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यूपी के सियासी वटवृक्ष बने मुलायम, परिवार के साथ हर जिले में तैयार किए नेता

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सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश की सियासत के वटवृक्ष बने। उन्होंने न सिर्फ अपने परिवार के ज्यादातर सदस्यों को मैदान में उतारा बल्कि हर जिले में एक-दो ऐसे नेता तैयार किए, जिनकी पहचान मिनी मुलायम के रूप में हुई। उन्होंने परिवार की महिलाओँ को भी राजनीति में उतार कर नया संदेश दिया। इसके बाद प्रदेश की सियासत में महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढी। अब हालत यह है कि प्रदेश की विधानसभा में 47 महिलाएं पहुंच गई हैं, जिसमें 14 सपा के टिकट पर जीती हैं।

मुलायम सिंह के परिवार की स्थिति देखें तो सैफई में मेवाराम यादव के दो बेटे थे सुघर सिंह और बच्चीलाल। सुघर सिंह के पांच बेटे में रतन सिंह, अभय राम यादव, मुलायम सिंह यादव, राजपाल सिंह यादव और शिवपाल सिंह यादव हैं। जबकि बच्चीलाल के बेटे राम गोपाल यादव हैं।

1- मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। ऑस्ट्रेलिया से पर्यावरण प्रबंधन में डिग्री लेने वाले अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव कन्नौज की पूर्व सांसद हैं। मुलायम की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता केबेटे प्रतीक यादव हैं। प्रतीक की पत्नी अपर्णा बिष्ट भाजपा में हैं।
2- रतन सिंह के बेटे रणवीर सिंह थे। रणवीर की पत्नी मृदुला सैफई ब्लॉक प्रमुख हैं। इनके बेटे तेज प्रताप यादव मैनपुरी से सांसद रह चुके हैं। तेजप्रताप की पत्नी राजलक्ष्मी बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की बेटी हैं।

3- मुलायम सिंह यादव के भाई अभय राम सिंह यादव हैं। इनके बेटे धर्मेंद्र सिंह यादव पूर्व सांसद हैं। धर्मेंद्र के भाई अनुराग यादव भी राजनीति में सक्रिय हैं। इनकी बहन संध्या यादव जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी है। इस बार जिला पंचायत चुनाव में वह सपा छोड़कर भाजपा में जा चुकी हैं।

4- मुलायम सिंह यादव के भाई राजपाल सिंह यादव की पत्नी प्रेमलता इटावा की जिला पंचायत अध्यक्ष रही हैं।  प्रेमलता ही मुलायम सिंह यादव परिवार की पहली महिला हैं, जिन्होंने राजनीति में कदम रखा था। अब इनके बेटे अंशुल यादव इटावा से निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष हैं।
5- मुलायम के भाई शिवपाल यादव अब उनकी परंपरागत सीट जसवंत नगर से विधायक हैं। वह प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। शिवपाल के बेटे आदित्य यादव पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं।
6- मुलायम सिंह यादव की बहन कमला यादव हैं। इनके पति अजंट सिंह यादव ब्लाक प्रमुख रहे हैं।

रामगोपाल यादव का परिवार
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव राज्यसभा सदस्य हैं। उनके बेटे अक्षय प्रताप यादव फिरोजाबाद से सांसद रह चुके हैं। राम गोपाल की बहन गीता यादव के बेटे अरविंद सिंह यादव समाजवादी पार्टी से एमएलसी रह चुके हैं।

प्रमोद गुप्ता- मुलायम सिंह यादव की पत्नी साधना गुप्ता के बहनोई प्रमोद गुप्ता बिधूना से विधायक थे। अब भाजपा में हैं।
हरिओम यादव- ये मुलायम सिंह यादव समधी लगते हैं। रतन सिंह यादव के बेटे रणवीर सिंह यादव की पत्नी मृदुला के चाचा हैं। यूं समझें कि वह तेज प्रताप के नाना लगते हैं। अब भाजपा में हैं।

हर जिले में तैयार किया नेता
मुलायम सिंह यादव ने सियासी रणनीति के तहत हर क्षेत्र में कोई न कोई खास नेता तैयार किया। इन नेताओं के जरिए वह कार्यकर्ता से लेकर जनता पर अपनी पकड़ मजबूत रखते थे। उन्होंने इटावा, मैनपुरी से बाहर निकल कर फर्रुखाबाद में पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह यादव, कानपुर में चौधरी सुखराम, लखनऊ में हीरालाल यादव व भगौती सिंह, बाराबंकी में बेनी प्रसाद वर्मा, अयोध्या में अवधेश प्रसाद और सीताराम निषाद, गोंडा में विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह, देवरिया में मोहन सिंह, जौनपुर में पारसनाथ यादव, आजमगढ़ में दुर्गा प्रसाद और बलराम यादव, वाराणसी में श्याम लाल यादव,  जैसे दिग्गजों को जोड़कर सियासत चमकाई। इसी तरह पश्चिम में रामजी सुमन, डीपी यादव जैसे दिग्गज उनकेलिए ढाल बनकर संघर्ष करते रहे। यह अलग बात हैकि समय के साथ सियासी बदलाव में कई नेता इधर- उधर हो गए।

हमेशा सजाया जातियों का गुलदस्ता
समाजवादी चिंतक यश भारती सम्मानित मणेंद्र मिश्रा मशाल कहते हैं कि मुलायम सिंह यादव ने कभी एक जाति की राजनीति नहीं की। उनकेसाथ एक तरफ पारसनाथ यादव थे तो दूसरी तरफ  मोहन सिंह और इनके बीच में नजर आते थे ब्रजभूषण तिवारी। समाजवादी बेनी प्रसाद वर्मा के साथ अमर सिंह भी मौजूद रहते थे। वास्तव में वह जातियों का गुलदस्ता सजाकर चलते हैं। ऐसे में सियासत में फिरकापरस्ती करने वाले अपने आप दूर भाग जाते थे। उन्होंने हमेशा जातियों को जोड़ने का कार्य किया। लोहिया की विरासत को आगे बढ़ाते हुए जनता की समस्याओं की मजबूत लड़ाई लड़ी। एक सक्त्रिस्य जन प्रतिनिधि के रूप में सदन में उन्होंने सदैव समाज के सभी वर्गों के हितों के लिए संघर्ष किया। इन्हीं संघर्षों की वजह से उन्हें धरतीपुत्र और नेताजी के नाम से लोकप्रिय हुए।

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