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मुलायम सिंह यादव का निधन, मैनपुरी के रास्ते पहुंचे थे दिल्ली, केंद्र में मिला था बड़ा ओहदा

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 उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया है। वह 81 साल के थे। मुलायम सिंह गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में वह वेंटिलेटर पर थे। रविवार से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद सपा के गढ़ मैनपुरी में शोक की लहर दौड़ गई। वर्ष 1996 में मैनपुरी सीट से पहली बार मुलायम सिंह ने लोकसभा चुनाव लड़ा। यहां से जीत हासिल की। केंद्र की सत्ता में रक्षा मंत्री का ओहदा पाया था। केंद्र में संयुक्त मोर्चे की सरकार थी। यह सरकार बहुत लंबे समय तक नहीं चली थी, लेकिन यहां से मुलायम सिंह यादव ने अपनी संसदीय राजनीति का धमाकेदार आगाज किया था। उस वक्त मुलायम सिंह यादव को प्रधानमंत्री बनाने को लेकर बात उठी। प्रधानमंत्री पद की दौड़ में वो सबसे आगे खड़े थे, लेकिन सहयोगियों ने ही उनका साथ नहीं दिया। लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने उनके इस इरादे पर पानी फेर दिया था।
समाजवादी पार्टी की स्थापना मुलायम सिंह यादव ने की।
इसके बाद 1999 में फिर लोकसभा चुनाव हुए। इस बार मुलायम सिंह यादव संभल और कन्नौज सीट से चुनाव लड़े। दोनों जगह से जीत हासिल की। बाद में उन्होंने कन्नौज सीट अपने बेटे अखिलेश यादव के लिए छोड़ दी। यहां से अखिलेश पहली बार सांसद बने।
मुलायम सिंह यादव
मुलायम सिंह यादव और पीएम नरेंद्र मोदी
2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर मुलायम सिंह यादव मैनपुरी के मैदान में उतरे। ब्रज में मोदी लहर ऐसी चली कि समाजवादी पार्टी के सूरमा चित्त हो गए लेकिन सिर्फ मैनपुरी में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी।
मुलायम सिंह यादव

मुलायम सिंह यादव गांव से निकले। इटावा से ग्रेजुएशन किया और राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए आगरा पहुंचे। छात्र राजनीति में सक्रिय हुए। राममनोहर लोहिया की समाजवादी विचारधारा से प्रभावित हुए और पहली बार उस वक्त लोहिया का सानिध्य उन्हें मिला जब 1966 में लोहिया इटावा पहुंचे थे। 1967 में लोहिया की पार्टी से चुनाव लड़ा और जीत का ताज पहना था।

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