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दीपोत्सव -पंच प्रण) माटी की काया के अनुकूल हैं मिट्टी से बने घर : मनीषा ठाकुर

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Chief Minister Shri Chouhan called on by Indian Ambassador of 4 countries

 

चहुँओर कंकरीट के फैलते जंगल के बीच अब हर व्यक्ति को प्रकृति से दिनोंदिन दुराव का अहसास कष्ट देने लगा है। भौतिक सुख सुविधाओं, चमक दमक के बावजूद मन और काया दोनों अतृप्त और असन्तुष्ट है। ग्लोबल वार्मिंग और दूसरी विसंगतियों के कारण अब हर शख्स ऐसे घरौंदे की चाह रख रहा है जहां वह ज्यादा से ज्यादा प्रकृति के करीब हो और सुकून पा सके। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला की मनीषा ठाकुर ने ऐसे ही ‘इको फ्रेंडली’ घरौंदे के निर्माण का बीड़ा उठाया है। वे मिट्टी से बने घर को आधुनिक तकनीक और तौर तरीकों से तैयार कर रही हैं। मिट्टी से बने ये घर आकर्षक, टिकाऊ और कम लागत से तैयार हो रहे हैं।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में आयोजित हो रहे ‘दीपोत्सव : पंच प्रण’ कार्यक्रम में हिस्सा ले रहीं मनीषा और उनकी टीम ने ऐसा ही एक मिट्टी का घर तैयार किया है।

‘हिन्दुस्थान समाचार’ से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि वे मिट्टी के घर बनाती हैं। उनका कहना है कि मिट्टी से बने ये घर अधिक मजबूत और टिकाऊ हो सकते हैं अगर उन्हें साइंटिफिक तरीके से बनाया जाए। मनीषा तनिक दार्शनिक भाव में कहती हैं कि मिट्टी ही सदैव जीवंत है। ऐसे में माटी से बनी हमारी काया को मिट्टी से बने घरों में ज्यादा सुकून मिलता है।

मिट्टी के घर बनाने का विचार कहां से आया, ये पूछने पर वे बताती हैं कि कोरोना काल से पहले वे दुबई में एक बड़ी कम्पनी के साथ काम करती थीं। आठ वर्षों तक उन्होंने वहां काम किया और कोरोना के दौरान वे अपने घर धर्मशाला आ गईं। यहां कुछ अलग करने की चाह ने उन्हें मिट्टी से इस कदर जोड़ दिया कि अब वे मिट्टी के घर तैयार करने लगीं हैं।

मनीषा ने आगे बताया कि जब वह कोरोना काल में दुबई से धर्मशाला लौटी तो उन्होंने अपने घर पर गौशाला बनते देखा। कच्चे मिट्टी से बन रहे इस गोशाला ने उनको आकर्षित किया। ऐसे में उन्होंने इस कला को सीखने का मन बनाया और इस विधा को सीखने और समझने के लिए वह दक्षिण भारत गईं। साल भर वहां मिट्टी के घर बनाने वाले कारीगरों से सीखा।

उन्होंने इस विधा के सीखने के बाद ‘मिट्टी कारीगर’ नाम की कंपनी बनाई और कार्य में लग गईं। वह जो घर बनाती हैं उनमें दीमक नहीं लगता। वह कई तरीके की मिट्टी को मिलाकर उसके कच्चे ईंट तैयार करती हैं। फिर भूसा, मिश्रित मिट्टी, गोमूत्र, चूना, नीब को मिक्स कर गारा तैयार करती हैं। घर की डिजाइन के अनुसार निर्माण करती हैं।

मनीषा का कहना है कि मिट्टी के बने ये घर कंक्रीट और ईंट से बने घर से तीस फीसदी सस्ते और टिकाऊ होते हैं ।

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