प्रख्यात चित्रकार और असमिया फिल्म निर्देशक पुलक गोगोई (84) का शनिवार को यहां निधन हो गया। उन्होंने सुबह साढ़े आठ बजे गुवाहाटी के जू-रोड नारंगी स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन से पूरे राज्य में शोक की लहर है।
पुलक गोगोई का जन्म 1938 में जोरहाट में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन काल में कई फिल्में बनाईं। उन्होंने खोज, श्रीमती महिमामयी, रेल आलीर दुबरी वन, सुरुज, ममताज, सदरी, सेंदूर, मरमर नदीर गाभरू घाट आदि जैसी फिल्मों का निर्देशन किया।
उनके निधन पर मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने शोक व्यक्त किया है। अपने शोक संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा है कि 1938 में जन्मे गोगोई ने कई असमिया फिल्मों का निर्देशन करके असमिया सिनेमा की दुनिया को समृद्ध किया है। कई लोकप्रिय असमिया फिल्मों के निर्देशक पुलक गोगोई का निधन सांस्कृतिक क्षेत्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है। डॉ. सरमा ने दिवंगत कलाकार की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की है और शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है।
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने गोगोई के निधन पर कहा, प्रसिद्ध चित्रकार और फिल्म निर्देशक पुलक गोगोई ने लोकप्रिय रचनाओं के साथ असम की कला और संस्कृति की दुनिया को समृद्ध किया है। पुलक गोगोई की विभिन्न पेंटिंग्स के साथ-साथ उनकी विभिन्न फिल्मों को बहुत सराहना मिली। उनके निधन के बारे में जानकर गहरा दुख हुआ। दुख की इस घड़ी में मैं पुलक गोगोई के शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं, दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं। हम उनकी रचनाओं को श्रद्धा के साथ हमेशा संजोकर रखेंगे।
1938 में जोरहाट में जन्मे सोमेश्वर गोगोई के बेटे पुलक गोगोई ने ‘असमबानी’ समाचार पत्र में कार्टूनिस्ट के रूप में अपना करियर शुरू किया और बाद में ‘दैनिक असम’ अखबार के लिए एक पत्रकार कार्टूनिस्ट के रूप में कार्य किया। अपनी उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने असम सरकार के जनसंपर्क विभाग में काम किया लेकिन कुछ महीने बाद उन्होंने वह नौकरी छोड़ दी और एक कार्टूनिस्ट पत्रकार के रूप में अपनी जीवन यात्रा को आगे बढ़ाया। 1972 तक एक चित्रकार के रूप में सक्रिय रूप से काम करने के बाद 1974 में उन्होंने फिल्म ‘खोज’ के निर्माता निर्देशक के रूप में फिल्म निर्माण की अपनी यात्रा शुरू की।
खोज फिल्म बनाने पर उन्हें न सिर्फ प्रतिष्ठा मिली बल्कि वह क्रिटिक्स के फेवरेट भी बने। उन्होंने फिल्में बनाकर व्यावसायिक सफलता भी हासिल की। फिल्म ‘रेल आलीर दुबरी वन’ के लिए उन्हें भारतीय फिल्म श्रेणी में श्रेष्ठ असमिया फिल्म का रजत कमल पुरस्कार मिला। इसके अलावा पुलक गोगोई को उनकी 2013 की फिल्म ‘मुमताज’ के लिए फिल्म फेयर (ईस्ट) में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के रूप में सम्मानित किया गया। उन्होंने जिन अन्य फिल्मों का निर्देशन किया है, उनमें ‘सादरी’, ‘सेंदूर’, ‘सुरुज’, ‘श्रीमती महिमामयी’, ‘मरम नदीर गाभरू घाट’ और ‘पत्नी’ शामिल हैं।
गोगोई को फिल्म निर्माता और निर्देशक के साथ ही एक चित्रकार के रूप में भी लोकप्रियता हासिल हुई। दिल्ली ललित-कला अकादमी, कोलकाता के अकादमी आफ फाइन आर्ट, गुवाहाटी आर्टिस्ट्स गिल्ड से लेकर देश की सीमाओं को तोड़ते हुए सुदूर वाशिंगटन में होजेस गैलरी आईएनसी में उनकी कला प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया था। उनके कार्टूनों ने एक समय सामाजिक राजनीति के कई पहलुओं को व्यंग्यात्मक रूप से चित्रित किया था।