भारतीय रसोई में हरा-धनिया एक आवश्यक तत्व है. इसकी विशेषता है कि यह भोजन के स्वाद को अच्छी तरह से उभार देता है. भोजन खाते वक्त स्वाद बढ़ाने के लिए जो चटनी खाई जाती है, उसमें भी हरे धनिए का विशेष रोल है. भोजन को सजाने का काम भी करता है हरा धनिया. अलग ही तरह की खुशबू और स्वाद से भरा यह पौधा असल में जड़ी-बूटी ही है, जो शरीर के लिए बेहद गुणकारी भी है. इस पौधे में विटामिन्स तो है ही, उच्च एंटीऑक्सीडेंट से भी भरा हुआ है. बहुत अपनापन दिखाया है भारत वासियों ने हरे धनिए के प्रति.
वायुशोधन का काम भी करता है हरा धनिया
हरा धनिया भी उसी प्रकार की जड़ी-बूटी है, जिसकी विशेषताओं को देखते हुए भारतीय ऋषियों और प्राचीन आयुर्वेदाचार्यों ने इसे रसोई में शामिल कर लिया ताकि भोजन भी रुचिकर हो जाए और शरीर को भी उसका लाभ मिले. हरे धनिए की पत्तियां जड़ी-बूटी हैं तो इसके बीज मसाला है, जिसे कूट या पीसकर भोजन का स्वाद बढ़ाया जाता है. फिलहाल आज बात हरे धनिए की हो रही है. इसकी अतिरिक्त विशेषता है कह यह भोजन को खराब होने से बचाता है. इसके पौधे को गमले में लगाकर खिड़की पर रख दिया जाए तो यह बेहतरीन वायुशोधक है.
हजारों सालों से इसका उपयोग किया जा रहा है
माना जा रहा है कि धनिए का उपयोग करीब ईसा पूर्व 5000 से हो रहा है. विश्वकोष Britannca ने यह जानकारी देते हुए कहा है कि इसकी नाजुक व युवा पत्तियां लैटिन अमेरिकी, भारतीय और चीनी व्यंजनों में व्यापक रूप से उपयोग की जा रही हैं. रोमन लोग इसका इस्तेमाल रोटी का स्वाद बढ़ाने के लिए करते थे. दूसरी ओर मसाला प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने वाले व भारत की एग्मार्क लेब के संस्थापक निदेशक जीवन सिंह प्रुथी ने अपनी पुस्तक ‘Spcices And Condiments’ में जानकारी दी है कि हरा धनिया का मूल स्थान भूमध्य सागर का तटवर्ती क्षेत्र है.
पोषक तत्वों व विटामिन्स से भरपूर हैं इसकी पत्तियां
इस बात में कोई दो-राय नहीं कि हरा धनिया मानव शरीर के लिए बेहद लाभकारी है. यह एंटिऑक्सिडेंट तो है ही साथ ही विटामिन्स से भी भरपूर है, इसलिए शरीर में रोगाणुओं ओर बीमारियों का जोखिम कर देता है. अगर इसमें पोषण तत्वों की बात करें तो इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के राष्ट्रीय पोषण पोषण संस्थान (NIN) के अनुसार 100 ग्राम धनिया के पत्तों में 31 किलो कैलोरी, 2 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 4 ग्राम प्रोटीन, 0.7 ग्राम वसा, 146 मिलीग्राम कैल्शियम, 5.3 मिलीग्राम आयरन, 4.7 ग्राम फाइबर, 24 मिलीग्राम विटामिन सी, 635 मिलीग्राम विटामिन ए होता है.
इन्हीं पोषक तत्वों के चलते यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाए रखता है और व्हाइट ब्लड सेल्स को सुचारू बनाए रखता है. इसका सेवन आंखों की रोशनी को भी स्वस्थ रखने में कारगर है. इसमें पाए जाने वाला हरा रंग इंसुलिन स्राव को उत्तेजित करता है जो ब्लड में ग्लूकोज के स्तर को कम कर सकता है. इसलिए शुगर के मरीजों के लिए यह लाभकारी है.
आहार विशेषज्ञ व योगाचार्य रमा गुप्ता के अनुसार धनिया के पत्तों का नियमित सेवन एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल को कम करने और एचडीएल (अच्छा) कोलेस्ट्रॉल में सुधार करने में मदद कर सकता है. इसमें पाए जाने वाले केल्शियम व आयरन आदि तत्व हड्डियों की मजबूती बनाए रखने में सहायक है. इसमें पाया जाने वाला एंटी-इंफ्लेमेटरी (सूजनरोधी) फंक्शन गठिया के दर्द में राहत प्रदान करता है. इसमें पाया जाने वाला फाइबर पाचन सिस्टम को ठीक रखता है. धनिए में पर्याप्त मात्रा में आयरन, विटामिन ई और विटामिन ए होने से यह त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्स से लड़ता है. यह एक रोगाणुरोधी, एंटीसेप्टिक और एंटिफंगल एजेंट भी है जो त्वचा को शांत और ठंडा करने में मदद कर सकता है. हरे धनिए की विशेषता यह है कि यह ब्लडप्रेशर को कम कर सकता है और शुगर लेवल को कंट्रोल कर सकता है, इसलिए जो लोग इन रोगों से जुड़ी दवाओं का सेवन कर रहे हैं, वह डॉक्टर से जरूर परामर्श करें, क्योंकि एक साथ सब्जी या चटनी में खाए जाने से शरीर में हाइपोग्लाइसीमिया (ग्लूकोज का कम हो जाना) की शिकायत हो सकती है.