हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हिन्दू-मुस्लिम के बढ़ते तनाव के संबंध में देश को बहुत बड़ा शांति मंत्र दिया है। उनकी बातों पर दोनों धर्माें के प्रमुख नेता गंभीरता से विचार करें। वही सत्य है और उसी से भारत में शांति स्थापित हो सकती है।
उन्होंने कहा भारत सदियों तक गुलाम रहा। विदेशी आक्रमणकारी देश के मंदिरों को उजाड़ते रहे। यह एक इतिहास है, इसे बदला नहीं जा सकता है। एक नहीं बहुत-सी मस्जिदें, मंदिर तोड़ कर बनाई गई। यदि सभी में शिवलिंग और स्वस्तिक के चिन्ह ढूंढ़ने की कोशिश की जाए तो उसका कोई अंत नहीं है और देश इसी में उलझ कर रह जाएगा। मोहन भागवत का यह संदेश सभी सुनें कि हर मस्जिद में मंदिर के चिह्न ढूंढने का प्रयत्न न किया जाए। इसी में देश का भला है।
शांता कुमार ने कहा भारत का मुसलमान विदेशी जालिम आक्रमणकारियों की संतान नहीं है। आज के भारत का मुसलमान उन हिन्दुओं की संतान है जिन्होंने किसी कारण अपना धर्म बदला था। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मुहम्मद करीम झागला ने कहा था कि ‘मेरी रगों में हिन्दू ऋषि-मुनियों का खून दौड़ता है।’ अर्थात वे उन हिन्दुओं की संतान हैं जिन्होंने पूजा करने का तरीका बदला था। समस्या तब पैदा होती है जब औवेसी जैसे कुछ मुसलमान अपने आपको बाबर और औरंगजेब की संतान समझते हैं। विदेशी आक्रमणकारी तो लूटकर चले गये थे।
उन्होंने कहा कि भारत में रहने वाले सभी लोग भारतमाता के पुत्र हैं और भारतीय हैं। हिन्दू की भी यहीं परिभाषा है जो इस देश को अपनी मातृभूमि समझता है वह हिन्दू है। पूजा करने का तरीका उसका कोई भी हो। मस्जिद में जाने वाला मुसलमान भी हिन्दू या भारतीय है। शर्त केवल एक है कि भारत को अपनी मातृभूमि समझता हो।
शांता कुमार ने कहा कि यदि इन बातों को स्वीकार कर लिया जाए तो भारत में कभी कोई हिन्दू-मुसलमान विवाद पैदा नहीं हो सकता है। जैसे हिन्दुओं में शिव भक्त और कृष्ण भक्त अलग होते हुए भी एक हैं। उसी प्रकार देश में हिन्दू-मुसलमान भी एक हैं। इस महामंत्र को समझकर यह समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो सकती है।