जिले में आईसीडीएस विभाग के डीपीओ ने एक बड़ी कारवाई की है।जांच में फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर चयनित तीन आंगनबाड़ी सेविका को चयनमुक्त करते हुए राशि रिकवरी का आदेश दिया है।साथ ही उन्होने उक्त चयन प्रक्रिया में मेघा सूची में दूसरे स्थान पर रहे अभ्यर्थी को 5 दिनो में चयनपत्र सौपने का निर्देश सीडीपीओ को दिया है।
डीपीओ शशिकांत पासवान ने यह कारवाई जिले के अरेराज प्रखंड के आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 164 सेविका आरती कुमारी केन्द्र संख्या 165 सेविका पूजा कुमारी व चिरैया प्रखंड के केंद्र संख्या 296 सेविका शबनम खातूनके विरूद्ध किया है।डीपीओ के इस कारवाई के बाद जिले में फर्जी प्रमाण पत्र व रिश्वखोरी के बल पर चयनित सेविकाओ में हड़कंप मचा हुआ है।
बताया जा रहा है कि जिले में अगर जांच की जाय तो बड़ी संख्या में फर्जी प्रमाण पत्र पर चयनित आंगनबाड़ी सेविका मिल जायेगी।वहीं जानकारी यह भी मिल रही है कि जिले में आईसीडीएस विभाग में पूरी तरह अराजकता और भष्ट्राचार का बोलबाला कायम है।जिला लोक शिकायत कोर्ट के द्धारा कई ऐसे सेविकाओ को चयनमुक्त करने का आदेश दिये जाने के बाद भी अधिकारियो द्धारा मोटी रकम लेने के बाद वह सेविका कार्यरत रहकर पोषाहार व मानदेय को निगल रही है।
बताया जा रहा है कि जिले के कई प्रखंडो में आंगनबाड़ी सेविका चयन प्रक्रिया भारी हेराफेरी किया गया है।जहां कार्यालय कर्मी व बिचौलिया द्धारा मोटी राशि वसूल कर फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर चयन प्रक्रिया संपन्न किया गया है।बताया जा रहा है कि जिले के ढाका,बनकटवा,छौड़ादानो बंजरिया,अरेराज,चिरैया व हरसिद्धि समेत कई ऐसे प्रखंड है।जहां के तत्कालीन सीडीपीओ व एलएस के द्वारा अभ्यर्थियो के प्रमाणपत्र जांच में पैसे का बड़ा खेल किया गया है।सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार जिले में आंगनबाड़ी सेविका चयन प्रक्रिया की सूक्ष्मता से जांच किया जाय तो कई बड़े खुलासे हो सकते है।