उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत शैक्षिक गतिविधियों के आदान-प्रदान के लिए परिषदीय स्कूलों से आसपास के मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों को जोड़ा जाएगा। इससे दोनों संस्थाएं एक, दूसरे के यहां उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग कर सकेंगे। यह साझेदारी मेंटरशिप प्रोग्राम के तहत होगी। इस प्रक्रिया में प्रतिष्ठित संस्थाओं के साथ ही विवि व उच्च शिक्षण संस्थानों को अपने नजदीकी परिषदीय विद्यालयों को गोद लेने के लिए प्रेरित भी किया जाएगा।
विद्यालयों को जोड़ने के संबंध में शासन निर्देश दिए हैं। इसके तहत ब्लॉक स्तर पर खंड शिक्षा अधिकारी 5 से 8 किमी. के दायरे में बेहतर संसाधन व अच्छी शैक्षिक स्थिति वाले निजी मान्यता प्राप्त विद्यालय या उच्च शिक्षण संस्थान/विवि का चयन करेंगे। इसके साथ ही प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों को इनसे जोड़ा जाएगा। डीआईओएस से माध्यमिक विद्यालयों से सहयोग कराने को कहा गया है।
डीएम की अध्यक्षता में बनी समिति करेगी निगरानी
विद्यालयों को जोड़ने की प्रक्रिया पूरी कराने और संसाधनों के प्रयोग व अन्य गतिविधियों के क्रियान्वयन व निगरानी के लिए हर जिले में डीएम की अध्यक्षता में समिति बनाई गई है। इसमें उपाध्यक्ष सीडीओ व सदस्य सचिव बीएसए होंगे। डायट प्राचार्य, डीआईओएस, जिला सूचना अधिकारी, जिला युवा कल्याण अधिकारी व डीएम से नामित निजी विद्यालयों के प्रबंधतंत्र/शिक्षण संस्थाओं के तीन प्रतिनिधि सदस्य होंगे।
ये होगा लाभ
– आपस में जुड़ने के बाद दोनों विद्यालयों के बच्चे एक-दूसरे के यहां पुस्तकालय, प्रयोगशाला, खेल के मैदान, बुनियादी ढांचे और डिजिटल सुविधाओं का उपयोग कर सकेंगे।
– कला, विज्ञान प्रदर्शनी, टीएलएम मेला, सांस्कृतिक व खेल गतिविधियों व प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संयुक्त आयोजन व भ्रमण।
– शिक्षकों को शिक्षण संबंधी सहयोग लेने की अनुमति मिल सकेगी।
– दोनों विद्यालयों के छात्र व शिक्षक महीने में एक बार खेल, विज्ञान शिक्षण और कंप्यूटर सीखने सहित विभिन्न गतिविधियों में शामिल होंगे।
– इस शैक्षिक आदान प्रदान की जानकारी अभिभावकों को भी दी जाएगी। बच्चों के भ्रमण पर जाने के लिए उनकी सहमति भी ली जाएगी।
– भ्रमण पर जाने वाले बच्चों की संयुक्त बैठक और वाद-विवाद प्रतियोगिता आदि होगी।
– प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा परिषदीय विद्यालयों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों, खेलकूद गतिविधियों, शिक्षक प्रशिक्षण आदि के आयोजन के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध कराने व भौतिक अवस्थापना सुविधाओं में सहयोग किया जा सकेगा।
– दोनों प्रकार के विद्यालयों की बेहतरीन गतिविधियों को सभी शिक्षण संस्थाओं में साझा किया जाएगा, ताकि अन्य विद्यालय भी उसका लाभ उठा सकें।