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सियासी बाड़ाबंदी का पसंदीदा स्थान बना राजस्थान, सातवीं बार फिर सरकारी मेहमान बनेंगे विधायक

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राजस्थान में साल 2005 से शुरू हुई सियासी बाड़ाबंदी का सिलसिला अब तक जारी है। इसे कांग्रेस आलाकमान की पसंद कहे या फिर धोरों की धरती का करिश्मा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के तीसरे शासनकाल में राजस्थान पॉलिटिकल टूरिज्म का हब बनकर उभरा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तीन बार अपने विधायकों की बाड़ाबंदी कराने के साथ-साथ गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और असम के विधायकों की भी सियासी मेहमाननवाजी करा चुके हैं।

पूर्व में बाड़ाबदी के लिए जयपुर को सबसे महफूज स्थान माना जाता रहा है, लेकिन कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बार राज्यसभा चुनाव के चलते विधायकों की बाड़ाबंदी के लिए जयपुर की बजाय उदयपुर को चुना है। यहां अरावली रिसोर्ट में विधायकों की बाड़ाबंदी शुरू हो चुकी है। उदयपुर के अरावली रिसोर्ट में कांग्रेस का राष्ट्रीय चिंतन शिविर आयोजित हो चुका है। विधायकों की सियासी बाड़ाबंदी के लिए पूर्व में जयपुर सबसे पसंदीदा स्थान रहा है। अन्य राज्यों के विधायकों के साथ-साथ खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी दो बार अपने विधायकों की बाड़ाबंदी जयपुर में करा चुके हैं। एक बार राज्यसभा चुनाव और एक बार उन्नीस कांग्रेसी विधायकों के बागी तेवर दिखाने के बाद पैदा हुए सियासी संकट के समय जयपुर में बाड़ाबंदी हो चुकी है।

अप्रैल 2021 में असम विधानसभा चुनाव के बाद असम कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशियों की जयपुर में नौ अप्रैल 2021 को बाड़ाबंदी की गई थी। गठबंधन के दो दर्जन से ज्यादा प्रत्याशियों को जयपुर की होटल फेयरमाउंट में ठहराया गया था। करीब एक सप्ताह के बाद इन्हें वापस विशेष विमान से असम गुवाहाटी भेजा गया था। 2019 के नवंबर में महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र कांग्रेस के विधायकों को खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए जयपुर में बाड़ाबंदी की गई थी। महाराष्ट्र कांग्रेस के विधायकों को दिल्ली रोड स्थित होटल ब्यूना विस्ता रिसोर्ट में ठहराया गया था। बहुमत साबित होने तक विधायक जयपुर में ही रुके थे। खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायकों की बाड़ाबंदी की कमान संभाली थी।

फरवरी 2020 में मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के चलते तत्कालीन कमलनाथ सरकार पर आए सियासी संकट के दौरान भी मध्य प्रदेश कांग्रेस के विधायकों की जयपुर में बाड़ाबंदी की गई थी। इन विधायकों को भी होटल ब्यूना विस्ता और शिव विलास में शिफ्ट किया गया था। करीब 15 दिनों तक मध्यप्रदेश कांग्रेस के विधायक जयपुर में ही रुके थे। कमलनाथ सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाए और सरकार गिर गई थी। फरवरी 2020 में ही राज्यसभा चुनाव के चलते गुजरात कांग्रेस के विधायकों को भी जयपुर के शिव विलास रिसोर्ट में शिफ्ट किया गया था। गुजरात के आधे विधायकों को शिव विलास, तो आधे विधायकों को ग्रीन टी-हाउस में ठहराया गया था।

प्रदेश के कांग्रेस विधायकों और समर्थित विधायकों की भी जयपुर में ही दो बार बाड़ाबंदी हुई थी। जून 2020 में तीन सीटों पर हुए राज्यसभा चुनाव में खरीद-फरोख्त की आशंका के चलते कांग्रेस के विधायकों की जयपुर में शिव विलास और और एक अन्य लग्जरी रिसोर्ट में बाड़ाबंदी की गई थी। इस दौरान पार्टी के तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे, कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला सहित कई अन्य नेता भी मौजूद रहे थे। जुलाई 2020 में पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट कैंप की बगावत के दौरान भी कांग्रेस और समर्थित विधायकों की जयपुर के होटल फेयरमाउंट में बाड़ाबंदी की गई थी। करीब 35 दिनों तक सरकार बाड़ाबंदी में रही थी। इस दौरान गहलोत सरकार ने सदन में बहुमत साबित करके सरकार बचाई थी।

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