अफगानिस्तान के साथ भारत के रिश्तों को लेकर परेशान पाकिस्तान को तालिबान से जोरदार झटका लगा है। तालिबान ने ईरान में भारत द्वारा बनाए गए चाबहार पोर्ट को समर्थन का एलान किया है।
उत्तर दक्षिण अंतरराष्ट्रीय ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई को रूस की राजधानी मास्को से जोड़ता है और यह ईरान तथा अजरबैजान से होकर जाता है। भारत ईरान के चाबहार में बंदरगाह विकसित कर रहा है। इसके पहले चरण पर काम चल रहा है। ईरान के चाबहार पोर्ट के विकास पर भारत 8.5 करोड़ डॉलर का निवेश कर रहा है। इस पोर्ट के साथ भारत ने मध्य एशिया के देशों से सीधे संपर्क जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
ईरान के इस पोर्ट का इस्तेमाल अफगानिस्तान को मदद भेजने में होता है, इसलिए पाकिस्तान बार-बार दबाव बना रहा था। अब अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान ने पाकिस्तान सरकार को बड़ा झटका दिया है। तालिबान सरकार ने व्यापार के लिए ईरान में भारत के बनाए चाबहार पोर्ट के इस्तेमाल का समर्थन किया है। यही नहीं तालिबानी सरकार ने यह भी कहा है कि वह इस दिशा में सभी ‘सुविधाएं’ देने के लिए तैयार है। तालिबानी विदेश मंत्रालय ने चाबहार पोर्ट को उत्तर-दक्षिण अंतरराष्ट्रीय ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर में शामिल किए जाने का ‘स्वागत’ किया है। तालिबान के बयान में कहा गया है कि वह इस संबंध में सभी जरूरी सुरक्षा और सुविधाएं देने के लिए तैयार है। तालिबान ने चाबहार पोर्ट पर यह बयान ऐसे समय पर दिया है जब वह चाहता है कि अफगानिस्तान के आधारभूत ढांचे के पुर्ननिर्माण के लिए भारतीय निवेश फिर से शुरू हो सके। तालिबान ने भारत से यह भी आह्वान किया है कि वह नए काबुल शहर के निर्माण में मदद करे।
भारत ने हाल ही में चाबहार पोर्ट के लिए छह मोबाइल हार्बर क्रेन दिए हैं, जिनकी क्षमता 140 टन तक है। इसके अलावा 2.5 करोड़ डॉलर के अन्य उपकरण भी दिए गए हैं। इस बंदरगाह का पहले भी इस्तेमाल अफगानिस्तान को मानवीय मदद भेजने के लिए किया जा चुका है। साल 2020 में भारत ने चाबहार पोर्ट के जरिए 75 हजार मीट्रिक टन गेहूं मानवीय मदद के रूप में अफगानिस्तान को भेजा था। दिसंबर 2018 में भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड ने पूरे पोर्ट का कार्यभार संभाल लिया था। चाबहार पोर्ट से 215 मालवाहक जहाजों और 40 लाख टन सामान को एक जगह से दूसरी जगह पर भेजा जा चुका है।