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डॉग ट्रेनर अभिषेक ने अपने पालतू कुत्तों के साथ भेड़िया में किया अभिनय

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कुत्ते इंसान के सबसे वफादार दोस्त हैं। अन्य जानवरों की तुलना में कुत्तों को वश में करना विशेष रूप से आसान होता है। कुत्तों में लोगों के क्रोध, गर्व और पीड़ा को समझने की क्षमता होती है। यह बात डॉग ट्रेनर अभिषेक ने कही।

गुवाहाटी के पांडू निवासी अभिषेक पाल चौधरी बचपन से ही डॉग लवर एवं डॉग ट्रेनर हैं। उन्होंने कुत्तों के प्रशिक्षण के साथ-साथ पांडू इलाके के कॉलेजगेट में के9 अकादमी नामक अपना प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया है। के9 नॉर्थ ईस्ट रीजन का एक ऐसा प्रशिक्षण केंद्र है, जहां डॉग्स को स्पेशल ट्रेनिंग देने के अलावा उन लोगों को भी ट्रेनिंग दिया जाता हैं जिनके घर में डॉग्स हैं।

हिन्दुस्थान समाचार के साथ बातचीत करते समय अभिषेक ने बताया कि कुत्तों को ट्रेनिंग देने का विचार हमारे समाज में ज्यादा लोकप्रिय नहीं है, लेकिन धीरे-धीरे लोगों में जानवरों और पक्षियों को लेकर जागरुकता बढ़ रही है। बॉलीवुड हीरो वरुण धवन और कृति सेनन अभिनीत निर्देशक अमर कौशिक द्वारा निर्देशित हिंदी कॉमेडी हॉरर फिल्म भेड़िया भारत के विभिन्न सिनेमाघरों में रिलीज हुई। इस फिल्म के कुछ सीन में अभिषेक ने अपने चार स्निफर डॉग के साथ काम किया है। जिसकी शूटिंग अरुणाचल में हुई थी। अभिषेक कुत्तों के साथ फिलहाल कुछ असमिया फिल्में करने वाले हैं। साथ ही उन्होंने कुछ तमिल, तेलुगु, पंजाबी फिल्मों में कुत्तों के साथ भी शूटिंग की है। स्वाभाविक रूप से अभिषेक के परिवार सहित पांडू इलाके के लोग उत्साहित हैं। अभिषेक बचपन से ही जानवर के लिए कुछ करने की सोची।

उन्होंने बताया कि कुत्तों को प्रशिक्षित करने का रास्ता आसान नहीं था। उन्हें कई विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। वास्तव में कोई सोच भी नहीं सकता कि मनुष्य मानवता से कुछ भी कर सकता है। कुत्तों के प्रति समाज की नकारात्मक सोच को बदलने के लिए कई संस्थाएं सामने आई हैं।

सालभर अभिषेक कुत्तों को ट्रेनिंग देने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में जाते हैं। बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री के अलावा वह मशहूर लोगों, एथलीटों के कुत्तों को ट्रेनिंग देते हैं। कुत्तों के प्रति अभिषेक के प्यार ने तय किया कि वह भविष्य में इस विषय पर अध्ययन और काम करेंगे। उन्होंने हॉलैंड, नीदरलैंड्स में पुलिस डॉग ट्रेनिंग सेंटर से प्रशिक्षण प्राप्त किया और देश के कई संगठनों से भी प्रशिक्षण प्राप्त किया।

ट्रेनिंग के बाद उन्होंने कुछ दिन घर पर ही प्रैक्टिस की। 2019 में उन्होंने कुत्तों के प्रशक्षण केंद्र के9 आकादमी की स्थापना की। यहां आज्ञाकारिता प्रशिक्षण, व्यवहार प्रशिक्षण, पालतू मनोविज्ञान, चिकित्सा प्रशिक्षण, थेरेपी प्रशिक्षण और ग्रूमिंग के अलावा विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण दिए जाते हैं। करीब दस सालों से वे यह काम कर रहे हैं। पूरे पूर्वोत्तर में पांच सौ कुत्तों को प्रशिक्षण दिया है।

अभिषेक का कहना है कि उनके परिवार ने उन्हें काम करने की पूरी आजादी देने के साथ-साथ हमेशा आर्थिक और मानसिक रूप से उनका समर्थन किया है। वह अपने परिवार की मदद से यहां तक पहुंच पाए हैं। उन्होंने विभिन्न कुत्तों जैसे गोल्डन रिट्रीवर्स, बीगल, जर्मन शेफर्ड, लैब्राडोर रिट्रीवर्स आदि को प्रशिक्षित किया है। इसके साथ ही वह कुत्तों के इलाज का भी इंतजाम करते हैं, जरूरत पड़ने पर कुत्तों को खाना देते हैं, टीके देने तथा शेल्टर होम भेजने की व्यवस्था करते हैं।

अभिषेक अपने अनुभव से कहते हैं कि कुत्ते खुद से लोगों पर हमला नहीं करते हैं। खाना न मिलने पर या बीमार होने पर, भूखा होने पर या डर के मारे कुत्ते अक्सर हमला करते हैं।

उन्होंने कहा कि हमें आने वाली पीढ़ियों को यह विश्वास दिलाना होगा कि किसी भी जानवर को कष्ट नहीं देना चाहिए। स्कूलों में भी बच्चों को जानवरों पर दया करने या उन्हें चोट न पहुंचाने की शिक्षा देना चाहिए।

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