झलवा के ग्लोबल हॉस्पिटल व ट्रामा सेंटर में डेंगू मरीज प्रदीप पांडे को जो फर्जी प्लेटलेट्स चढ़ाया गया था, उनके पैकेट पर एसआरएन का टैग लगा हुआ था। हालांकि कॉलेज प्रशासन ने पहले ही साफ कर दिया है कि यह प्लेटलेट्स उसके यहां से नहीं ली गई है। मेडिकल कॉलेज के मुताबिक उसके यहां से जो प्लेटलेट्स मिलती है उसमें एसआरएन का टैग नहीं होता है। बल्कि उसकी जगह मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज का टैग होता है।
बारकोड से क्या होता है फायदा
बारकोड की मदद से उत्पादों के बचे स्टॉक की आसानी से गणना तथा प्रोडक्ट की ट्रैकिंग सरलतापूर्वक हो जाती है। मोबाइल से बारकोड स्कैन किए जाने पर पता चल जाता है कि प्रोडक्ट की गुणवत्ता क्या है, इसकी पैकिंग कब हुई, प्रोडक्ट कहां तैयार हुआ सहित अन्य जानकारियां उपभोक्ता को तुरंत मिल जाती है। इससे फर्जीवाड़े की संभावना समाप्त हो जाती है।
जो प्लेटलेट्स पाई गई है वह मेडिकल कॉलेज की नहीं है। अगर किसी को ब्लड या प्लेटलेट्स चाहिए वह सीधा अस्पताल से ले, किसी दलाल से लेने की आवश्यकता नहीं है। इसके साथ ही ब्लड व प्लेटलेट्स के पैकेट पर बार कोड का इस्तेमाल किए जाने पर विचार किया जा रहा है। – डॉ. एसपी सिंह, प्राचार्य, मोती लाल नेहरू मेडिकल कालेज
बारकोड से क्या होता है फायदा
बारकोड की मदद से उत्पादों के बचे स्टॉक की आसानी से गणना तथा प्रोडक्ट की ट्रैकिंग सरलतापूर्वक हो जाती है। मोबाइल से बारकोड स्कैन किए जाने पर पता चल जाता है कि प्रोडक्ट की गुणवत्ता क्या है, इसकी पैकिंग कब हुई, प्रोडक्ट कहां तैयार हुआ सहित अन्य जानकारियां उपभोक्ता को तुरंत मिल जाती है। इससे फर्जीवाड़े की संभावना समाप्त हो जाती है।
जो प्लेटलेट्स पाई गई है वह मेडिकल कॉलेज की नहीं है। अगर किसी को ब्लड या प्लेटलेट्स चाहिए वह सीधा अस्पताल से ले, किसी दलाल से लेने की आवश्यकता नहीं है। इसके साथ ही ब्लड व प्लेटलेट्स के पैकेट पर बार कोड का इस्तेमाल किए जाने पर विचार किया जा रहा है। – डॉ. एसपी सिंह, प्राचार्य, मोती लाल नेहरू मेडिकल कालेज