मिस्र के शर्म अल-शेख में छह नवंबर से शुरू हो रहे 27वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में विकसित देशों द्वारा की गयी वादाखिलाफी का मुद्दा उठेगा। 18 नवंबर तक चलने वाले इस सम्मेलन में वैश्विक स्तर पर हो रही मौसम बदलाव संबंधी घटनाओं, यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण उत्पन्न अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा संकट पर भी चर्चा होगी।
ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में वर्ष 1992 में पर्यावरण और विकास के मसले पर संयुक्त राष्ट्र संघ के पृथ्वी सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन पर पारित संधि पर अमल करने के लिए हर वर्ष संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का आयोजन होता है। पिछले वर्ष हुए 26वें सम्मेलन में विकसित देशों ने जलवायु अनुकूलन प्रयासों के लिए वित्त पोषण को कम से कम दोगुना किए जाने पर सहमति व्यक्त की थी। अनेक हितधारकों ने इससे भी अधिक स्तर पर अनुकूलन प्रयासों के लिए धनराशि मुहैया कराए जाने और उसे कार्बन उत्सर्जन में कटौती पर केन्द्रित वित्त पोषण के समकक्ष बनाने पर जोर दिया था। विकसित देशों ने प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर मुहैया कराए जाने का वादा भी किया था।
छह नवंबर से शुरू हो रहे 27वें सम्मेलन में विकसित देशों द्वारा की गयी वादाखिलाफी का मुद्दा उठेगा, क्योंकि विकसित देशों ने पहले वर्ष ही 100 अरब डॉलर मुहैया कराने का अपना वादा पूरा नहीं किया है। विकासशील देशों ने पर्याप्त व उपयुक्त वित्त पोषण सुनिश्चित करने के लिए विकसित देशों से कहा है। दुनिया के तमाम देश संवेदनशील हालातों का सामना कर रहे हैं, उन्हें वित्त पोषण की जरूरत है। सम्मेलन के अध्यक्ष देश मिस्र ने इस मुद्दे के साथ-साथ अतीत में किए गए अन्य संकल्पों-प्रतिज्ञाओं की ओर ध्यान दिलाने की बात भी कही है।