वयस्कों की तरह बच्चों में हार्ट संबंधी परेशानियां नहीं होती है. कम से कम खराब लाइफस्टाइल के कारण तो बच्चों में ऐसा बिल्कुल नहीं होता है. हम यह भी कह सकते हैं कि माता-पिता की गलती के कारण भी बच्चों में हार्ट की बीमारी नहीं होती है लेकिन कभी-कभी किसी बच्चे के दिल से संबंधित जन्मजात विसंगतियां पैदा हो जाती है. यह गर्भावस्था के दौरान किसी भी कारण हो सकती है. इसमें मां को कोई कसूर नहीं होता है. लेकिन अगर किसी बच्चे में समय के साथ यह विकसित हो जाती है तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि वयस्क होने पर इसकी जटिलताएं बढ़ सकती है. आमतौर पर बच्चों में जब ज्यादा पसीना आने लगे तो यह दिल से संबंधित विसंगतियों के संकेत हो सकते हैं. इसलिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
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क्या होती है बीमारी
टीओआईकी खबर के मुताबिक एसआरसीसी चिल्ड्रन अस्पताल के पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट डॉ सुप्रतीम सेन बताते हैं कि जब भी हमारे सामने कुछ बच्चों में हार्ट में छेद की शिकायत लेकर माता-पिता आते हैं तो हम उन्हें सर्जरी की सलाह देते हैं लेकिन अधिकांश माता-पिता उसे सर्जरी के लिए नहीं लाते. उनकी धारणा होती है कि समय के साथ यह गैप अपने आप भर जाएगा. उनका यह भी मानना रहता है कि इतनी छोटी उम्र में बच्चों के लिए हार्ट का ऑपरेशन सही नहीं है. इस गलती की वजह से कभी-कभी बच्चों में पल्मोनरी हाइपरटेंशन हो जाता है जो खतरनाक भी हो सकता है.
क्या है लक्षण
बच्चों के दिल में जब जन्मजात विसंगतियां हो जाए तो समय के साथ बच्चों में कुछ लक्षण उभर आते हैं. जैसे बच्चा असहज महसूस करता है. कोई काम सही से नहीं कर पाता है. वह खाना खाने में आनाकानी करता है. खाते-खाते ही थकने लगता है. बच्चे का वजन सही से नहीं बढ़ता. इसके अलावा ज्यादा पसीना आने लगता है. कुछ बच्चों में और नवजात में रोते समय होंठ, जीभ और नाखूनों का रंग नीला पड़ जाता है. बड़े बच्चों को बार-बार निमोनिया हो सकता है, थकान हो सकती है और कुछ भारी काम करने पर सांस फूलने की समस्या बढ़ सकती है.
क्या करना चाहिए
अगर उपरोक्त लक्षण बच्चों में दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. ऐसे बच्चों का रूटीन चेक-अप होना जरूरी है. पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए. कुछ टेस्ट के बाद डॉक्टर सर्जरी के लिए भी कह सकते हैं. इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. कुछ बच्चों में दवा के माध्यम से भी ठीक किया जा सकता है.