाद की CBI कोर्ट ने 9 पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई है। 5 पुलिसवालों को उम्रकैद और 4 पुलिसवालों को पांच-पांच साल की सजा हुई है। कोर्ट के इस फैसले के साथ राजाराम के परिवार का वह इंतजार खत्म हुआ, जो पिछले 16 साल से चल रहा था।
राजाराम की पत्नी संतोष कुमारी ने यह पूरी लड़ाई लड़ी। आखिरी तक हिम्मत नहीं हारी। वह कहती हैं, पुलिसवालों ने रास्ते से मेरे पति को उठा लिया था। एक दिन बाद जब अखबार देखा तो पति की लाश का फोटो छपी हुई देखी। वह इस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए हाईकोर्ट गईं।
एनकाउंटर की CBI जांच शुरू होने के बाद परिवार को खूब धमकियां मिलीं। बयान बदलने का दबाव बना, लेकिन ये परिवार डगमगाया नहीं। अपनी बात और बयान पर कायम रहा। जिसका नतीजा रहा कि एनकाउंटर में शामिल प्रत्येक पुलिसकर्मी को सजा हुई है।
पुलिस ने राजाराम पर फायरिंग करने का लगाया था आरोप
एटा जिले में सिढ़पुरा थाने की पुलिस ने एक एनकाउंटर किया। इसमें एक व्यक्ति की मौत हुई। मरने वाला व्यक्ति मिलावली गांव का रहने वाला राजाराम शर्मा (35) था। पुलिस ने उस वक्त दावा किया था कि दो पुलिसकर्मी गश्त पर निकले हुए थे। रोड होल्डअप की वारदात को अंजाम देने के लिए पहले से घात लगाए बैठे राजाराम शर्मा ने पुलिस पर फायरिंग की।
जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी गोली चलाई और राजाराम मारा गया। पुलिस ने राजाराम शर्मा के कब्जे से एक तमंचा, तीन खोखे और 9 जिंदा कारतूस बरामद होना भी दर्शाए। हालांकि, बाद में छानबीन में पता चला कि राजाराम शर्मा पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं था।
राजाराम की पत्नी एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए हाईकोर्ट गईं थी
राजाराम की पत्नी संतोष कुमारी इस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए हाईकोर्ट गईं। हाईकोर्ट से CBI जांच का आदेश हुआ। एक जून 2007 को CBI ने केस दर्ज किया और 22 जून 2009 को 10 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट पेश कर दी। इस केस की सुनवाई 7 साल तक गाजियाबाद की CBI कोर्ट में चली। आखिरकार बुधवार को CBI कोर्ट ने दोषी 9 पुलिसकर्मियों को सजा सुना दी।
पत्नी बोली- जिंदा ले गए पुलिसवाले, अखबार में छपी थी लाश की फोटो
इस मुकदमे की वादी संतोष कुमारी को अब 16 साल बाद न्याय मिला। पूरा वाकया बताते-बताते संतोष की आंख में आंसू आ गए। बोलीं- “उस दिन हम, देवर और जेठ, बहन के घर पर जा रहे थे। रास्ते में दो पुलिसवालों ने हमें रोक लिया। कहा कि राजाराम से पूछताछ करेंगे। पीछे से पुलिस की दूसरी गाड़ी आ गई। मेरे पति को उस गाड़ी में बैठा लिया। पुलिसवालों ने कहा कि पूछताछ करनी है, कल सुबह छोड़ेंगे। जब अगली सुबह हम थाने गए तो पुलिसवालों ने हमें भगा दिया। अगले दिन जब अखबार देखा तो पति की लाश की फोटो छपी हुई थी।पुलिसवालों में एक राजेंद्र से मेरे पति का परिचय भी था। उसने अपने घर पर फर्नीचर का कुछ काम कराया था। फिर भी मेरे पति को उन्होंने नहीं बख्शा।”
संतोषी कहती हैं- आज 16 साल बाद कुछ न्याय मिला है। लेकिन कुछ और आर्थिक मदद हो जाती तो बच्चों का और अच्छे से पालन-पोषण कर लेती।’
बेटा बोला- जो हमारे साथ हुआ, वो किसी और के साथ न हो
मृतक राजाराम का बेटा है मोहित। जब राजाराम का एनकाउंटर हुआ, तब मोहित की उम्र करीब 8 साल थी। आज मोहित अपने पिता का कामकाज संभाले हुए है और एक अच्छा कारपेंटर है। मोहित ने कहा- ‘जो हमारे साथ हुआ, वो किसी और के साथ न हो। इसलिए सरकार को एनकाउंटर बंद करने चाहिए।’
मोहित ने बताया, ‘एनकाउंटर के कुछ दिनों बाद दो-तीन पुलिसवाले हमारे घर पर आते थे। हमें बयान बदलने के लिए बोलते थे। अन्य लोग भी डराते-धमकाते थे। इसलिए हमने गांव छोड़ दिया और आज दूसरी जगह पर रह रहे हैं।’