विपिन हत्याकांड में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। मुकदमा दर्ज होने के शुरुआती दिन तक पुलिस की ओर से ढील रही। इसके बाद आरोपी ने न्यायालय से हासिल अंतरिम राहत के आदेश को ढाल बना लिया। कई बार वह थाने-चौकी आया लेकिन पुलिस चाहकर भी उसे गिरफ्तार नहीं कर सकी। अब सवाल उठता है कि राहत तो विनीत को मिली थी, उसकी पत्नी को नहीं। ऐसे में उसे पहले ही गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?
दरअसल, 23 नवंबर की रात को विवाद हुआ था। 25 नवंबर को परिजनों ने तहरीर दी। देर रात मारपीट और जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा दर्ज कर लिया गया था। लिहाजा, इन धाराओं में पुलिस गिरफ्तारी नहीं कर सकती थी। पुलिस ने मेडिकल का इंतजार किए बगैर उसी रात डॉक्टर के बयानों के आधार पर हत्या की कोशिश की धारा जोड़ दी। अब गिरफ्तारी होनी थी लेकिन विनीत फरार हो गया। उसे इतना वक्त मिला कि न्यायालय से राहत का भी इंतजाम कर लिया।
28 नवंबर को न्यायालय ने विनीत को अंतरिम राहत देते हुए उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। आदेश के अनुसार यदि विनीत पुलिस के सामने पेश भी हो जाता तो उसे जमानत देनी पड़ती। ऐसे में उसने इस आदेश को ढाल बनाया और बेखौफ घूमता रहा। लेकिन, शुक्रवार रात को विपिन की मौत हो गई। इसके बाद नेताओं ने हंगामा किया और मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा था। लिहाजा, लापरवाही बरतने के आरोप में चौकी प्रभारी सस्पेंड हो गए। पुलिस ने विनीत के बाद अब उसकी पत्नी को भी गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस का कहना है कि विनीत की पत्नी को सीसीटीवी फुटेज और मौके पर मौजूद लोगों के बयानों के आधार पर गिरफ्तार किया गया है।
सवाल उठता है कि पुलिस ने हत्या में एकराय होने के आरोप में तो विनीत की पत्नी को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन, इससे पहले हत्या के प्रयास के आरोप में उसकी गिरफ्तारी की कोशिश नहीं हुई।
जबकि, अब पुलिस का सीधे-सीधे कहना है कि अपराध की शुरुआत उसकी पत्नी ने ही की। उसी ने विपिन की महिला दोस्त के साथ मारपीट की।
लापरवाही के आरोप में लक्खीबाग चौकी प्रभारी को पहले ही सस्पेंड किया जा चुका है। हत्या के प्रयास की धारा भी जिस दिन मुकदमा हुआ, उसी दिन जोड़ ली गई थी। जहां तक कार्रवाई की बात है तो आरोपी को न्यायालय से अंतरिम राहत मिल चुकी थी। इसमें पांच दिसंबर तक पुलिस से रिपोर्ट मांगी गई थी। इससे पहले उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता था। -दलीप सिंह कुंवर, एसएसपी