दिल्ली हाई कोर्ट ने केन्द्र सरकार को निर्देश दिया है कि सुब्रमण्यम स्वामी के निजी आवास पर पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने को लेकर एक हलफनामा दाखिल करें। जस्टिस यशवंत वर्मा ने केंद्र सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया कि स्वामी को सुरक्षा इसलिए उपलब्ध नहीं कराया जा सका, क्योंकि सुरक्षा बल त्यौहार के सुरक्षा प्रबंध में लगे हुए थे। मामले की अगली सुनवाई 3 नवंबर को होगी।
सोमवार को कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन दिनों के अंदर बेहतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि सुब्रमण्यम स्वामी एक निजी व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि उन्हें सरकार ने जेड श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध कराई है। कोर्ट ने कहा कि अभी तक सुरक्षा बलों के ठहरने की जगह भी नहीं बनाई गई है। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने याचिका दायर कर कहा है कि केंद्र सरकार ने उनके निजी आवास पर उन्हें पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराया है। स्वामी हाई कोर्ट के आदेश के बाद अपना सरकारी बंगला खाली कर निजी आवास में शिफ्ट हुए हैं।
कोर्ट में स्वामी की ओर से पेश वकील जयंत मेहता ने कहा कि सुब्रमण्यम स्वामी ने 26 अक्टूबर को सरकारी बंगला खाली कर दिया। केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट से कहा था कि स्वामी के सरकारी आवास खाली करने के बाद उनके निजी आवास पर भी पहले की तरह पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी, लेकिन उनके निजी आवास पर पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराई गई है। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 15 जनवरी 2016 को स्वामी को पांच वर्ष के लिए जेड श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध कराई थी। उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लुटियंस जोन में सरकारी आवास उपलब्ध कराया गया था। स्वामी का राज्यसभा के सदस्य के रुप में 24 अप्रैल को कार्यकाल पूरा हो गया था।
14 सितंबर को हाई कोर्ट से सुब्रमण्यम स्वामी को 6 हफ्ते में अपना सरकारी बंगला खाली करने को कहा था। जनवरी 2016 में ये बंगला उन्हें आवंटित हुआ था। अप्रैल 2022 में राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने से पहले स्वामी ने सुरक्षा को खतरे का हवाला देकर फिर से बंगला आवंटित करने की मांग की थी। हाई कोर्ट में केंद्र सरकार ने सुब्रमण्यम स्वामी की बंगला फिर से आवंटित किए जाने की मांग का विरोध किया था।सरकार का कहना था कि सांसदों और मंत्रियों के लिए बंगले की जरूरत है।