प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प से बनकर तैयार हुए बिहार के एकलौते खाद कारखाना हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (हर्ल) ने बरौनी से नीम कोटेड ”अपना यूरिया” और अमोनिया का उत्पादन शुरू कर दिया है।
अमोनिया का उत्पादन आठ अक्टूबर से शुरु हो गया था, जबकि बीती रात नीम कोटेड यूरिया का दाना हाथ में आते ही कारखाना के अधिकारियों और कर्मियों के चेहरे खिल उठे हैं। 8387 करोड़ की लागत से बने नेचुरल गैस आधारित इस कारखाना से प्रत्येक दिन 3850 मेट्रिक टन ”अपना यूरिया” ब्रांड का नीम कोटेड यूरिया तथा 22 सौ टन अमोनिया का उत्पादन होगा।
खाद कारखाना से व्यवसायिक उत्पादन और डिस्पैच शुरू कराने के लिए पूरी टीम लगातार काम कर रही है तथा कभी भी डिस्पैच शुरू हो सकता है। हालांकि इसके विधिवत उद्घाटन के लिए प्रबंधन द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय से संपर्क किया जा रहा है। स्वीकृति मिलते ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इसका शुभारंभ किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मूल मंत्र को आत्मसात कर आत्मनिर्भर बन रहे भारत में कृषि भी आत्मनिर्भर हो रही है। खास करके यूरिया की किल्लत झेल रहे बिहार के किसानों को अब खाद के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सार्वजनिक उपक्रम इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन, कोल इंडिया लिमिटेड, फर्टिलाइजर्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड एवं हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के ज्वाइंट वेंचर हर्ल से खाद उत्पादन में भूगर्भीय जल का प्रयोग नहीं किया जाएगा, इसके लिए गंगा नदी में टैंक बनाकर पाइप से कनेक्ट किया गया है।
प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा योजना से गैस पाइप लाइन से एकीकृत करने के परियोजना के तहत बरौनी खाद कारखाना को पीएनजी की आपूर्ति करने के लिए पाइप लाइन से जोड़ा जा चुका है। उल्लेखनीय है कि बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के प्रयास से पूर्वोत्तर भारत का सबसे पहला खाद कारखाना बरौनी में बनाया गया था। उस खाद कारखाना में एक नवम्बर 1976 से उत्पादन शुरू हुआ तथा 1.84 लाख मीट्रिक टन ”मोती यूरिया” उत्पादन कर बिहार और पड़ोसी राज्यों को भेजा जाता था।
सिस्टम की कमजोरी और यूनियन बाजी के कारण 1998-1999 में घाटा दिखाकर उत्पादन तथा 2002 में इसे स्थाई रूप से बंद कर दिया गया। कई आंदोलन हुए तो 2008 में शिलान्यास हुआ, लेकिन निर्माण नहीं हो सका। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नजर गई तो 25 मई 2016 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसे चालू करने का फैसला लिया। 25 जुलाई 2016 को वित्तीय पुनर्गठन पैकेज के तहत करीब 7169 करोड़ सूद सहित नौ हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ करते हुए पुनरुद्धार को मंजूरी दी।
बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड के बंद पड़े कारखाना पर बिजली बिल मद में बकाया पांच हजार करोड़ की भरपाई के लिए 56 एकड़ जमीन दे दी गई। निर्माण शुरू करने की प्रक्रिया पूरी की गई।
17 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बेगूसराय आकर खाद कारखाना के पुराने कैम्पस में ही बनने वाले खाद कारखाना का शिलान्यास किया था। बरौनी में उत्पादन होने से यातायात दबाव भी कम होगा। कारखाना से चालू होने से एक ओर यूरिया की मारामारी खत्म हो जाएगी तो दूसरी ओर स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन होने के साथ-साथ उद्योग के माध्यम से इकोनॉमी का नया सिस्टम डेवलप होगा।