जीवनशैली में आए बदलाव के कारण बहुत से लोग आर्थराइटिस (गठिया) बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं। इनमें कई ऐसे भी हैं जो कि पचास साल से कम उम्र के हैं। जिला अस्पताल के अलावा अन्य अस्पतालों में भी आर्थराइटिस के मरीज आए दिन जांच करवाने के लिए पहुंचते हैं। पहले पचास साल की उम्र के बाद ही लोगों में आर्थराइटिस की समस्या होती है। मगर अब यह रोग अब किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को हो सकता है। यह बातें विश्व गठिया दिवस पर बुधवार को काशीराम संयुक्त जिला चिकित्सालय एवं ट्रामा सेंटर के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. सुधांशु कटियार ने कही।
डॉ. कटियार ने बताया कि आर्थराइटिस यानी गठिया एक अकेली बीमारी नहीं है, बल्कि 100 से भी अधिक विभिन्न स्थितियों का एक संग्रह है जो जोड़ों को, जोड़ों के आसपास मौजूद उत्तकों को प्रभावित करता है। इन स्थितियों में आमतौर पर जोड़ों में अकड़न या कठोरता हो जाती है, दर्द और इन्फ्लेमेशन (सूजन) होने लगता है। आमतौर पर यह समस्या वयस्कों में अधिक देखी जाती है।
बुजुर्गों को ही नहीं बल्कि बच्चों को भी हो रहा गठिया
जिला चिकित्सालय में तैनात हड़्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक शुक्ला का कहना है कि गठिया केवल बुजुर्गों में देखी जाने वाली बीमारी नहीं है। गठिया किसी भी आयु के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। गठिया कई प्रकार के होते हैं। उनमें एक जुवेनाइल या किशोर गठिया होता है। जुवेनाइल या किशोर गठिया 06 महीने से लेकेर 16 वर्ष की आयु के बच्चों में हो सकता है। यह तब होता हैं जब आपके शरीर का इम्यून सिस्टम, धीरे-धीरे जोड़ों में मौजूद स्वस्थ कोशिकाओं पर ही हमला करके उन्हें नुकसान पहुंचाने लगता है। किशोर गठिया के लक्षणों की बात करें तो इसमें प्रभावित जोड़ों में दर्द और सूजन शामिल है। इसके साथ ही जिन लोगों की त्वचा पर चकत्ते भी देखने को मिलते हैं उनको सोरियाटिक गठिया होता है।
आर्थराइटिस के कई कारण
डॉ. शुक्ला का कहना है कि आर्थराइटिस के कई कारण हैं। मधुमेह के कारण जोड़ों का दर्द अधिक होता है। इस कारण मधुमेह से पीड़ित एक तिहाई लोगों में इस रोग की भी आशंका होती है। इसके अलावा मोटापा, मादक पदार्थों का सेवन, जंक फूड का सेवन करना, कंप्यूटर पर बैठकर घंटों काम करने और व्यायाम न करने के कारण भी यह बीमारी होती है। उन्होंने कहा कि पहले कहा जाता था कि अधिक उम्र के लोगों को ही यह बीमारी होती है लेकिन अब कम उम्र के लोग भी इसकी चपेट में हैं।