यूरोपीय संघ के सामूहिक निकाय ‘यूरोपीय परिषद’ ने ईरान में हिजाब विवाद में महसा अमीनी (22) की पुलिस हिरासत में हुई कथित मौत के सिलसिले में 11 व्यक्तियों और चार संस्थाओं के खिलाफ प्रतिबंध लगा दिया है। इनमें ईरान की ‘नैतिक पुलिस’ भी शामिल है। यूरोपीय संघ 27 देशों का एक राजनीतिक एवं आर्थिक मंच है।
अमीनी की मौत के बाद पूरे ईरान में सामाजिक अशांति और उग्र विरोध शुरू है। इसमें कई लोग मारे जा चुके हैं। यूरोपीय परिषद के प्रतिबंध की सूची में ईरान की ‘नैतिक पुलिस’ और इसके दो प्रमुख व्यक्ति, मोहम्मद रोस्तमी और हजहमद मिर्जाई शामिल हैं।
यूरोपीय संघ ने सोमवार को ईरानी कानून प्रवर्तन बलों (एलईएफ) और उसके कई स्थानीय प्रमुखों को नामित और ईरान के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी मंत्री इस्सा जारेपोर को सूचीबद्ध किया है। इस प्रतिबंध के बाद इनकी यात्रा पर प्रतिबंध होगा। साथ ही इनकी संपत्ति को फ्रीज किया जाएगा। यूरोपीय संघ के नागरिकों और कंपनियों को सूचीबद्ध व्यक्तियों और संस्थाओं को धन उपलब्ध कराने से मना किया गया है। यूरोपीय परिषद ने सदस्य देशों के विदेश मामलों के मंत्रियों की बैठक के बाद कहा कि अब इस सूची में 97 व्यक्ति और आठ संस्थाएं शामिल हो गई है।
उल्लेखनीय है कि ईरान में ‘नैतिक पुलिस’ को गश्त-ए इरशाद ( गश्ती के लिए फारसी शब्द) कहा जाता है। 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से ईरान में नैतिक पुलिस के विभिन्न रूप रहे हैं। इस वक्त गश्त-ए इरशाद ईरान की इस्लामी आचार संहिता को सार्वजनिक रूप से लागू करने वाली मुख्य एजेंसी है। इस संहिता में महिलाओं को अपने बालों, शरीर को ढकने और सौंदर्य प्रसाधनों को हतोत्साहित करने की हिदायत दी गई है। ‘नैतिक पुलिस’ को इसका उल्लंघन करने वाली महिलाओं को चेतावनी देने, जुर्माना लगाने या गिरफ्तार करने का अधिकार है। ईरान की शहरी महिलाएं शुरू से नैतिक पुलिस की मुखालफत कर रही हैं। ईरान में महिलाओं को हेड स्कार्फ और ढीले कपड़े पहनना अनिवार्य है। गर्मी में भी इस नियम में कोई छूट नहीं है।