परवल एक अलग तरह की सब्जी है. इसका स्वाद भी कुछ हटकर ही है. अन्य सब्जियों की तरह यह खासी मशहूर न हो, लेकिन गुणों में यह बेहतर मानी जाती है. आयुर्वेद में परवल के साथ-साथ इसकी पत्तियों और जड़ को भी बीमारियों के लिए लाभकारी माना गया है. परवल की बनी रसदार मिठाई तो किसी का भी दिल जीत सकती है. इसका उत्पत्ति केंद्र भारत माना जाता है.
खोए से भरी परवल की रसदार मिठाई शानदार है
सब्जी मार्केट में जाएंगे तो परवल (Pointed Gourd) आपको बहुत अधिक प्रमुखता से नहीं दिखाई देगी. इसे थैली में डालकर साइड में सजा दिया जाता है. लेकिन जो लोग इस सब्जी को पसंद करते हैं, उनकी निगाह इस पर पड़ ही जाती है. वैसे माना जाता है कि यह जंगलों में अपने-आप उग गई. इसकी घनी लताएं होती हैं जो किसी भी पेड़ पर चढ़ जाती हैं. बाद में जब यह लोगों के ‘मुंह लगी’ तो किसानों ने इसकी खेती करनी शुरू कर दी. लेकिन इसकी खेती स्थानीय स्तर पर ही होती है और अधिकतर परवल वहीं खप जाती है. इसको देखते ही आभास हो जाता है कि यह टिंडा, घिया, करेला परिवार से जुड़ी है.
परवल की उत्पत्ति भारत और मलय क्षेत्र में मानी गई है. हजारों सालों से इसे भोजन के रूप में प्रयोग में लाया जा रहा है. लेखक व भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बिश्वजीत चौधरी ने अपनी पुस्तक ‘VEGETABLES’ में जानकारी दी है कि परवल सबसे पहले उत्तर भारत के अलावा बंगाल-असम क्षेत्र में उगी, उसके बाद यह साउथ एशिया में बढ़ी.
उन्होंने इसका समयकाल तो नहीं बताया है लेकिन यह स्पष्ट है कि 2000 वर्ष पूर्व यह भारत में उपलब्ध थी. उसका कारण यह है कि ईसा पूर्व सातवीं-आठवीं सदी में लिखे गए आयुर्वेदिक ग्रंथ ‘चरकसंहिता’ में परवल व इसके पत्तों व जड़ के गुणों की जानकारी दी गई है.
सब्जी भी है और औषधि भी
परवल के गुणों की बात करें तो वह हैरानी पैदा कर सकते हैं. असल में यह सब्जी भी है और औषधि भी. इसलिए आयुर्वेदाचार्य इसकी कद्र करते हैं. भारतीय जड़ी-बूटियों, फलों व सब्जियों पर व्यापक रिसर्च करने वाले जाने-माने आयुर्वेद विशेषज्ञ आचार्य बालकिशन के अनुसार परवल में विटामिन ए, विटामिन बी1, विटामिन बी2 और विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है. प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसे शरीर के लिए बेहद लाभकारी बताया गया है. इसका सेवन करने से खून साफ रहता है, पेट में कीड़े नहीं होते, बुखार में राहत मिलती है. यह यूरिन की जलन को भी शांत करती है. पेट के रोगों से बचाव के लिए तो परवल विशेष है. यह पित्त और कफ को भी रोकती है.
ब्लड का प्यूरिफाइड करती है, पीलिया से बचाती है
अगर पोषक तत्वों की बात करें तो 100 ग्राम परमल में कैलोरी 20, कार्बोहाइड्रेट 2.2 ग्राम, प्रोटीन 2 ग्राम, कुल वसा 0.3 ग्राम, फाइबर 3 ग्राम, कैल्शियम 30 ग्राम, आयरन 1.7 मिलीग्राम, फास्फोरस 40 मिलीग्राम, बीटा कैरोटीन (विटामिन ए के विभिन्न रूप) 2.24 मिलीग्राम व अन्य विटामिन्स पाए जाते हैं. सरकारी अस्पताल में कार्यरत आयुर्वेदाचार्य डॉ. आरपी पराशर के अनुसार परवल में सब्जी वाली विशेषता तो है ही, यह औषधि भी है.
प्राचीन ग्रंथों में इसके गुणों के अलावा जड़ व पत्तों तक की विशेषताएं अंकित हैं. यह पीलिया के रोग का बचाव करती है और ब्लड को प्यूरिफाइड भी. यह लीवर को भी स्वस्थ बनाए रखती है. इसके पत्तों और जड़ के काढ़े से शराबी को स्वस्थ किया जा सकता है. इसमें पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है, इसलिए यह पेट के लिए भी लाभकारी है. इसी के चलते कब्ज जैसी बीमारी से बचा जा सकता है. चूंकि इसमें वसा बहुत ही कम है, तो यह वजन को भी कंट्रोल करेगी.
उम्र बढ़ने के संकेतों को कम कर देती है परवल
परवल के बीजों में भी विशेष गुण हैं. इन्हें साथ में पकाना चाहिए, क्योंकि यह शुगर लेवल को कंट्रोल में रखते हैं. यह सब्जी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है, जो वायरल संक्रमण को दूर रखते हैं. इसमें विटामिन ए व सी की पर्याप्त मात्रा है, जिससे स्किन चमकदार रहती है, आंखों की रोशनी बनी रहती है. यह भी कहा जा सकता है कि इस सब्जी का सेवन उम्र बढ़ने के संकेतों को कम करने में मदद करता है. यह भूख को भी बढ़ाती है. इसका ज्यादा मात्रा में सेवन करने से परहेज करना चाहिए, क्योंकि ऐसा किए जाने पर यह पेट गड़बड़ा सकती है. जिन लोगों का शुगर डाउन हो जाता है, वह भी इसके सेवन से बचें.