व्हाइट हाउस ने शुक्रवार (स्थानीय समयानुसार) को यूक्रेन-रूस संघर्ष की पृष्ठभूमि में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए की गई भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी ‘आज का युग युद्ध का नहीं है’ को जी-20 शिखर सम्मेलन की संयुक्त घोषणा में जोड़ने की जीभर कर तारीफ की है। व्हाइट हाउस ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भूमिका महत्वपूर्ण है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री का यह संदेश इंडोनेशिया के बाली में जी-20 संयुक्त घोषणा के निष्कर्ष का अहम हिस्सा बन गया है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव काराइन जीन पियरे ने ब्रीफिंग में कहा कि अमेरिका मानता है कि जी-20 शिखर सम्मेलन सफल रहा। पियरे ने सम्मेलन की सफलता में राष्ट्रपति जो बाइडेन, भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो की भूमिका को रेखांकित किया। पियरे ने कहा- ‘हमने जी-20 शिखर सम्मेलन सफल किया। राष्ट्रपति बाइडन ने मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति से बात की। भारत ने शिखर सम्मेलन की घोषणा पर बातचीत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मोदी ने स्पष्ट किया कि आज का युग युद्ध का नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन-रूस संघर्ष की पृष्ठभूमि में इस साल सितंबर में समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के इतर एक द्विपक्षीय बैठक में पुतिन को दिए अपने बयान में भी कहा था- ‘आज का युग युद्ध का नहीं है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव पियरे ने खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा चुनौतियों को दूर करने में मोदी की भूमिका की भी सराहना की और भारत के जी20 प्रेसीडेंसी के लिए अमेरिकी समर्थन को दोहराया। जीन पियरे ने कहा- ‘हमने मौजूदा खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा चुनौतियों और एक लचीली वैश्विक अर्थव्यवस्था के निर्माण के प्रयासों को गंभीरता से लिया है। हम अगले साल भारत के जी-20 अध्यक्ष का समर्थन करने के लिए तत्पर हैं।’
उल्लेखनीय है कि बाली जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद अब सभी की निगाहें भारत पर हैं। अगले साल नई दिल्ली अपने एजेंडे में वैश्विक दक्षिण और उन्नत दोनों देशों के बीच बेहतर सहयोग का माहौल तैयार करेगी। एजेंडा संभावित रूप से साझा वैश्विक शांति और समृद्धि और उभरती वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए क्षमता निर्माण के लिए सतत और समान विकास के लिए सहयोग होगा।
यह है बाली जी-20 संयुक्त घोषणाः बाली जी-20 संयुक्त घोषणा के अनुसार- ‘शांति और स्थिरता की रक्षा करने वाले अंतरराष्ट्रीय कानून और बहुपक्षीय प्रणाली को बनाए रखना आवश्यक है। इसमें संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में निहित उद्देश्यों और सिद्धांतों की रक्षा करना और सशस्त्र संघर्षों में नागरिकों और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा सहित अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करना शामिल है। आज का युग युद्ध का नहीं होना चाहिए।’