भारत जोड़ो यात्रा मध्यप्रदेश से गुजरकर राजस्थान की सीमा पर पहुंच चुकी है। यात्रा की थीम भले ही भारत जोड़ने की है, लेकिन इसमें राहुल गांधी की ब्रांडिंग में भी कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। अब तक दो हजार किलोमीटर की यात्रा में राहुल के साथ उनके 25 फीट आकार के 20 बड़े कटआउट भी साथ चल रहे हैं। इन्हें कन्याकुमारी से कश्मीर तक लगभग 50 लोगों की एक टीम चार ट्रकों में लेकर चलती है। यात्रा मार्ग पर स्थानीय नेता भी अपने बैनर-पोस्टर्स लगाते हैं, लेकिन राहुल के बड़े आकार के कटआउट यात्रा में अलग ही माहौल तैयार करते हैं।
कांग्रेस ने राहुल की ब्रांडिंग के लिए कटआउट लगाने के लिए एक निजी फर्म को अनुबंधित किया है। यह फर्म ही बड़े कटआउट लेकर चलती है। यात्रा से जुड़े मार्ग पर इन कटआउट्स को लगाती है और फिर निकालती है। ताकि आगे इन्हें लगाया जा सके। इस फर्म के रमन कुमार का कहना है कि यात्रा में चार ट्रक चलते हैं। हर ट्रक में 12 लोगों की एक टीम है। यह टीम बांस, रस्सियों और अन्य सामग्रियों के साथ राहुल गांधी के बड़े कटआउट उतारती और लगाती है। एक कटआउट को लगाने मेें 20 मिनट तक लग जाते हैं। दो टीमें कटआउट लगाती है। यात्रा के पीछे चलने वाली दो टीम उन कटआउट को निकालते चलती है। कटआउट सिर्फ राहुल गांधी के ही हैं। यात्रा में चल रहे अन्य नेता उसमें नजर नहीं आते हैं।
ब्रेक के समय होता है काम
यात्रा हर दिन 22 से 24 किलोमीटर का सफर तय करती है। सुबह छह बजे से दस बजे तक पैदल चलने के बाद लंच ब्रेक होता है। दोपहर साढ़े तीन बजे से शाम साढ़े छह बजे तक फिर यात्रा आगे बढ़ती है। ब्रेक के समय मार्ग पर राहुल की ब्रांडिंग टीम सक्रिय रहती है। इस टीम के कर्मचारियों ने बताया कि वे कन्याकुमारी से कश्मीर तक यात्रा में साथ हैं। खाना पकाने के लिए सभी आवश्यक सामग्री भी साथ में है। ताकि किसी भी समय कोई दिक्कत न उठानी पड़ी।
स्थानीय नेताओं के पोस्टर-बैनर अलग
यात्रा मार्ग में इस बात पर तवज्जो दी जा रही है कि स्थानीय नेताओं के पोस्टर-बैनर स्थानीय स्तर पर ही लगाए जाएं। इससे उन्हें भी अपने इलाके में ब्रांडिंग का मौका मिल जाता है। जो टीम राहुल के साथ चल रही है, उसका जिम्मा सिर्फ राहुल के कटआउट्स लगाने का है। जब राहुल पैदल नहीं चल रहे होते, तब यह टीम सक्रिय रहती है और तैयारियों में लग जाती है।