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बच्चों के बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए माता पिता रखें इन बातों का ध्यान

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दुनियाभर में प्रतिवर्ष 20 नवंबर को विश्व बाल दिवस मनाया जाता है। वैश्विक स्तर पर बच्चों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से विश्व बाल दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी। पहली बार यूनिवर्सल चिल्ड्रन डे के तौर पर साल 1954 में इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई। इसी दिन 1959 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बाल अधिकारों की घोषणाओं को अपनाया था। तब से यूनाइटेड नेशंस इंटरनेशनल चिल्ड्रन इमरजेंसी फंड (यूनिसेफ) बाल विकास और कल्याण की दिशा में कार्य कर रहा है। विश्व बाल दिवस बच्चों द्वारा, बच्चों के लिए कार्यक्रम का वार्षिकोत्सव है। यूनिसेफ के ‘ऑन माय माइंड’ कार्यक्रम के तहत बच्चों के बेहतर मानसिक स्वास्थ्य की दिशा में कार्य किया जा रहा है। इसका लक्ष्य हर बच्चे को स्नेहपूर्ण, पोषणयुक्त और सुरक्षित वातावरण में पलने बढ़ने का अधिकार देना है। चलिए जानते हैं बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी यूनिसेफ की रिपोर्ट और अभिभावक को लिए बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की सलाह।

यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक, आधी से ज्यादा मानसिक स्वास्थ्य संबंधित स्थितियां 14 साल की उम्र से शुरू हो जाती हैं, लेकिन अधिकतर मामलों में इस बारे में पता नहीं चल पाता और समय पर इलाज नहीं मिल पाता। हाल में कोविड 19 के दौर में हर पीढ़ी के मानसिक स्वास्थ्य पर जोखिम बढ़ा। बच्चों पर भी इसका असर देखा गया। उनकी दिनचर्या से लेकर शिक्षा, मनोरंजन के साथ ही सामाजिक और स्वास्थ्य पर भी असर पड़ा। सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य बच्चों के भविष्य के लिए बेहतर परिणाम ला सकता है। इसलिए माता-पिता, स्कूल और समाज को बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए एक अच्छे वातावरण बनाने का काम करना चाहिए।

किसी भी बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि माता पिता उनकी समस्या को समझें और हल निकालने में मदद करें। बच्चों की स्थिति को समझने के लिए उन पर ध्यान देना होता है। जब अभिभावक बच्चों पर ध्यान देते हैं तो वह समझ पाते हैं कि बच्चे क्या बोल रहे, कैसे रहते हैं, उनके मस्तिष्क को कौन सी बाते प्रभावित कर रही हैं और उनकी भावनाएं कितनी सकारात्मक व नकारात्मक हैं। इसलिए बच्चे की हर गतिविधि को गौर से देखें।

किसी भी शख्स की मानसिक सेहत पर असर उस वक्त होता है, जब वह किसी वजह से तनाव व दबाव में होते हैं। बच्चे ऐसी स्थिति से निपटने के बारे में नहीं जानते और यही अवस्था मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालती है। कम उम्र में तनाव हावी होना आम बात हो रही है। इसके पीछे सामाजिक और भावनात्मक दोनों कारक हो सकते हैं। इसलिए बच्चे को तनाव से दूर रखने का प्रयास करें। उनके साथ वक्त बिताएं और बच्चे की समस्याओं व तनाव को कम करने में उसकी मदद करें।

अक्सर माता पिता का समय बच्चे को नहीं मिल पाने के कारण वह अकेलापन महसूस करने लगता है। बच्चा भावनात्मक तौर पर कमजोर महसूस करता है। लेकिन काम या अन्य किसी कारण से जब माता पिता बच्चे के लिए वक्त नहीं निकाल पाते तो धीरे धीरे यह उनके मस्तिष्क पर असर डालने लगता है। उनके साथ बात करें, कहीं बाहर घूमने जाएं। बच्चे के स्कूल में होने वाले कार्यक्रमों में शामिल हों।

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