यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक, आधी से ज्यादा मानसिक स्वास्थ्य संबंधित स्थितियां 14 साल की उम्र से शुरू हो जाती हैं, लेकिन अधिकतर मामलों में इस बारे में पता नहीं चल पाता और समय पर इलाज नहीं मिल पाता। हाल में कोविड 19 के दौर में हर पीढ़ी के मानसिक स्वास्थ्य पर जोखिम बढ़ा। बच्चों पर भी इसका असर देखा गया। उनकी दिनचर्या से लेकर शिक्षा, मनोरंजन के साथ ही सामाजिक और स्वास्थ्य पर भी असर पड़ा। सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य बच्चों के भविष्य के लिए बेहतर परिणाम ला सकता है। इसलिए माता-पिता, स्कूल और समाज को बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए एक अच्छे वातावरण बनाने का काम करना चाहिए।
किसी भी बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि माता पिता उनकी समस्या को समझें और हल निकालने में मदद करें। बच्चों की स्थिति को समझने के लिए उन पर ध्यान देना होता है। जब अभिभावक बच्चों पर ध्यान देते हैं तो वह समझ पाते हैं कि बच्चे क्या बोल रहे, कैसे रहते हैं, उनके मस्तिष्क को कौन सी बाते प्रभावित कर रही हैं और उनकी भावनाएं कितनी सकारात्मक व नकारात्मक हैं। इसलिए बच्चे की हर गतिविधि को गौर से देखें।
किसी भी शख्स की मानसिक सेहत पर असर उस वक्त होता है, जब वह किसी वजह से तनाव व दबाव में होते हैं। बच्चे ऐसी स्थिति से निपटने के बारे में नहीं जानते और यही अवस्था मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालती है। कम उम्र में तनाव हावी होना आम बात हो रही है। इसके पीछे सामाजिक और भावनात्मक दोनों कारक हो सकते हैं। इसलिए बच्चे को तनाव से दूर रखने का प्रयास करें। उनके साथ वक्त बिताएं और बच्चे की समस्याओं व तनाव को कम करने में उसकी मदद करें।
बच्चे को अच्छी बातें सिखाएं। उन्हें बताएं कि गुस्से में या नकारात्मक रवैये से समस्याएं हल नहीं होतीं। जीवन में हर मौके पर सकारात्मक रहें और सभी के साथ स्नेहपूर्ण रवैया रखें। जब बच्चा अपने जीवन में सकारात्मक रहता है तो उनका मानसिक विकास भी बेहतर तरीके से हो सकता है।
