मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली व जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष वकील प्रशांत भूषण ने बुधवार को याचिका का उल्लेख किया। इस पर पीठ ने कहा कि वह मामले को सूचीबद्ध करेगी। मामले का जिक्र करते हुए भूषण ने कहा, हम सरकार के लिए परमादेश मांग रहे हैं। यह याचिका 2018 में दायर की गई थी और कुछ भी सूचीबद्ध नहीं हुआ। इस पर सीजेआई ने कहा, अब मैं प्रशासनिक आदेश जारी करूंगा।
कॉलेजियम के नाम रोककर रखता है केंद्र
गैर-सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) ने याचिका में आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की ओर से सुझाए गए नामों को अनिश्चितकाल तक रोके रखती है।
सरकार की निष्क्रियता से अहम पद खाली
याचिका में कहा गया है कि सरकार की निष्क्रियता और न्यायिक नियुक्ति प्रक्रिया में राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण अहम सांविधानिक पदों को खाली नहीं छोड़ा जा सकता है। याचिका में कई सिफारिशों का उल्लेख किया गया है, जो कॉलेजियम की ओर से भेजी गई थीं, लेकिन सरकार ने उन पर कार्रवाई नहीं की। अदालत से इस पर निर्देश देने की मांग की गई है।
ईडब्ल्यूएस आरक्षण के खिलाफ कांग्रेस नेता ने दायर की याचिका
आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) यानी गरीब सवर्णों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में 10 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ कांग्रेस नेता जया ठाकुर सुप्रीम कोर्ट पहुंची हैं। कांग्रेस नेता ने बुधवार को याचिका दायर कर शीर्ष अदालत से 7 नवंबर के अपने फैसले की समीक्षा करने की मांग की है। अदालत ने 3-2 के फैसले से ईडब्ल्यूएस कोटे को बरकरार रखा था। वकील वरिंदर कुमार शर्मा के जरिये दायर की गई याचिका में जया ठाकुर ने कहा है सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कई त्रुटियां हैं। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अपने ऐतिहासिक फैसले में 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटे को बरकरार रखते हुए कहा था कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में 103वें संविधन संशोधन को चुनौती दी गई थी, जिसके जरिये ईडब्ल्यूएस कोटे का प्रावधान किया गया है। संविधान संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए अदालत ने आरक्षण पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था। ब्यूरो