संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन मिस्र के शर्म अल-शेख में आज (रविवार) शुरू होगा। 18 नवंबर तक 198 देशों और प्रमुख संगठनों के प्रतिनिधि इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करेगे। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव करेंगे। सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक सहित 100 से ज्यादा देशों के प्रमुखों के हिस्सा लेने के आसार हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सम्मेलन में हिस्सा लेंगे या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है।
सम्मेलन में हानिकारक गैसों का उत्सर्जन शून्य करने के तरीकों पर विचार होगा। पेरिस समझौते के तहत लिए गए निर्णयों के क्रियान्वयन की भी समीक्षा होगी। भारत इस सम्मेलन में विकासशील देशों की मदद बढ़ाए जाने की मांग करेगा। भारत के पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि भारत पर्यावरण सुधार के लिए आर्थिक मदद दिए जाने की व्यवस्था में पारदर्शिता और स्पष्टता की अपेक्षा भी करेगा।
पर्यावरण मंत्री यादव ने कहा है कि भारत मांग करेगा कि पर्यावरण सुधार के लिए दी जाने वाली धनराशि को अनुदान या ऋण या छूट के साथ वापस की जाने वाली धनराशि में से क्या माना जा रहा है। कोपेनहेगन में 2015 में हुए सीओपी 15 में 100 अरब डालर की निधि बनाने पर निर्णय हुआ था। 2020 से यह धनराशि प्रतिवर्ष विकासशील देशों को दी जानी थी लेकिन विकसित देश ऐसा करने में विफल रहे। भारत अन्य विकासशील देशों के समर्थन से इस मदद को दिए जाने की लगातार आवाज उठा रहा है।