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मातृशक्ति के प्रबोधन व सशक्तीकरण पर जोर देगा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

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महिलाओं को समान अवसर उपलब्ध कराना चाहता है संघ

देश में 50 प्रतिशत आबादी महिलाओं की है। संस्कारवान व चरित्र संपन्न व्यक्ति निर्माण का कार्य जो संघ अनेक वर्षों से कर रहा है। वह कार्य महिलाओं की सहभागिता के बिना संभव नहीं है। इसलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ महिलाओं के प्रबोधन और सशक्तीकरण के साथ ही समाज में बराबरी का स्थान दिलाने का भी प्रयास करेगा। इस बारे में प्रयागराज में चल रही अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में मंथन चल रहा है।

इस बार विजयदशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने जिन प्रमुख बिंदुओं का उल्लेख किया है, उनमें नारी सशक्तीकरण का उल्लेख सबसे पहले किया है। संघ के इतिहास में पहली बार विजयदशमी के अवसर पर नागपुर में होने वाले प्रमुख कार्यक्रम में बतौर प्रमुख अतिथि किसी महिला को आमंत्रित किया गया था। अतिथि के नाते विजयदशमी के अवसर पर पद्मश्री डॉक्टर संतोष यादव का शामिल होना अपने आप में एक बड़ी बात है।पुरुषों और महिलाओं के लिए शाखा भले ही अलग चलती हो लेकिन अन्य सभी गतिविधियों में सारे कार्य महिला और पुरुष मिलकर ही करते हैं। इसलिए संघ अब महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के साथ ही समान अवसर उपलब्ध कराने का पक्षधर है।

स्वयंसेवक अपने घर से करें शुरुआत

कार्यकारी मंडल की बैठक में एक चर्चा हुई कि घर में संस्कारों का वातावरण बनाए रखने की जिम्मेदारी महिलाओं की होती है। यह कार्य संघ के स्वयंसेवक को अपने परिवार से प्रारंभ कर समाज के बीच ले जाना है। विचार किया गया कि महिलाओं के सहयोग के बिना पुरुषों के लिए संघ कार्य में समय देना संभव नहीं है। इसलिए परिवार की महिलाओं को भी संघ के क्रियाकलापों की जानकारी होनी चाहिए। इसलिए संघ ने महानगरों में रहने वाले संघ कार्यकर्ताओं की बहन-बेटियों का परिचय वर्ग लगाने का निर्णय किया है। इससे जहां घर तक संघ पहुंचेगा, वहीं काम करने के लिए बड़ी संख्या में बहनें भी आगे आएंगी।

संघ की गतिविधियों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अनिवार्य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने समाज में उत्पन्न विभिन्न प्रकार की समस्याओं के निराकरण के लिए छह गतिविधियां बनाई हैं। गतिविधियों के माध्यम से संघ कार्यकर्ता समाज में कार्य कर रहे हैं। समाज में विषमता को दूर करने के लिए सामाजिक समरसता, पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने के लिए पर्यावरण, समाज में सद्भाव निर्माण के लिए सामाजिक सद्भाव, गोवंश की रक्षा के लिए गो सेवा, ग्रामीण विकास के लिए संकल्पित ग्राम विकास और धर्म के क्षेत्र में काम करने के लिए धर्म जागरण गतिविधि के माध्यम से संघ कार्य कर रहा है। संघ के शीर्ष नेतृत्व ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि इन गतिविधियों में महिलाओं की प्रत्यक्ष भागीदारी अनिवार्य रूप से सुनिश्चित की जाए।

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