बंटवारा’ यह शब्द मुलायम सिंह यादव को कभी अच्छा नहीं लगता था। वह न तो राज्य का बंटवारा चाहते थे और न ही परिवार का। उन्होंने उत्तर प्रदेश का बंटवारा रोकने का भरपूर प्रयास किया। इसके लिए उन पर गोलियां चलवाने तक के आरोप लगे। वहीं उन्होंने अपने परिवार को हमेशा एकसूत्र में बांधने का प्रयास करते रहे लेकिन वह चाहे शिवपाल यादव हों या उनकी पुत्रवधू अपर्णा यादव या फिर उनके समधी हरिओम यादव सबने अलग राहें चुन लीं।
90 के दशक में उत्तरांचल को अलग राज्य बनाने की मांग जोर-शोर से चल रही थी। मसूरी कांड के बाद अलग राज्य बनाने के आंदोलन को और तेज हवा मिल गई थी। पर मुलायम सिंह किसी भी सूरत में अलग राज्य के पक्षधर नहीं थे। उत्तरांचल की मांग करने वालों ने दिल्ली में जंतर-मंतर पर 2 अक्तूबर 1994 को प्रदर्शन करने का कार्यक्रम रखा। इसके लिए वे देहरादून से दिल्ली के लिए कूच किए। प्रदेश में सपा की सरकार थी। मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर पुलिस ने आंदोलनकारियों को सख्ती से रोक दिया। इस दौरान अचानक विरोध भड़का और अंधाधुंध फायरिंग शुरू हो गई। पुलिस की गोलियों से सात आंदोलनकारियों की जान चली गई। इस घटना ने उत्तरांचल के लोगों से मुलायम सिंह यादव को दूर कर दिया। रामपुर कांड का कलंक सपा आज तक नहीं धुल पाई, जो वहां हर चुनाव में इसके सामने आता रहा है।
मायावती के प्रस्ताव का विरोध किया
वर्ष 2011 में मायावती ने यूपी को चार हिस्सों में बांटने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था। तब मुलायम सिंह इसके विरोध में खड़े हो गए। उन्होंने कहा कि यह राजनीति से प्रेरित है और प्रदेश का बंटवारा सिर्फ समस्याओं को ही जन्म देगा। बता दें मुलायम ने आंध्र प्रदेश से अलग कर तेलंगाना राज्य बनाने का विरोध भी किया था।
मैदान खाली है, बना लो हरित प्रदेश
पश्चिमी यूपी के लगभग दो दर्जन जिलों को जोड़कर हरित प्रदेश बनाने का मुद्दा काफी पुराना है। तत्कालीन रालोद सुप्रीमो चौधरी अजित सिंह ने इस मुद्दे को काफी हवा दे रखी थी। उधर, इसी दौरान मुलायम सिंह यादव ने मेरठ में एक सभा को संबोधित किया। हरित प्रदेश के मुद्दे पर बोल उठे कि कौन मना कर रहा है। पीछे मैदान खाली पड़ा है। अजित सिंह वहां हरित प्रदेश बना लें। बाद में यही बात उन्होंने वकीलों से भी कह दी।