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अदालत की रोक के बाद भी अफसर को कर दिया पदोन्नत, विवाद पहुंचा सीएम योगी के दरबार

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जेल महकमे में लखनऊ रेंज व मुख्यालय के डीआईजी शैलेंद्र कुमार मैत्रेय को अदालत के आदेश को नजरअंदाज करते हुए पदोन्नति दी गई है। इसकी शिकायत सुप्रीम कोर्ट के वकील यथार्थ सिंह ने मुख्यमंत्री कार्यालय और डीजी जेल से की है। मामले की गोपनीय जांच कराई जा रही है।

दरअसल, 2007 में बस्ती के तत्कालीन सपा जिलाध्यक्ष रामवृक्ष यादव स्थानीय कारागार में बंद थे। इसी दौरान उनके जन्मदिन पर जेल में जश्न मनाया गया। पार्टी हुई, केक भी काटा गया। उस समय शैलेंद्र वहां जेल अधीक्षक थे। जांच में शैलेंद्र की भूमिका संदिग्ध पाई गई। शासन ने उन्हें दंड देेते हुए आठ सितंबर, 2009 को उनकी तीन वेतन वृद्धि रोक दी। शैलेंद्र ने इसके विरुद्ध ट्रिब्यूनल में अपील की। वहां शासन के दंड आदेश को निरस्त कर दिया।

सरकार ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय पहुंची। वहां चार सितंबर, 2018 को शासन के दंडादेश को बहाल कर दिया गया, पर जेल महकमे के अफसरों ने उच्च न्यायालय के इस आदेश को दरकिनार करते हुए शैलेंद्र को उपमहानिरीक्षक के पद पर मई 2021 में पदोन्नति दे दी। इससे पहले ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद उन्हें वरिष्ठ जेल अधीक्षक बनाया गया था। विभाग के मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि मामले को प्रमुख सचिव देख रहे हैं। गुण-दोष के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

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