किसानों की आय को बढ़ाने और नैनो टेक्नोलॉजी वाले फर्टिलाइजर की जानकारी देने के लिए एमिटी फूड एंड एग्रीकल्चर फाउंडेशन और एमिटी सेंटर फॉर सॉइल साइंसेस की ओर से फसल उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए नैनो तकनीक आधारित उर्वरक का उपयोग’’ विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का शुभारंभ इफको के एग्रीकल्चर सर्विसेज के चीफ डा तरूनेन्दु सिंह, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के एसएस एंड एसी विभाग के प्रिंसिपल वैज्ञानिक डा टी जे पुरकायस्थ ने किया। इस मौके पर नोएडा के 30 किसानों से हिस्सा लिया।
इफको के एग्रीकल्चर सर्विसेज के चीफ डा तरूनेन्दु सिंह ने कहा कि उद्योगों, संस्थानों और कृषकों के मध्य एक सेतु का निर्माण करना है जिससे कृषकों तक उन्नत उत्पादों, उपकरणों की जानकारी मिल सके। आज हमे यूरिया के उपयोग में संतुलन लाना है। यूरिया आसानी से प्राप्त हो रही है जिससे इसका अधिक उपयोग इसकी उपयोग दक्षता को कम कर रहा है। उन्होंने कहा कि मृदा की जांच करवा कर उनके अनुरूप यूरिया का उपयोग करें।
वैज्ञानिक डा टी जे पुरकायस्थ ने कहा कि पुराने समय से भारत में पंच तत्वों के महत्व को बताया है जिसमें मृदा भी शामिल है। मृदा की सुरक्षा से सभी कुछ जुड़ा है। विश्व की लगभग 33 प्रतिशत मृदा का क्षरण हो चुका है और 2 से 3 सेमी मृदा के निर्माण में लगभग 1000 वर्ष का समय लगता है। फर्टिलाइजर और रसायनों के अंधाधुंध उपयोग, वनों के क्षरण, भू क्षरण सहित कई अन्य कारण है जो मृदा की सेहत को खराब करते है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के प्रोफेसर डा एस सी दत्ता ने मृदा की गुणवत्ता को जांचने के लिए विकसित किये गये उपकरणों की जानकारी दी। डा नूतन कौशिक ने कहा कि मानव स्वास्थ्य, मृदा स्वास्थ्य और पर्यावरण एक सूत्र से जुड़े है। किसी भी मृदा के अंदर बड़ी संख्या में सूक्ष्म जीवी और पोषक तत्व उपलब्ध होते है। डा कौशिक ने कहा कि अगर आपकी मृदा स्वस्थ है तो फसल का उत्पादन बढ़ेगा, फसलों में पोषक तत्वों का विकास होगा।