उत्तराखंड सरकार राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए नया संशोधित विधेयक लाएगी। यह विधेयक विधानसभा के आगामी सत्र में लाया जा सकता है। संशोधित विधेयक का प्रारूप तैयार करने के लिए होमवर्क शुरू हो गया है।
राजभवन से लौटने के बाद से विधेयक के संबंध में कार्मिक और गृह विभाग अध्ययन में जुटा है। न्यायिक परामर्श के बाद अब सरकार संशोधित विधेयक लाने जा रही है। सचिव मुख्यमंत्री शैलेश बगौली ने इसकी पुष्टि की है। उच्च न्यायालय की रोक के बाद 2018 में सरकार ने उस अधिसूचना को रद्द कर दिया था, जिसमें राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का प्रावधान था।
2013 में न्यायालय ने क्षैतिज आरक्षण पर रोक लगाई थी और 2015 में तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने विधानसभा से क्षैतिज आरक्षण बहाल कराने के लिए विधेयक पारित कराकर राजभवन भेज दिया था। सीएम धामी के अनुरोध पर सात साल बाद लौटे इस विधेयक की खामियों दूर कर अब संशोधित विधेयक लाने की तैयारी है।
राज्य आंदोलनकारियों के लिए कब क्या आदेश हुए
– 2000 में शहीदों के परिवारों के एक-एक परिजन को सरकारी नौकरी
– 2004 में सात दिन जेल गए या गंभीर रूप से घायलों को योग्यता अनुसार सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण व घायलों को 3000 रुपये प्रतिमाह पेंशन
– 2011 में सक्रिय आंदोलनकारियों के एक आश्रित को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की सुविधा
– 2012 में राज्य आंदोलन में घायलों की पेंशन को बढ़ाकर 5000 रुपये की गई
– 2015 में सक्रिय राज्य आंदोलनकारियों के लिए भी 3100 रुपये पेंशन शुरू की गई
धामी सरकार ने दो बार बढ़ाई पेंशन
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सक्रिय राज्य आंदोलनकारियों की सम्मान पेंशन 3100 रुपये से बढ़ाकर 4500 रुपये की। राज्य आंदोलन में घायलों को दी जाने वाली पेंशन को 5000 से 6000 रुपये किया।
कोर्ट के आदेश पर 2018 में आरक्षण पर खत्म
2015 में हरीश रावत सरकार में आया विधेयक
सात साल बाद राजभवन से लौटा विधेयक
राज्य आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण का विधेयक राजभवन से लौट गया है। न्याय विभाग से इस पर विचार-विमर्श हो रहा है। सरकार अब नए सिरे से संशोधित विधेयक लाएगी।
– शैलेश बगौली, सचिव, मुख्यमंत्री