उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अधिकारी दीपक कुमार ने उत्तर रेलवे ने जम्मू एवं कश्मीर में कटरा-बनिहाल सेक्शन के बीच संगलदन और सुम्बर स्टेशनों के बीच भारतीय रेलवे की चौथी सबसे लंबी सुरंग (10.18 किमी) का ब्रेक-थ्रू कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की। यूएसबीआरएल परियोजना में रेलवे के लिए एक और बड़ी उपलब्धि है।
उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने बताया कि उत्तर रेलवे ने मंगलवार को यूएसबीआरएल परियोजना के कटरा-बनिहाल सेक्शन पर संगलदन और सुम्बर स्टेशनों के बीच भारतीय रेलवे की चौथी सबसे लंबी सुरंग, टनल टी-48 का ब्रेक-थ्रू कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की। ब्रेक-थ्रू के दौरान सुरंग की लाइन और लेवल सटीक तरह से हासिल किया गया। घोड़े की नाल के आकार की यह सुरंग उत्तर की ओर सुंबर स्टेशन यार्ड और दक्षिण की ओर धरम गांव चिंजी नाला पर ब्रिज नंबर-1 को जोड़ती है। सुरंग के भीतर का रूलिंग ग्रेडियेंट 80 में 01 है। सुरंग की खुदाई का कार्य दो छोरों अर्थात् धर्म प्रवेश द्वार (328 मीटर) और कोहली प्रवेश द्वार (829 मीटर) से शुरू किया गया था।
टनल टी-48 एक जुड़वां ट्यूब सुरंग है, जिसमें मुख्य सुरंग (10.186 किलोमीटर) और 24 क्रॉस-पैसेज से जुड़ी एस्केप टनल (9.788 किलोमीटर) शामिल है। सुरंग का निर्माण अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार किया गया है, इसमें आपातकालीन परिस्थितियों में बचाव और राहत कार्यों हेतु प्रावधान किया गया है। सुरंग युवा हिमालय के रामबन फॉर्मेशन और सुरंग टी-48 के दक्षिणी छोर पर स्थित मुरी थ्रस्ट से होकर गुजरती है, जहां चिनजी नाला टी-47 पी-2 और टी-48 पी-1 के बीच से होकर गुजरता है। चिनाब नदी की सहायक नदियों जैसे भीमदासा, बगदीशा और कोहली नाला आदि इसके साथ-साथ गुजरते हैं जिससे खनन एक अत्यधिक चुनौतीपूर्ण कार्य बन जाता है।
18 अक्टूबर को मुख्य प्रशासनिक अधिकारी यूएसबीआरएल एसपी माही, इरकान के निदेशक पराग वर्मा और उनकी टीम के साथ उत्तर रेलवे की टीम, इरकान के अधिकारी और मैसर्स जीईसीपीएल की मौजूदगी में सुरंग का ब्रेक-थ्रू किया गया। उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना (यूएसबीआरएल परियोजना) के कुल 272 किलोमीटर में से 161 किलोमीटर का कार्य पहले ही पूरा कर लिया गया और इस पर रेल परिचालन भी हो रहा हैं। कटरा-बनिहाल के बीच के शेष 111 किलोमीटर पर कार्य प्रगति पर है। कटरा-बनिहाल सैक्शन निचले हिमालय के पहाड़ी इलाकों से होकर गुजर रहा है जहां कठिन भू-भाग, दुर्गम क्षेत्र, मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियां, भूस्खलन और पहुंच सड़कों पर पत्थरों का गिरना प्रमुख चुनौतियां हैं। इस हिस्से में अनेक बड़े पुल और बहुत लंबी सुरंगें हैं जिनपर निर्माण विभिन्न चरणों में हैं।