जम्मू-कश्मीर में अब अन्य राज्यों की कृषि उत्पादन मार्केटिंग कंपनियां ई-एनएएम पोर्टल के माध्यम से कृषि और बागवानी क्षेत्र में ऑनलाइन व्यापार कर सकेंगी। उप राज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में हुई प्रशासनिक परिषद की बैठक में कृषि बाजारों के कामकाज के विनियमन को मंजूरी प्रदान की गई है।
इन कृषि उत्पादक मार्केटिंग कंपनियों को ई-नाम पोर्टल के माध्यम से व्यापार करने के लिए अन्य राज्यों से आपसी सहमति के आधार पर पंजीकृत लाइसेंस जारी करने की अनुमति दी है। इसके लिए प्रशासनिक परिषद ने इसके लिए बागवानी निदेशक को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
नए तंत्र के हिसाब से अब प्रदेश के बागवानी, योजना और मार्केटिंग निदेशक तीन टन की क्षमता से ऊपर कोल्ड स्टोर, वेयर हाउस, सीए स्टोर, सहकारिता, सेल्फ हेल्प समूहों, एफपीओ, भंडारण केंद्रों को मंडियों के सब यार्ड घोषित कर ई नाम पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन पेमेंट के साथ व्यापार केंद्र के रूप में घोषित कर सकते हैं।
बागवानी निदेशक प्रदेश की किसी भी मंडी में व्यापार करने के लिए संयुक्त लाइसेंस भी जारी करने के सक्षम अधिकारी बनाए गए हैं। नए अधिनियम में प्रदेश के बाहर के व्यापारियों को भी ई-एनएएम पोर्टल के माध्यम से जम्मू-कश्मीर के उत्पादकों और व्यापारियों के साथ व्यापार करने की अनुमति का प्रावधान किया गया है।
मंडियों और खाद्य संगठनों के प्रतिनिधियों को सदस्य बनाया
जम्मू-कश्मीर के 2019 में हुए पुनर्गठन के बाद प्रदेश कृषि उत्पाद और बाजार कमेटी अधिनियम, 1997 समाप्त हो गया था। ऐसे में जम्मू-कश्मीर में कृषि मंडियों के कामकाज को सुचारु रूप से चलाने के लिए सरकार ने अब तक कृषि उत्पाद विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को बोर्ड का अध्यक्ष बनाया था। इस व्यवस्था में मंडियों और खाद्य संगठनों के प्रतिनिधियों को बोर्ड का सदस्य बनाया गया है।