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ओडिशा फिल्म निर्माता अक्षय परीजा एक हनी ट्रैप मामले के सिलसिले में मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश हुए। मीडिया खबरों के मुताबिक केंद्रीय एजेंसी कुछ वर्षों में कथित ब्लैकमेलर अर्चना नाग, उनके पति जगबंधु चंद और उनके सहयोगियों द्वारा जमा की गई संपत्ति और नकदी की जांच कर रही है। Trending Videos अक्षय परीजा ने अर्चना के खिलाफ कथित रूप से उसकी अंतरंग तस्वीरें लेने के बाद तीन करोड़ रुपये मांगने के लिए नयापल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। मंगलवार को ईडी ऑफिस में अक्षय परीजा से कई घंटों तक पूछताछ हुई। उनके साथ उनके वकील भी थे। ईडी कार्यालय से निकलने के बाद परीजा ने कहा कि उन्होंने एजेंसी को जांच में सहयोग किया। उनके वकील ने कहा कि परीजा कानून में विश्वास करते हैं और उन्हें न्याय मिलेगा। उन्हें 19 नवंबर को एजेंसी के सामने पेश होने के लिए कहा गया था, लेकिन बैंकॉक से लौटने के बाद उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का हवाला देते हुए कुछ और समय मांगा था। ईडी ने 2017 से 2022 के बीच अर्चना और जगबंधु के बैंक खातों में 2.5 करोड़ रुपये जमा होने का पता लगाया है और मामले की जांच कर रही है। अर्चना नाग कालाहांडी से ताल्लुक रखती हैं और उस पर अपने पति के साथ 2018 से 2022 के बीच कुछ राजनेताओं और संपन्न लोगों को ब्लैकमेल करके और धमकी देकर 30 करोड़ रुपये से अधिक जमा करने का आरोप है। अर्चना, उनके पति और उनके सहयोगी खगेश्वर को भुवनेश्वर पुलिस ने ब्लैकमेलिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था और अब वे भुवनेश्वर जेल में बंद हैं।

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ट्रेड फेयर में डेढ़ सौ से ज्यादा एसएचजी समूह की महिलाएं अपने सामानों के साथ आई हैं, जिन्होंने समाज व घर परिवार की तमाम बंदिशें तोड़कर आत्मनिर्भर बनने का फैसला लिया। कश्मीर घाटी की अफरोजा इनमें से एक हैं, जिन्होंने संघर्ष के साथ सफलता की इबारत लिखी। वह बचपन से सिलाई कढ़ाई में माहिर हैं। इस हुनर को स्वरोजगार में बदलने के लिए उन्होंने घर की दहलीज पार करने का निर्णय लिया तो गांव वालों ने उन्हें बदनाम किया। बेहतर काम के लिए उन्हें कमला देवी पुरस्कार से नवाजा गया। यह पुरस्कार लेने दिल्ली आईं, तो यह उनके तलाक की वजह बन गई।

 

अफरोजा बारामूला जिले के पटनवारपुरा गांव में 100 महिलाओं के सहयोग से पश्मीना शॉल, शूट, जैकेट, साड़ी, दुपट्टे और कुर्ते इत्यादि बनाती हैं। उनके सामान को ट्रेड फेयर में हॉल सात ए बी सी में खरीदा जा सकता है। उन्होंने बताया कि ट्रेड फेयर में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली आना था तो उनके समूह की कोई भी महिला सदस्य इसके लिए तैयार नहीं थी। तब अफरोजा ने कहा कि मैं तो पहले से बदनाम हूं, सामान लेकर दिल्ली ट्रेड फेयर मैं ही जाऊंगी। क्योंकि किसी सदस्य की अभी शादी नहीं हुई तो किसी का पति उन्हें दिल्ली भेजने को तैयार नहीं था। अफरोजा 2004 से स्थानीय कारीगर के साथ जुड़कर सुई और आरी वर्क का काम करती थीं। इनके पिता, भाई और पांच बहने भी यही काम करते हैं।

अफरोजा ने 2005 में एक बेहतर साड़ी बनाई, जिसके लिए दिल्ली में उन्हें कमला देवी पुरस्कार सेे सम्मानित किया गया। उन्होंने बताया कि पुरस्कार लेकर जब वह कश्मीर लौटीं। इसके बाद से ही गांव के लोगों ने उनके बारे में बातें बनानी शुरू कर दीं कि यह तो दिल्ली घूम रही है। उनके घर वालों को परेशान किया जाने लगा। उनकी शादी में रुकावट पैदा की। किसी तरह पिता ने 2008 में उनकी शादी की। इनके दो बच्चे भी हुए, लेकिन उन्होंने बच्चों की परवरिश के साथ अपना काम जारी रखा।

2018 में अपना एसएचजी बनाया
अफरोजा ने 2018 में रोज स्वयं सहायता समूह बनाया। समूह में अन्य महिलाओं को जोड़ा और समूह के नाम से बैंक से दो लाख रुपये का लोन लेकर कपड़े बनाने का काम शुरू किया। बाद में किसान लोन लेकर काम को और मजबूत किया। अब उनके ग्रुप में 100 महिलाएं काम कर रही हैं और जो कि अब आत्मनिर्भर हैं।

दिल्ली आने की बात पर पति ने दिया तलाक 
अफरोजा 2014 में छत से गिर गईं, उनकी कमर में गंभीर चोट आई और वह चलने फिरने में असमर्थ हो गईं। डॉक्टर ने सर्जरी करने की सलाह दी थी, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वह सर्जरी नहीं करा पाईं। करीब एक साल बाद वह फिर से धीरे-धीरे अपने पैरों पर खड़ी हो पाईं और किसी के सहारे चलने फिरने लगीं। थोड़े दिनों बाद उन्होंने अपना काम फिर से शुरू कर दिया। लेकिन उनके पति को अब उनका घर से बाहर निकलना पसंद नहीं था। अफरोजा बताती हैं कि आए दिन वह दिल्ली जाने वाली बात को लेकर उनसे झगड़ा करते। आखिरकार 2016 में उन्होंने तलाक दे दिया।

विनीता की भी संघर्ष से सफलता की कहानी
ट्रेड फेयर में मध्य प्रदेश के शिवपुरी की एसएचजी विनीता यादव की अफरोजा जैसी संघर्ष से सफलता की कहानी है। इनके पति की मौत के बाद सास ससुर ने तीन बच्चों के साथ उन्हें घर से निकाल दिया। इन्होंने गद्दे महाराज नाम के समूह से जुड़कर काम किया और मौजूदा समय वह पापड़, आंवले की कैंडी, चटनी, तेल, अमावट, मल्टी ग्रेन, कैंडी इत्यादि बनाकर मेले में आई हैं।

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